मलेरिया नियंत्रण : जैविक एवं रासायनिक छिड़काव से करेंगे मच्छरों का सफाया
ग्वालियर 29 जून 09 । राष्ट्रीय वेक्टर रोग नियंत्रण कार्यक्रम अन्तर्गत मलेरिया नियंत्रण के लिये आहूत अन्तरविभागीय कार्यशाला में आज मच्छरों के सफाये के लिये जैविक हथियार के रूप में अधिक से अधिक गम्बुसिया मछली का उपयोग करना तथा जिले के मलेरिया से प्रभावित रहने वाले 65 गांवों में मच्छर मारक रसायन का तीन राउण्ड छिड़काव करवाने का निर्णय लिया गया । जिले में मलेरिया नियंत्रण के प्रभावी प्रयास करने की दृष्टि से जन सम्प्रेषण अभियान चलाकर सम्प्रेषण माध्यमों से नागरिकों से सीधे सरल भाषा में जानकरियां पहुंचाई जावेगी ताकि वर्षा ऋतु में लोगों को मलेरिया रोग का शिकार होने से बचाया जा सके ।
कार्यशाला की अध्यक्षता प्रभारी मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. यू के गुप्ता ने की । कार्यशाला में सिविल सर्जन डा. कल्पना जैन, जिला मलेरिया अधिकारी डा. आर के सोनी, नगर निगम चिकित्सा अधिकारी डा. सुभाष गुप्ता, गजराराजा चिकित्सामहाविद्यालय के अधीक्षक सहित विभिन्न विभागों के अधिकारीगण उपस्थित थे ।
कार्यशाला में ग्वालियर नगर में मलेरिया नियंत्रण के लिये अपनायी गई रणनीति पर चर्चा करते हुये नगर निगम चिकित्सा अधिकारी डा. सुभाष गुप्ता ने बताया कि चार फोगिंग मशीनों द्वारा स्लम क्षेत्र सहित मलेरिया से प्रभावित होने की संभावना वाले क्षेत्रों में मच्छरों को मारने की प्रभावी कार्यवाही की जावेगी । नगर में रात्रिकालीन सफाई व्यवस्था तथा वार्ड आफिसर्स के माध्यम से सधन निरीक्षण करवाया जा रहा है । जिन घरों में खुले में जल संग्रह किया जा रहा है, कूलर आदि में भी पानी सड़ रहा है जिससे वहां मच्छर पैदा होने से मलेरिया हो सकता है, ऐसे लोगों को नोटिस देकर सफाई करवाई जावेगी और हिदायतों का पालन न करने पर 500 रूपये का अर्थदंड भी किया जा सकेगा । साथ ही उन्होंने नगर के तालाबों और जल स्त्रोतों में गम्बुसिया मछली छोड़ने की भी बात कही ।
जिला मलेरिया अधिकारी डा. आर के सोनी ने खेत-तालाब योजना सहित ग्रामीण क्षेत्र के जल स्त्रोतों में गम्बुसिया मछली डालने पर जोर देते हुये कहा कि नगर की लक्ष्मण तलैया को गम्बुसिया मछली की नर्सरी बना दिया गया है । नागरिक वहां मच्छरों का लारवा खाने वाली इस मछली को प्राप्त कर सकते हैं । ज्ञातव्य हो कि गम्बुसिया मछली प्रतिदिन मच्छरों के 200 से 300 लारवों का भक्षण करती है इस प्रकार मलेरिया नियंत्रण में उपयोगी जैव अस्त्र है । साथ ही उन्होंने बताया कि घटीगांव क्षेत्र सहित जिले में गत वर्षों में मलेरिया से प्रभावित होने वाले 65 गांवों की पहचान की गई है । इन चिन्हित गांवों में मच्छरों को मारने वाले प्रभावी रसायन का प्रथम छिड़काव 16 जून को किया जा चुका है तथा वर्षा ऋतु में ऐसे तीन छिड़काव किये जावेंगें ।
कार्यशाला की अध्यक्षता करते हुये डा. यू के गुप्ता ने कहा कि सामूहिक प्रयासों से मलेरिया के खिलाफ जंग में कामयाबी पायी जा सकती है । उन्होंने इस दिशा में पन्ना जिले के अपने अनुभव सुनाते हुये कहा कि हमें मच्छरों को पैदा होने से रोकना है । साथ ही चिकित्सकों को मलेरिया रोगियों का प्रभावी उपचार भी करना होगा । उन्होंने कहा कि मच्छर पैदा होते ही मलेरिया कारक नहीं होता दरअसल मलेरिया ग्रस्त रोगी का रक्त चूसने के बाद ही मलेरिया के विषाणु मच्छर में आते हैं और फिर सैकड़ों नागरिक उसका शिकार बनते हैं। इसलिये मच्छरों को पैदा न होने देना जितना जरूरी है उतना ही मलेरिया रोगी का सही उपचार भी ।
कार्यशाला में अन्य विभागीय अधिकारियों ने भी मलेरिया नियंत्रण में प्रभावी सहयोग का आश्वासन दिया ।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें