नियमित योगाभ्यास एवं व्यायाम से बन्दियों के व्यवहार में आया सकारात्मक बदलाव
400 को मिली मैनुअल के प्रावधान अन्तर्गत छूट
ग्वालियर एक फरवरी 10। ग्वालियर केन्द्रीय कारागार में लक्ष्मीबाई शारीरिक शिक्षण विश्विविद्यालय द्वारा योग प्रशिक्षित 50 से अधिक बन्दी हैं। इन बन्दियों में से कई अब अन्य बन्दियों को योग का प्रशिक्षण भी देने लगे हैं। जेलमें प्रतिदिन सुबह 7 बजे से 8 बजे तक सौ से अधिक बन्दी नियमित योग साधना करते हैं। यह जानकारी जेल अधीक्षक श्री हरेन्द्र सिह ने दी। उन्होंने आगे कहा कि इन बन्दियों के अलावा अन्य कई बन्दी परंपरागत पी टी. और व्यायाम भी करते हैं। श्री सिंह ने आगे बताया कि नियमित योगाभ्यास एवं व्यायाम करने वाले बन्दियों में सकारात्मक परिवर्तन देखा जा सकता है। ऐसे बंदियों की जहां शारीरिक कार्यक्षमता में वृध्दि होती है वहीं व्यवहार भी संयत रहता है।
कारागार में बंदियों के अध्यापन एवं प्रशिक्षण कार्यों की देख रेख करने वाले राष्ट्रपति पदक प्राप्त श्री भानु प्रकाश शर्मा ने बताया कि योगाभ्यास दौरान बन्दी प्रतिदिन सूर्य नमस्कार, मयूर आसन, पूर्ण मत्स्य आसन जैसे कठिन आसन भी लगाते हैं। परंपरागत पी टी. करने वाले समूह के बंदी कई तरह के पिरामिड भी बनाते हैं जिसमें उच्चकोटि के सन्तुलन की आवश्यकता होती है।
जेल अधीक्षक श्री हरेन्द्र सिंह ने बताया कि मध्यप्रदेश जेल मैनुअल के प्रावधानों के अनुसार शारीरिक व्यायाम में श्रेष्ठ बन्दियों को सजा में छूट भी दी जाती है। औसतन हर माह 70 बन्दी इस का लाभ ले रहे हैं। प्राप्त जानकारी के अनुसार योग प्रशिक्षण के बाद से अब तक 400 बन्दी मध्यप्रदेश जेल मैनुअल के अनुच्छेद 712 के अन्तर्गत इस माफी से लाभान्वित हो चुके हैं।
अधीक्षक केन्द्रीय जेल ग्वालियर श्री हरेन्द्र सिंह ने बताया कि अब दस अथवा दस साल से अधिक सजा वाले अपराधियों को दूरभाष पर अपने परिवारजनों से चर्चा की भी सुविधा दे दी गई है। उन्होंने आगे बताया कि अब 50 किलोमीटर या उससे दूर निवास करने वाले बंदी के परिवारजन उससे दूरभाष पर संपर्क कर सकते हैं। इसके लिये बूथ में केवल इनकमिंग सुविधा वाला फोन लगाया गया है। जब ऐसे किसी बंदी के परिवारजनों का फोन आता है तो उस बंदी को बुलवाकर बात करवा दी जाती है। बंदी के परिवारजन सप्ताह में मात्र दो बार ही बंदी से बात कर सकते हैं। जेल अपराध करने वाले बंदियों को इस सुविधा से वंचित किया जा सकता है। साथ ही अब लंबी सजा काट रहे बंदियों को साल में 60 दिवस पे-रोल पर छोड़ने का भी प्रावधान है। साल में चार बार तीन-तीन महीनों पर अच्छे रिकार्ड वाले बंदियों को पुलिस महानिरीक्षक जेल द्वारा 15-15 दिन के लिये पे-रोल पर छोड़ा जाता है। जेल अधीक्षक ने बताया कि इन प्रयासों से बंदियों के व्यवहार में सुधार हुआ है। अब बंदी जानते हैं कि गलत व्यवहार करने पर उन्हें दूरभाष पर परिवारजनों से चर्चा करने अथवा पे-रोल पर घर भेजने से वंचित रखा जा सकता है।
जेल अधीक्षक श्री हरेन्द्र सिह ने आगे बताया कि जेल में दस पावर लूम तथा दस कंबल बिनाई वाले लूम लगे हैं जिन्हें बन्दी ही चला रहे हैं। जेल में बढ़ई, छापा खाना, कालीन बुनाई, हैण्ड बैग निर्माण, पेन्टिग आदि सहित अन्य उद्योग धन्धे भी संचालित हैं जिनमें सैकड़ों बन्दी कार्यरत हैं।
जेल अधीक्षक श्री हरेन्द्र सिंह ने बताया कि गणतंत्र दिवस 26 जनवरी पर जेल से 38 बन्दी रिहा किये गये। इनमें से 27 आजीवन बन्दियों ने 14 वर्ष की सूखी सजा पूरी कर ली थी जिसमें माफी के 6 वर्ष शामिल करते हुए बीस वर्ष पूरे हो रहे थे। एक अन्य आजीवन सजा प्राप्त बन्दी की सजा 15 अगस्त को ही पूर्ण हो चुकी थी वह जुर्मानी सजा में 26 जनवरी तक बन्द था। गम्भीर रोग ग्रस्त चार वृध्द बन्दियों को मेडिकल बोर्ड की अनुशंसा पर एक वर्ष के लिये तथा 6 छोटी सजा वाले बन्दियों को कारागार से मुक्त किया। उन्होंने कहा कि केन्द्रीय कारागार ग्वालियर में वर्तमान में 2125 बन्दी हैं।
मेले में बिका एक लाख 14 हजार का सामान
ग्वालियर एक फरवरी 10। केन्द्रीय कारागार के बन्दियों द्वारा निर्मित सामग्री का ग्वालियर व्यापार मेले में स्टॉल लगाकर विक्रय किया जा रहा है। जेल अधीक्षक श्री हरेन्द्र सिंह ने बताया कि 31 जनवरी तक मेले में एक लाख 14 हजार रूपये के सामान की बिक्री हुई। नागरिक इस स्टॉल पर बिकने वाले फ्रेमयुक्त महापुरूषों के चित्रों की खरीदी में विशेष रूचि प्रदर्शित कर रहे हैं। साथ ही बन्दियों द्वारा निर्मित चादर, तौलिया, दरी, कालीन, फर्श, हैण्ड बैग, पेंटिग, मचौली, चौकी तथा गुड्डियों की भी काफी मांग हैं।
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