हैजा जानलेवा हो सकता है, बचाव के लिये सावधानियाँ जरूरी
-मुख्य चिकित्सा अधिकारी
ग्वालियर 11अप्रैल 10। हैजा एक बैक्टीरियल बीमारी है। जो कि मुख्यत: दूषित एवं संक्रमित पानी एवं भोजन के सेवन से होती है। इस बीमारी के मुख्य लक्षणों में अधिक मात्रा में ज्यादा पतले दस्त (राईस वाटर दस्त), उल्टी एवं हाथ पैरों में दर्द, पेट दर्द के साथ साथ शरीर में कमजोरी महसूस होने लगती है। इससे शरीर में अत्यधिक पानी की कमी हो जाती है और मरीज अचेत अवस्था (शॉक) में जा सकता है और अत्यधिक गंभीर परिस्थितियों में हैजा से मरीज की मृत्यु भी हो सकती है।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी ने बताया कि इस बीमारी से बचाव हेतु पीने का पानी का उपयोग उवाल कर अथवा क्लोरीन युक्त पानी का उपयोग ही करें। ताजी सब्जियाँ अच्छी तरह से पकाकर ही सेवन करें। फलों को अच्छी तरह से धोकर ही खावें। बाहर भोजन करने से बचें। उन्होंने में खुले में खाद्य सामग्री बचने वाले ठेले एं दुकानदारों से अपील की है कि गर्मी एवं बरसात के मौसम में खाद्य पदार्थों को ढक कर रखें तथा साफ-सफाई का ध्यान रखें ताकि आमजन को हैजा जैसी जानलेवा बीमारियों से बचाया जा सके।
उन्होंने कहा कि इस बीमारी के लक्षण होने पर घरेलू इलाज में मरीज को ओ आर एस. का घोल, नीबू पानी, दाल का पानी अथवा चावल का पानी पिलाने की हिदायत दी है। इस बावत सभी शासकीय चिकित्सकों एवं स्टॉफ को सतर्क रहने की हिदायत दी गई है। हैजा रोग के उपचार में सहयोगी दवायें, आई व्ही फ्लूड (रिंगर) और अन्य आवश्यक सामग्री शासकीय चिकित्सालयों में पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हैं। अगर उक्त तरीकों से पीड़ित व्यक्ति ठीक न हो तो उसे तुरंत निकट के स्वास्थ्य केन्द्र पर उपचार हेतु ले जावें।
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