शुक्रवार, 9 अप्रैल 2010

प्रतिनिधियों के पत्रों पर समुचित कार्यवाही के निर्देश

प्रतिनिधियों के पत्रों पर समुचित कार्यवाही के निर्देश

ग्वालियर 08 अप्रैल 10। राज्य शासन ने शासकीय अमले द्वारा जनप्रतिनिधियों के पत्रों पर समुचित कार्यवाही करने के संबंध में समस्त विभागाध्यक्षों, जिलों के कलेक्टर एवं संबंधित शासकीय कर्मचारियों अधिकारियों को आवश्यक दिशा निर्देश जारी किये हैं।

       निर्देशों में संसद सदस्यों एवं विधायकों के साथ शासकीय अधिकारियों कर्मचारियों द्वारा सौहार्दपूर्ण व्यवहार करने तथा उनसे प्राप्त पत्रों पर कार्यवाही करने के संबंध में कहा गया है। निर्देशों में कहा गया है कि शासकीय अमला संसद सदस्यों एवं विधायकों के प्रति  यथोचित शिष्टाचार तथा सम्मान दर्शायें तथा उनके कार्य निष्पादन व कर्तव्यों के निर्वहन में उनकी सहायता करें। यदि कोई शासकीय अधिकारी कर्मचारी किसी संसद सदस्य एवं विधायक के अनुरोध या सुझाव को स्वीकार करने में असमर्थ हैं तो उसे नम्रता एवं शिष्टाचार के साथ उनके उक्त अनुरोध को स्वीकार न कर पाने में  अपनी असमर्थता के कारण स्पष्ट कर देने चाहिये।

       निर्देशों में स्पष्ट  किया है कि शासकीय कर्मी को जनप्रतिनिधियों का अभिवादन, आदर, शालीनतापूर्ण बात एवं शिष्टाचार पर विशेष ध्यान देना चाहिये। जनप्रतिनिधि किसी अधिकारी से मिलने आये तो उन्हें सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाये। अगर शासकीय कार्य के कारण व्यस्तता हो तो विनम्रता पूर्वक वस्तुस्थिति स्पष्ट करते हुए उनसे परामर्श कर सुविधानुसार कोई अन्य समय निश्चित किया जाये।

       निर्देशों में कहा गया है कि संसद सदस्यों तथा विधायकों से प्राप्त पत्रों की अभिस्वीकृति तथा उत्तर यथाशीघ्र दिया जाना प्रत्येक ऐसे अधिकारी की जिम्मेदारी है जिसे वह पत्र सम्बोधित हो। शासकीय अधिकारियों, कर्मचारियों को संसद सदस्यों तथा विधायकों से प्राप्त पत्र की पावती अधिकतम तीन दिन में अनिवार्यत भेजी जानी चाहिये। साथ ही प्राप्त पत्र पर सावधानी पूर्वक विचार कर उचित स्तर पर उसका उत्तर कम से कम समय में भेजा जाना चाहिये। यदि कार्यवाही अधीनस्थ कार्यालय द्वारा की जाना हो तो प्रकरण तत्काल उसे भेजा जाये तथा तत्पश्चात प्राप्त प्रतिवेदन से जनप्रतिनिधि को अवगत कराना चाहिये। यदि कार्यवाही पूर्ण होने में अधिक समय लगने की संभावना हो तो सदस्य को तदनुसार अवगत कराना चाहिये। इसके अतिरिक्त सांसदों व विधायकों से पत्राचार करते समय आदरसूचक शब्द यथा माननीय से उन्हें सम्बोधित किया जाना चाहिये तथा भाषा विनम्र होना चाहिये।

       संसद सदस्य व विधायक द्वारा मांगे जाने पर अधिकारियों द्वारा उन्हें लोकहित की ऐसी तथ्यात्मक जानकारी तत्काल दी जानी चाहिये जो यथास्थिति जिला व राज्य के कल्याण से संबंधित हो और अधिकारियों के पास उपलब्ध हो। संसद सदस्यों व विधायकों से प्राप्त शिकायतों की जांच सावधानीपूर्वक तत्काल की जाये और यदि सांसद व विधायक द्वारा सुनवाई चाही गई हो तो निराकरण अथवा जांच प्रतिवेदन उच्च अधिकारी को भेजने के पूर्व सुनवाई का पूर्ण अवसर दिया जाये। समस्त विभागों को यह सुनिश्चित करना चाहिये कि उनके कार्यालय द्वारा आयोजित किसी सार्वजनिक समारोह में उस क्षेत्र के जनप्रतिनिधयों को अनिवार्य रूप से आमंत्रित किया जाये और प्रवेश पत्र, जहां  कहीं भी आवश्यक हो, समय से पूर्व भेजे जायें, ताकि इस संबंध में किसी भी प्रकार की असुविधा न हो। सार्वजनिक  समारोहों में उपस्थित संसद सदस्यों व विधायकों को समुचित सम्मान दिया जाये और वारन्ट ऑफ प्रेसीडेन्स के आधार पर ही माननीय सदस्यों के बैठने के लिये उनकी गरिमा के अनुकूल स्थान सुरक्षित रखा जाये।

       जब कोई संसद सदस्य व विधायक किसी अधिकारी से दूरभाष पर संपर्क स्थापित करना चाहते हैं तो अधिकारी की अनुपलब्धता के कारण उनके स्टॉफ को नोट करा दिया जाता है। तत्पश्चात अधिकारी द्वारा वापस आने पर सदस्य से दूरभाष पर अवश्य चर्चा करनी चाहिये। सभी संसदीय समितियों या विधानसभा समितियों को व्यक्तियों को बुलाने तथा पत्रों और अभिलेखों को मंगाने की शक्ति प्राप्त है। इसलिये समिति द्वारा अपेक्षा किये जाने पर अधिकारियों को यथासंभव उनके समक्ष होना चाहिये और यदि किन्ही अपरिहार्य कारणों से वे समिति के समक्ष उपस्थित होने में असमर्थ हों तो वे स्वयं समिति के सभापति को पत्र लिखकर अनुपस्थिति के लिये अनुमति प्राप्त कर लें और अपने स्थान पर किसी ऐसे अन्य वरिष्ठ अधिकारियों को भेजें जो समिति के समक्ष स्पष्ट उत्तर दे सकें।

       संसद सदस्यों या विधायकों को जिला, तहसील एवं ब्लॉक स्तर पर भी अधिकारियों तथा कर्मचारियों से संपर्क स्थापित करना पड़ता है। इसके लिये समस्त जिलाध्यक्ष जिला, तहसील एवं ब्लॉक स्तर पर भी यह सुनिश्चित करने के निर्देश दिये गये हैं। संसद सदस्यों व विधायकों से प्राप्त पत्रों पर तुरंत कार्यवाही सुनिश्चित करने के लिये प्रत्येक विभाग, कार्यालय में निर्धारित प्रपत्र के अनुसार पंजी का संधारण करें। यह पंजी सचिव, विभागाध्यक्ष, जिलाध्यक्ष एवं विभाग के प्रभारी अधिकारी स्वयं हर पखवाड़े देखना सुनिश्चित करेंगे कि सदस्यों के पत्रों पर आवश्यक कार्यवाही की जा रही है और संसद सदस्यों व विधायकों को उनके प्रत्येक पत्र की पावती व अन्तरिम उत्तर भेज दिया गया है और कार्यवाही पूर्ण होने पर उन्हें अवगत करा दिया गया है। इस कार्य में लापरवाही बरतने वाले अधिकारी व कर्मचारी के विरूध्द आवश्यक कार्यवाही संबंधित सक्षम अधिकारी द्वारा की जायेगी। उक्त कार्य का अनुश्रवण शासन स्तर पर करने का निर्णय लिया गया है। इसके लिये प्रत्येक विभाग अपने तथा अपने विभागाध्यक्ष कार्यालय में तथा प्रत्येक जिलाध्यक्ष अपने तथा अपने जिले में कार्यरत समस्त कार्यालयों  में जनप्रतिनिधियों से प्राप्त पत्रों की समेकित मासिक जानकारी की समीक्षा करेंगे। यदि किसी संसद सदस्य अथवा विधायक से किसी शासकीय अधिकारी- कर्मचारी के विरूध्द यथोचित शिष्टाचार न बरतने, पत्रों का समयावधि में उत्तर न देने अथवा उक्त निर्देशों का पालन न करने के संबंध में संसदीय कार्य विभाग को कोई शिकायत प्राप्त होती है तो संसदीय कार्य विभाग द्वारा उसकी जांच पड़ताल कर तत्संबंध में आवश्यक कार्यवाही सुनिश्चित की जायेगी।

 

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