सोमवार, 9 नवंबर 2009

कवि सम्मेलन : उनके अलफाज खनखनाते थे, वो लिखा करते थे खूने दिल से , पत्रकारों के कवि सम्मेलन से सम्पन्न हुआ मध्यप्रदेश सप्ताह

कवि सम्मेलन : उनके अलफाज खनखनाते थे, वो लिखा करते थे खूने दिल से , पत्रकारों के कवि सम्मेलन से सम्पन्न हुआ मध्यप्रदेश सप्ताह

हमें खेद है मुरैना मध्‍यप्रदेश में चल रही भारी बिजली कटौती के कारण इस समाचार के प्रकाशन में विलम्‍ब हुआ है, फेलुअर विद्युत सप्‍लाई सही होने तक फोटो व समाचार समय पर हम अपडेट नहीं कर सकेंगे, इसके लिये हम क्षमाप्रार्थी हैं, कृपया अपडेट के लिये हमें ई मेल, जवाबी मेल या टिप्‍पणीयां न भेजें बिजली कटौती और कई अन्‍य कारणों से हम समय पर अपडेट नहीं दे पा रहे हैं इस सम्‍बन्‍ध में हम अलग से स्‍पष्‍टीकरण व अपनी मजबूरीयों का अलग से शीघ्र ही समाचार दे रहे हैं नरेन्‍द्र सिंह तोमर ''आनन्‍द'' प्रधान संपादक ग्‍वालियर टाइम्‍स समूह  

ग्वालियर 08 नवम्बर 09। म प्र. स्थापना का सात दिवसीय समारोह म प्र. के सपूत और देश के मूर्धन्य पत्रकार प्रभाष जोशी को श्रध्दांजलि अर्जित करने के साथ हुआ। कला वीथिका में समारोह के अंतिम दिन संपन्न पत्रकारों के कवि सम्मेलन में प्रभाष जोशी को राकेश अचल ने कुछ इस तरह से श्रध्दांजलि अर्जित की।

       मैं बहुत बदहवास हूँ कल से।

       झपकियां ले सका हूँ मुश्किल से॥

       उनके अलफाज खनखनाते थे।

       वो लिखा करते थे खूने दिल से॥

       वरिष्ठ पत्रकार डॉ. भगवान स्वरूप चैतन्य की अध्यक्षता में आयोजित कवि सम्मेलन में राज एक्सप्रेस के स्थानीय संपादक विजय शुक्ल ने पैसे की महिमा बखान की।

       पद, पैसा और पावर जग में,

       तीनों तत्व महान हैं,

       बहुत खरी कहूँ, सुनले भैया,

       धरती के भगवान हैं।

       संयुक्त संचालक जनसंपर्क श्री सुभाष चंद्र अरोड़ा ने अपनी बहुचर्चित कविता ''बिंत'' पढ़कर श्रोताओं को भाव विभोर कर दिया। उन्होंने कहा

       बिंत यूँ तो तोहफा है खुदा का,

       हुस्न चमन का,

       दौलत घर की,

       नाक कबीले की,

       फिर भी महबूब से मरहूम हैं।

       संस्कृत पत्रिका ऋतम् के संपादक पं. एस एन. मिश्रा ने पर्वतों के माध्यम से बहुत अनूठा दृश्य चित्र प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा-

       उड़ते पर्वत, मुड़ते पर्वत,

       घुमड़े पर्वत, उमड़े पर्वत,

       इंद्र न अब तक काट सका है,

       इस पर्वत के पंखों को।

       पत्रकार रामप्रकाश शर्मा नूतन ने एक आध्यात्मिक रचना प्रस्तुत की। एम के. गौरी ने कहा।

       ऋतुयें बदलीं तो परिंदे भी बदल गये।

       सावन भी वर्षे तो बादल भी बरस गये॥

       वरिष्ठ पत्रकार और साहित्यकार राकेश अचल ने अपनी गजलों तथा गीतों से समा बांध दिया। उन्होंने कहा-

       आपका, मुझसे है जो कुछ भी 'रिलेशन' सर जी।

       उसके आधार पै बनता है ये 'नेशन' सर जी॥

       कोख मिलती है किराये से फिरी एक पै एक।

       और अब कितना करायेंगे 'रिसेशन' सर जी।

       कवि सम्मेलन के अध्यक्ष डॉ. भगवान स्वरूप चैतन्य ने म प्र. पर केन्द्रित गीत-भारत माँ का हृदय हमारा, प्यारा मध्यप्रदेश प्रस्तुत कर श्रोताओं को पूरे मप्र. की यात्रा करा दी।

       दो चरणों में सम्पन्न हुए इस कवि सम्मेलन में म प्र. राज्य सहकारी संघ के अध्यक्ष श्री अरूण तोमर, वरिष्ठ पत्रकार देव श्रीमाली, प्रदीप माढ़रे, सुरेन्द्र माथुर, सुनील पाठक, तेजपाल सिंह, वरिष्ठ साहित्यकार प्रेम बहादुर अजय, तेजनारायण शुक्ला विशेष रूप से उपस्थित थे।

      संयुक्त संचालक जनसंपर्क श्री सुभाष चन्द्र अरोड़ा ने कवियों को अंगवस्त्र, श्रीफल और स्मृति चिन्ह भेंट कर उनका अभिनंदन किया। कवियों का स्वागत उप संचालक जनसंपर्क श्री जी एस. मौर्य, दुर्गेश रायकवार एवं अनिल वशिष्ठ ने किया। अंत में हितेन्द्र भदौरिया ने आभारव्यक्त किया।

 

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