आगामी दो वर्षो र्मे सभी किसानों को मृदा स्वास्थ्य पत्रक मिलेंगे
खेती को लाभ का व्यवसाय बनाने के लिए विशेष प्रयास, मुख्यमंत्री श्री चौहान द्वारा कृषि विभाग की समीक्षा
भोपाल एक फरवरी 10। मध्यप्रदेश में आगामी दो वर्षो में सभी किसानों को उनके खेतों की मिट्टी का परीक्षण कर मृदा स्वास्थ्य पत्रक दिये जायेंगे जिससे वे लाभकारी फसल चक्र का निर्धारण कर सकेंगे। खेती के अधिकतम क्षेत्र को द्विफसलीय करने के प्रयास किए जायेंगे। किसानों को कृषि के सहयोगी व्यवसायों से आय बढ़ाने के लिए सभी जिलों में विशेष कार्यक्रम संचालित किए जायेंगे।
ये निर्णय आज यहां मुख्यमंत्री श्री शिवराजसिंह चौहान की अध्यक्षता में मंत्रालय में हुई कृषि विभाग की समीक्षा बैठक में लिए गए। बैठक में कृषि मंत्री डॉ. रामकृष्ण कुसमरिया, कृषि राज्य मंत्री श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह, प्रमुख सचिव श्री आई एन. दाणी, मुख्यमंत्री के अपर सचिव श्री विवेक अग्रवाल तथा कृषि विभाग के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि किसानों को मिट्टी स्वास्थ्य पत्रक से उनकी भूमि की मिट्टी में पोषक तत्वों की कमी को दूर करने के उपायों तथा लाभकारी फसलों के निर्धारण में मदद मिलेगी। उन्होंने कार्ययोजना बनाकर निर्धारित समयावधि में इस योजना को पूरा करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि इसके लिए आवश्यक प्रयोगशालाओं की स्थापना के काम को प्राथमिकता से पूरा किया जाये।
श्री चौहान ने कोदो, कुटकी जैसे मोटे अनाज की समर्थन मूल्य पर खरीदी तथा उसके विक्रय एवं निर्यात के लिए नागरिक आपूर्ति निगम एवं मंडी बोर्ड के माध्यम से कार्ययोजना तैयार करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्यवर्धक होने के कारण ऐसे अनाजों की विदेशों में भी मांग है लेकिन अभी किसानों को इसका कम मूल्य मिल पाता है।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कृषि से जुड़े व्यवसायों मत्स्य पालन, मुर्गीपालन, पशुपालन, दूध उत्पादन, उद्यानिकी आदि के माध्यम से किसानो की आय बढ़ाने के लिए जिलेवार योजनाएं बनाने के भी निर्देश दिए। उन्होंने आगामी रबी एवं खरीफ फसलों के लिए बेहतर खाद वितरण व्यवस्था के लिए अभी से तैयारी करने के लिए कहा। उन्होंने कहा कि खेती को लाभ का व्यवसाय बनाना राज्य शासन की प्राथमिकता है तथा कृषि विभाग की सभी योजनाओं पर निर्धारित समयावधि में अमल होना चाहिए।
श्री चौहान ने कहा कि ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारियों का किसानों से बेहतर समन्वय सुनिश्चित किया जाना चाहिए। निर्धारित दिवसों पर गांव अथवा गांवों के समूहों के लिए एक निर्धारित स्थान पर उनकी उपलब्धता पहले से तय होना चाहिए।
बैठक में बताया गया कि ग्राम बीज योजना के अंतर्गत आगामी तीन वर्षो र्मे र्प्रदेश के दस प्रतिशत ग्राम शामिल कर किसानों को स्वयं का बीज उत्पादित करने के लिए प्रोत्साहित किया जायेगा।
किसानों द्वारा उगाए गए बीज के भंडारण के लिए भंडारगृह निगम को 24 मंडियों में आधुनिक सुविधायुक्त भंडारगृह निर्मित करने के लिए रियायती दरों पर भूमि आवंटन के निर्देश जारी किए जा चुके हैं। पहले चरण में इसके तहत करोंद, सीहोर, सीहोरा, कटनी, छिंदवाड़ा, नरसिंहपुर, सिवनी, बालाघाट, इन्दौर, खण्डवा, मनावर, सनावद, भीकनगांव, बड़नगर, आलोट, बेरछा, मक्सी, दमोह, देवरी, पन्ना, सिंगरौली एवं सागर में कार्रवाई शुरू हो चुकी है। किसानों द्वारा उत्पादित बीज के प्रमाणीकरण के लिए प्रयोगशालाओं में 192 अतिरिक्त पद स्वीकृत किए जा चुके हैं जिन पर नियुक्तियां की जा रही है।
कृषि विभाग द्वारा जैविक नीति को अंतिम रूप दिया जा रहा है तथा इसे शीघ्र ही मंत्रिमंडल के समक्ष स्वीकृति के लिए प्रस्तुत किया जाएगा। जैविक उत्पादों के प्रमाणीकरण की भी व्यवस्था इस नीति में शामिल रहेगी जिससे किसानों को बेहतर मूल्य मिल सकें। किसानों को छोटे हस्तचलित कृषि यंत्रों पर 2000 रुपये तक एवं बैल चलित कृषि यंत्रों पर 2500 रुपये तक अनुदान की योजना पर भी अमल किया जा रहा है। सिंचाई क्षमता बढ़ाने के लिए तालाबों के निर्माण को बढ़ावा दिया जा रहा है। पवारखेड़ा जिला होशंगाबाद में सौ करोड़ रुपये की लागत से सर्वसुविधा युक्त आधुनिक मल्टी मोडल लाजिस्टिक हब का निर्माण प्रस्तावित है। प्रदेश के बाहर तथा निर्यात के लिए सुविधा विकसित करने के उद्देश्य से इसी प्रकार रतलाम तथा राउ (इन्दौर) में भी हब की स्थापना की जाएगी। भोपाल स्थित करोंद मंडी प्रांगण में 44 करोड़ रुपये की लागत के आधुनिक सुविधायुक्त होलसेल मार्केट का निर्माण किया जा रहा है। किसानों के खेतों पर उन्नत कृषि के प्रदर्शन प्लाट की योजना पूरे प्रदेश में लागू की जाएगी।
बैठक में यह भी बताया गया कि इस वर्ष रबी में लक्ष्य से तीन प्रतिशत अधिक 95.32 लाख हेक्टर में बोनी हुई है तथा 137.92 लाख टन रिकार्ड उत्पादन होने की आशा है।
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