गुरुवार, 25 जून 2009

जननी सहायता योजना में निजी चिकित्‍सालय प्रसव केन्‍द्र के लिये अलग मापदण्‍ड होंगें , 100 जन्‍मों का ठेका मिलेगा (जननी सहयोगी योजना)

जननी सहायता योजना में निजी चिकित्‍सालय प्रसव केन्‍द्र के लिये अलग मापदण्‍ड होंगें , 100 जन्‍मों का ठेका मिलेगा (जननी सहयोगी योजना)

चयनित समिति में आई.एम.ए. एवं आई.ए.पी. के प्रतिनिधि भी रहेंगे

 

Bhopal:Wednesday, June 24, 2009

 

जननी सहयोगी योजना को प्रभावी और पारदर्शी बनाने के लिए नया स्वरूप दिया गया है। लोक स्वास्थ्य परिवार कल्याण चिकित्सा शिक्षा एवं उर्जा मंत्री श्री अनूप मिश्रा ने बताया कि अब जननी सहयोगी योजना में निजी अस्पतालों को प्रति केस राशि का भुगतान करने के बजाय उन्हें सौ केस का पैकेज दिया जाएगा। यह संशोधन तत्काल प्रभाव से लागू कर नए नियमों के अनुसार कार्यवाही करने के निर्देश सभी संभागीय स्वास्थ्य संयुक्त संचालकों मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारियों को दिए गए हैं।

स्वास्थ्य मंत्री श्री अनूप मिश्रा ने बताया कि जननी सहयोगी योजना में सुधार किया गया है ताकि अधिक से अधिक लोगों को इसका लाभ मिले और लोगों में संस्थागत प्रसव के प्रति जागरूकता आए। श्री मिश्रा ने बताया कि इसके जरिए सरकार का लक्ष्य मातृ एवं शिशु मृत्यु दर को कम करना है। स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि जननी सहयोगी योजना में अब निजी अनुबंधित अस्पतालों को प्रति केस भुगतान करने के स्थान पर प्रति अस्पताल सौ केस का एक पैकेज रहेगा । यह पैकेज एक लाख पिच्चायसी हजार का होगा जिसके तहत प्रसव पूर्व एवं प्रसव के बाद होने वाले संभावित व्यय की गणना की गई है। इसके साथ ही निजी चिकित्सा संस्थाओं को अभिप्रमाणित करने के लिए गठित जिला स्तरीय समितियों में फाग्सी, आई.एम.ए. एवं आई.ए.पी. का प्रतिनिधि भी रखा गया है जो पूर्व में समिति के सदस्य नहीं थे। निजी चिकित्सा संस्थाओं को अभिप्रमाणित करने के आवेदन अब संयुक्त संचालक, स्वास्थ्य के बजाए सीधे मुख्य चिकित्सा अधिकारी को दिए जाएंगे।

योजना के तहत पात्र हितग्राही - जननी सहयोगी योजना का लाभ बी.पी.एल. परिवार की गर्भवती महिलाओं एवं बीमार नवजात शिशुओं को दिया जाता है।

अनुबंधित चिकित्सा संस्थाओं की पात्रता - अनुबंधित निजी चिकित्सा संस्थाओं में स्त्री रोग, शिशु रोग एवं निश्चेतना विशेषज्ञ होना चाहिए। अगर यह चिकित्सक नहीं है तो इनकी सेवाएं बाहर से लेना अनिवार्य होगा। अनुबंधित अस्पताल में न्यूनतम 6 से 10 पलंग होना जरूरी है और दस प्रसव प्रतिमाह होना चाहिए। अस्पताल में पूर्ण रूप से सुसज्जित लेबर रूम, नवजात शिशु देखभाल लेबर रूम अथवा पृथक से स्थान होना जरूरी है। इसी तरह उपकरणों से पूर्ण क्रियाशील ऑपरेशन थियेटर होना चाहिए। क्रियाशील पैथोलॉजी लेबोरेट्री हो, जहां सभी सामान्य आवश्यक जांच की जाती हो। अस्पताल में 24 घंटे पानी की सुविधा हो। अस्पताल में सभी उपकरणों को संचालित करने के लिए नियमित विद्युत व्यवस्था होना जरूरी है। टेलीफोन, एम्बूलैंस, ब्लड स्टोरेज सुविधा होने के साथ ही अनुबंधित संस्था को एम.पी.टी. एक्ट के तहत पंजीकृत होना अनिवार्य होगा।

अनुबंधित चिकित्सा संस्था में प्रदत्त सुविधाएं - अनुबंधित चिकित्सा संस्थाओं में योजना से लाभान्वितों को प्रसवपूर्ण एवं प्रसव उपरांत जांच, सामान्य प्रसव, जटिल गर्भावस्था प्रसव तथा प्रसवोपरांत होने वाली जटिलताओं का उपचार, सीजेरियन, सुरक्षित गर्भपात, बीमार नवजात की देखभाल एवं आवश्यक लैब जांच तथा चिन्हित हितग्राहियों के लिए सोनोग्राफी सुविधा अस्पताल में होना जरूरी है।

निजी अस्पतालों को अनुबंधित करने की प्रक्रिया - जननी सहयोगी योजना के लिए जो निजी अस्पताल अनुबंधित किए जाएंगे उसके लिए स्थानीय दैनिक समाचार पत्रों में विज्ञापन दिए जाएंगे। आवेदन पत्र सीधे मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी के नाम से प्राप्त होंगे। प्राप्त आवेदनों पर विचारोपरांत निर्णय के लिए जिला स्तर पर एक समिति गठित है। जिसमें मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी अध्यक्ष होंगे एवं जिला कार्यक्रम प्रबंधक सचिव होंगे। जिला अस्पताल के स्त्री रोग विशेषज्ञ, पी.जी.एम.ओ, निश्चेतना विशेषज्ञ, सर्जन, शिशु रोग विशेषज्ञ अथवा इन विधाओं के पी.जी.एम.ओ, फॉग्सी, आई.एम.ए. तथा आई.ए.पी. के प्रतिनिधि इस समिति के सदस्य होंगे। यह समिति प्राप्त आवेदनों का चेक लिस्ट के आधार पर परीक्षण कर तीन माह के अंदर अभिप्रमाणित करने की प्रक्रिया पूरी करेगी।

वित्तीय प्रावधान - जननी सहयोगी योजना में अनुबंधित चिकित्सालयों को सौ केस के लिए 1.85 लाख रूपये का प्रावधान किया गया है। जैसे ही अस्पताल के साथ अनुबंध होगा उसे प्रथम किश्त के रूप में पचास हजार रूपये दिए जाएंगे। पंजीकृत अनुबंधित संस्था को हर माह एस.ओ.ई. देना होगी। प्रथम किश्त की पिचहत्तर प्रतिशत राशि का उपयोगिता प्रमाण पत्र प्राप्त होने तथा पचास प्रतिशत केस पूर्ण करने पर पचास हजार रूपये की दूसरी किश्त दी जाएगी। तृतीय एवं अंतिम किश्त 85 हजार रूपये सौ केस पूर्ण होने पर उपयोगिता प्रमाण पत्र देने पर देय होगी। यदि कोई भी सेवा निर्धारित प्रतिशत से कम होती है परंतु 100 केसेस पूर्ण होते है जैसे सीजेरियन सेक्शन 7 प्रतिशत से कम होगा तथा सामान्य प्रसव अधिक हो तो ऐसी स्थिति में भी पूर्ण राशि देय होगी। यदि उपरोक्त प्रतिशत से कम अथवा अधिक कोई भी सेवा प्रदान की जाती है, पैकेज में कोई कटौत्री अथवा वृध्दि नहीं की जायेगी। उदाहरणत: यदि 100 केसेस केवल प्रसव संबंधी होते है तथा सुरक्षित गर्भपात सेवायें प्रदान नहीं की जाती है, ऐसी स्थिति में भी पूर्ण राशि देय होगी परन्तु मॉनिटरिंग में यह सुनिश्चित किया जायेगा कि न्यूनतम 7 प्रतिशत केसेस सीजेरियन द्वारा उपचारित किये जा रहे है तथा इन केसेस को अन्यत्र रेफर नहीं किया जा रहा है।

हितग्राहियों को सेवाएें प्राप्त करने के लिए बी.पी.एल. प्रमाण पत्र अथवा नीला राशन कार्ड अभिप्रमाणित संस्था के समक्ष प्रस्तुत करना अनिवार्य होगा। ए.एन.सी., पी.एन.सी तथा लैब जॉच, परिवहन व्यवस्था, न्यूनतम 90 प्रतिशत केसेस के लिए अनिवार्य होगी। इन सेवाओं की मॉनिटरिंग जिला स्तर पर की जायेगी। समस्त ए.एन.सी. केसेस का पंजीयन तथा प्रसवपूर्ण तीन जांचे अभिप्रमाणित निजी संस्था में ही की जायेगी एवं इसका दायित्व ग्रामीण क्षेत्र में आशा तथा शहरी क्षेत्र में उषा कार्यकर्ता का होगा, यदि वह सरकारी अस्पताल, प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में, ग्राम स्वास्थ्य पोषण दिवस में ए.एन.एम. से प्रसवपूर्व जांच कराती है तो भी उसे प्राईवेट संस्था में रजिस्ट्रेशन की पात्रता होगी। बी.पी.एल. गर्भवती महिला सेवायें प्राप्त करने हेतु सीधे भी अभिप्रमाणित संस्था में उपरोक्त सेवायें प्राप्त करने के लिए पंजीकृत हो सकती है। आशा को 50 रूपये प्रति केस हितग्राही की तीन प्रसवपूर्ण जांच तथा संस्थागत प्रसव उपरांत दो प्रसवोपरांत जांच सुनिश्चित करवाने के पश्चात देय होगा। आशा द्वारा सुरक्षित गर्भपात सेवा के लिए लाने वाली महिलाओं को 50 रूपये हितग्राही को सुविधा प्राप्त करने के बाद देय होगा। 200 रूपये अभिप्रमाणित संस्था द्वारा समस्त हितग्राहियों को परिवहन शुल्क के रूप में प्रदान किया जायेगा। इसके लिए जननी एक्सप्रेस वाहन का उपयोग किया जा सकता है। यदि आपातकालीन स्थिति में गर्भवती महिला बिना पूर्व जांच के अभिप्रमाणित संस्था में आती है तो ऐसी स्थिति में भी अभिप्रमाणित संस्था द्वारा आवश्यक सेवाएें प्रदान की जायेगी। यदि कोई संस्था एक वर्ष तक 100 केसेस पूर्ण नहीं करती है तो उसे आगामी वित्तीय वर्ष में कैरी फारवर्ड किया जायेगा। हितग्राहियों को जननी सुरक्षा योजना अन्तर्गत प्रावधानित राशि उपरोक्त पैकेज में सम्मिलित नहीं होगी इस राशि का आवंटन जिला स्वास्थ्य समिति द्वारा पृथक से किया जायेगा। प्रेरक को जननी सुरक्षा योजना अन्तर्गत कोई राशि देय नहीं होगी। सेवाओं हेतु प्रावधानित राशि तथा जननी सुरक्षा योजना की राशि का लेखा-जोखा पृथक से संधारित किया जायेगा। यदि कोई संस्था एक वर्ष से कम अवधि में 100 केसेस पूर्ण करती है तो अगले 100 केसेस के लिए उसे अग्रिम दिया जा सकेगा।

मॉनिटरिंग - जननी सहयोगी योजना की मॉनिटरिंग में यह सुनिश्चित किया जायेगा कि सभी हितग्राहियों का ए.एन.सी. चैकअप तथा आवश्यक जांचे की जा रही है। इसके अतिरिक्त यदि सीजेरियन सेक्शन की आवश्यकता होती है तो उसे संस्था में ही किया जायेगा। साप्ताहिक ई-मेल पर रिपोटिर्ंग अभिप्रमाणित संस्था द्वारा मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी को प्रेषित की जायेगी। इस रिपोर्ट को संभागीय संयुक्त संचालक, मुख्यालय को प्रेषित करेंगे, जिसमें नवीन केसेस का रजिस्ट्रेशन, 3 ए.एन.सी. जांच पूर्ण का विवरण (लेब जाँचे) तथा सुरक्षित गर्भपात सेवाएें, सामान्य जटिल प्रसव, ब्लड ट्रांस्फ्यूजन तथा सीजेरियन, प्रसव का विवरण, नाम, पूर्ण पता, बी.पी.एल. क्रमांक होगा जिससे सतत् मॉनिटरिंग की व्यवस्था हो सकेंगी। 10 प्रतिशत केसेस का भौतिक सत्यापन अनिवार्य रूप से जिला स्तर पर किया जायेगा यदि कोई अनियमितता पाई जाती है तो ऐसी स्थिति में अनुबंध पत्र के आधार पर आवश्यक कार्यवाही की जायेगी।

 

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