लक्ष्मीतरू: घी, औषधि और बॉयोडीजल देने वाला वृक्ष
ब्राजील से आया पैराडाइज ट्री ग्वालियर -चम्बल के लिए भी उपयुक्त-डा. बिसारिया
ग्वालियर 8 अप्रैल 10। लक्ष्मीतरू बॉयोडीजल, औषधि और घी देने वाला खूबसूरत और सजावटी वृक्ष हैं। पैराडाईज ट्री के नाम से प्रसिध्द इस लक्ष्मीतरू का वैज्ञानिक नाम सिंमारूबा गलौका है । ब्राजील देश में पाया जाने वाला यह पौधा अब हिन्दुस्तान में भी धीरे - धीरे लोकप्रिय होने लगा है । मुख्य वन संरक्षक डा0 अक्षय कुमार बिसारिया ने बताया कि महाराष्ट्र, तमिलनाडु और उड़ीसा में कामयाबी के उपरांत मध्यप्रदेश में सबसे पहले अनुसंधान विस्तार केन्द्र ग्वालियर द्वारा इस के पौधे तैयार किये गये हैं । उन्होनें आगे कहा कि वर्तमान में इस लक्ष्मीतरू के दस हजार पौधे रोपणियों में तैयार किये जा चुके हैं ।
लक्ष्मी तरू के संबंध में जानकारी देते हुए उन्होनें बताया कि लगभग 15 मीटर तक ऊँचाई प्राप्त करने वाला यह एक खूबसूरत हरी पत्तियों वाला सदाबहार वृक्ष है । इस वृक्ष के बीज से निकलने वाले तेल का जहाँ बॉयो डीजल बनाया जा सकता है वहीं इस तेल को (जो घी की तरह जम जाता है) बतौर खाद्य तेल भी उपयोग किया जा सकता है । लक्ष्मी तरू की छाल में औषधीय गुण हैं जो पेचिश, मलेरिया और त्वचा रोगों को दूर करने में उपयोगी हैं। लक्ष्मीतरू के बीजों में साठ प्रतिशत तक तेल प्राप्त होता है और इसकी खली अच्छी खाद भी सिध्द हुई है। इस खाद में आठ प्रतिशत नाइट्रोजन होती है । इस वृक्ष की लकड़ी हल्की और फर्नीचर के लिए सर्वथा उपयुक्त होती है साथ ही इसमें कीड़े भी नहीं लगते।
डा0 बिसारिया ने ग्वालियर चम्बल संभाग में लक्ष्मी तरू को अपनाने की अपील की है। उन्होनें कहा कि लक्ष्मीतरू के लिए इस क्षेत्र की जलवायु सर्वथा उपयुक्त है । एक तो यह वृक्ष पड़त भूमि में भी अच्छे से पनपता है और 40 डिग्री सैल्सियस तक तापक्रम में भी अप्रभावित रहता है। प्रारंभिक परीक्षणों में इस क्षेत्र में इसकी वृध्दि सामान्य रूप से सन्तोषजनक पायी गई है। साथ ही जहाँ जैट्रोफा के बीज खाने से स्वास्थ्य को हानि होती है वहीं लक्ष्मी तरू का तेल बिना किसी नुकसान के बतौर खाद्य तेल इस्तेमाल किया जा सकता है। डा0 बिसारिया का मानना है कि इस वृक्ष आधारित तेलीय बीज को बढ़ावा देने से आर्थिक संपन्नता के साथ साथ खराब भूमि में लक्ष्मी तरू के वृक्षारोपण से पर्यावरण संरक्षण का भी लाभ मिलेगा ।
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