ग्वालियर में स्थापित संगीत एवं कृषि विश्वविद्यालय के लिये भूमि की तलाश तेज
संभागायुक्त एवं जिला कलेक्टर ने कुलपतियों के साथ मौका मुआयना किया
ग्वालियर 31 दिसम्बर 08 । ग्वालियर में स्थापित दो नवीन विश्वविद्यालयों के लिये उपयुक्त भूमि की तलाश का काम तेजी से प्रारंभ हो चुका है । आज संभागायुक्त डा. कोमल सिंह तथा जिला कलेक्टर श्री आकाश त्रिपाठी के साथ दोनों विश्वविद्यालयों राजा मान सिंह संगीत विश्वविद्यालय तथा राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डा. चितरंजन ज्योतिषी एवं डा. विजय सिंह तोमर ने प्रस्तावित स्थलों का मौके पर जाकर जायजा लिया । संगीत विश्वविद्यालय के लिये शिवपुरी लिंक मार्ग पर किडीज कार्नर स्कूल के समीप तथा दूसरा स्थल नाका चंद्रवदनी झांसी रोड के समीप पोलिटेक्निक कालेज के पीछे वाले क्षेत्र का अवलोकन किया गया । संगीत विश्वविद्यालय नगर में हो तथा छात्र-छात्राओं को दूर न जाना पड़े इस दृष्टि से पोलिटेक्निक कालेज के पीछे वाले स्थान को अधिक उपयुक्त मान्य किया गया ।
राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय के लिये पूर्व में निर्धारित स्थल तिलेथा जागीर की भूमि को निरीक्षण के दौरान अनुपयुक्त पाये जाने के कारण घाटीगांव - धुंआ की पड़त शासकीय भूमि का अवलोकन किया गया तथा बाद में ग्राम बिजौली के समीप सिरसोद में उपलब्ध 325 बीघा शासकीय भूमि का भी अवलोकन किया गया । दोनो स्थानों पर राजस्व विभाग के संबंधित अधिकारी तथा मैदानी अमला उपस्थित था।
संभागायुक्त डा. कोमल सिंह ने कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डा. विजय सिंह तोमर, डीन डा. मलिक सहित संबंधितों के साथ सिरसोद के प्रस्तावित क्षेत्र का सूक्ष्म निरीक्षण किया तथा नक्शे और अभिलेख की भी अद्यतन जानकारी ली । वे भूमि के अंतिम छोर लड्डूपुरा के समीप तक गये । जिले में प्रस्तावित उपलब्ध भूमि में कृषि की दृष्टि से इस क्षेत्र की मिट्टी अधिक उपयुक्त प्रतीत हुई । संभागायुक्त ने कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति एवं अन्य संबंधितों से इस पर विचार विमर्श करने की सलाह दी । उन्होंने कहा कि कृषि विश्वविद्यालय के लिये कृषि फार्म, बीज उत्पादन प्रक्षेत्र, उद्यानिकी, मत्स्य पालन सहित कृषि एवं कृषि से जुड़े कार्यों के लिये ऐसे स्थान उपयोगी हो सकते हैं ।
उल्लेखनीय है कि ग्वालियर कृषि विश्वविद्यालय अन्तर्गत प्रदेश के 5 कृषि महाविद्यालय, एक उद्यानिकी महाविद्यालय , एक पशु चिकित्सा महाविद्यालय तथा 22 कृषि विज्ञान केन्द्र आते हैैं । कृषि विश्वविद्यालय की स्थापना के साथ इस वर्ष से बीएससी तथा एमएससी कृषि प्रथम वर्ष का पंजीयन, शिक्षण एवं परीक्षाएं आदि सभी की गतिविधियां कृषि विश्वविद्यालय द्वारा संचालित की जा रही हैं । कुलपति डा. विजय सिंह तोमर ने बताया कि कृषि विश्वविद्यालय द्वारा कई उपयोगी परियोजनाएं प्रस्तावित की गई हैं । हाल ही में आदिवासी कृषकों का जीवन स्तर सुधारने हेतु 8.36 करोड़ की परियोजना पर सैध्दांतिक स्वीकृति प्राप्त हो गई है एवं अन्य तीस करोड़ की ऐसी परियोजनाओं को भी भविष्य में स्वीकृति मिलने की पूरी उम्मीद है ।
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