गुरुवार, 8 अप्रैल 2010

जैव विविधता के संरक्षण के लिये साझा दृष्टि विकसित करनी होगी- अनूप मिश्रा

जैव विविधता के संरक्षण के लिये साझा दृष्टि विकसित करनी होगी- अनूप मिश्रा

जैव विविधता से आजीविका विषय पर राज्य स्तरीय कार्यशाला सम्पन्न

ग्वालियर 07 अप्रैल 10। लोक स्वास्थ्य, परिवार कल्याण एवं जैव विविधता मंत्री श्री अनूप मिश्रा ने कहा है कि प्रदेश की प्रचुर जैव विविधता के संरक्षण, इसके संवर्धन, उपयोग तथा प्राप्त होने वाले लाभों के समुचित बंटवारे पर आधारित ऐसा विकास जो लोगों को सशक्त कर सके। इस नजरिये को राज्य के 6 करोड़ लोगों से बांटते हुए एक साझा दृष्टि विकसित करनी होगी। इसे करने के लिये संयुक्त रूप से काम करने की एक मजबूत संस्कृति का विकास आवश्यक होगा, जिसमें सहभागी हों शासकीय एजेन्सियां, गैर शासकीय संगठन, स्थानीय समुदाय, जनप्रतिनिधि, शैक्षणिक एंव शोध संस्थायें, मीडिया आदि। मध्यप्रदेश जैव विविधता बोर्ड को अपनी भूमिका इस व्यापक परिप्रेक्ष्य में देखना होगी।

       श्री अनूप मिश्रा ने यह बात आज यहां राज्य स्वास्थ्य प्रबंधन एवं संचार संस्थान में जैव विविधिता से आजीविका विषय पर आयोजित राज्य स्तरीय कार्यशाला में कही। जैव विविधता  वर्ष में कार्यशाला का आयोजन मध्यप्रदेश राज्य जैव विविधता बोर्ड एवं वन विभाग के संयुक्त तत्वावधान में किया गया। इस अवसर पर जैव विविधता बोर्ड के सचिव श्री जब्बार ढ़ाकवाला, कलेक्टर श्री आकाश त्रिपाठी, बोर्ड के सदस्य सचिव श्री सुधीर कुमार, सदस्य श्री इन्द्रबहादुर सिंहं, मुख्य वन संरक्षक श्री ए के. विसारिया एवं श्री सिन्हा, बोर्ड एवं जिले के अधिकारी, जैव विविधता समितियों के सदस्य, विषय विशेषज्ञ किसान तथा गणमान्य नागरिक भी उपस्थित थे।

       जैव विविधता मंत्री श्री अनूप मिश्रा ने कहा कि प्रदेश की सम्पन्न जैव सम्पदा में लोगों को आजीविका उपलब्घ कराने की बहुत संभावनायें हैं। कई सहभागियों के साथ मिलकर इन संभावनाओं को साकार कराने में बोर्ड की प्रमुख भूमिका है। जैव संसाधनों का आंकलन , उन्नत तकनीक के माध्यम से उनका संरक्षण, संवहनीय दोहन एवं प्रसंस्करण, बाजार व्यवस्था से संबंधित एवं समुदाय की क्षमता वृध्दि आदि प्रयास करने होंगे। उन्होंने कहा कि प्रदेश के प्रत्येक जिले में बॉटॉनीकल गार्डन, जैव विविधता एंव जैव प्रौद्यौगिकी पार्क बनें। ताकि लोगों को जैव सम्पदा के महत्व को समझाया जा सके। नीम एवं हल्दी के प्रति उनका दर्द था कि इन्हें हम अब तक पेटेन्ट नहीं करा पाये हैं। उन्होंने कहा कि नीम के पौधे की खली एवं तेल दोनों  उपयोगी हैं तथा ये लोगों के आजीविका के अच्छे साधन हो सकते हैं। इसलिये इनकी दरें तय करके विपणन की समुचित व्यवस्था करनी होगी। इसी प्रकार मत्स्याखेट आदि के लिये नदियों में श्रृध्दा के घाटों को चिन्हित करके उन्हें संरक्षित करने की आवश्यकता है। साथ ही श्रध्दा के प्रतीक देववन को संरक्षित किया जा सकता है। श्री मिश्रा ने सुझाव दिया कि प्रत्येक जिले में विलुप्त प्रजातियों के प्रदर्शन प्लाट डाले जायें। क्यों कि मूल प्रजाति संकटापन्न है तथा वह विलुप्त होने की कगार पर हैं। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य से आजीविका तक प्रकृति का संतुलित दोहन किया जाये। जैव विविधता का दृण इच्छा शक्ति से संरक्षण होगा, इसमें बजट आड़े नहीं आता है। श्री मिश्रा ने कहा कि स्थानीय प्रजातियों भदावरी भैंस, गूगल एवं खैर के कम होते जाने पर चिन्ता व्यक्त की। बोर्ड के अधिकारियों को उन्होंने निर्देश दिये कि 14 से 18 अप्रैल तक जैव विविधता समितियों की बैठक बुलाकर कार्य योजना बनाई  जाये, जिसके आधार पर काम किया जा सके। इसी प्रकार जैव विविधता के विषय विशेषज्ञ अपने शोध संबंधी दस्तावेज आम आदमी तक पहुँचायें। इस अवसर पर उन्होंने जैव विविधता पर बनाई गई जैव विविधता जीवन का जाल फिल्म की सीडी एवं अन्य साहित्य का विमोचन किया।

       जैव विविधता बोर्ड के सचिव श्री जब्बार ढ़ाकवाला ने कहा कि जैव विविधता बचाने के लिये लोगों को सशक्त करने के उद्देश्य से कार्यशाला का आयोजन किया गया है। उन्होंने सुझाव दिया कि जैव विविधता की जानकारी ग्रामीण लोगों को उनकी स्थानीय भाषा में दी जाये। उन्होंने बताया कि  जिला स्तर पर जैव विविधता समितियां गठित की गई हैं। इन्हें क्रियाशील रहकर कार्य करना होगा। बोर्ड के सदस्य सचिव  श्री सुधीर कुमार ने कहा कि ग्वालियर में प्रदेश स्तरीय पहली कार्यशाला हुई है। इसके आधार पर आगे की रूपरेखा बनाई जायेगी। उन्होंने कहा कि म प्र. जैव विविधता में समृध्द राज्य है, लेकिन अनेक प्रजातियाँ विलुप्त हो रहीं हैं। यदि ये नष्ट हो गईं, तो इन्हें पुनर्जीवित नहीं कर पायेंगे। उन्होंने कहा कि लघु वनोपज के संरक्षण से लोगों को आजीविका चलाने में काफी मदद मिल सकती है।

       जीवाजी विश्वविद्यालय के प्रोफेसर श्री ए के. जैन ने पादप विविधता को स्लाइड के माध्यम से विस्तार से समझाया। उन्होंने कहा कि विभिन्न वनस्पतियों की प्रजातियों को भी समझना आवश्यक है। इससे जैव विविधता बढ़ती है। उन्होंने सुझाव दिया कि जो वृक्ष अधिक पुराने हैं, ऐसे हैरीटेज वृक्षों के संरक्षण के लिये बोर्ड को प्रयास करने होंगे। बरकतुल्ला विश्वविद्यालय के प्रोफेसर विपिन व्यास ने जलीय  जीवों की जैव विविधता पर विस्तार से प्रकाश डाला। कार्यशाला में अन्य विषय विशेषज्ञों ने भी जैव विविधता पर विस्तार से प्रकाश डाला। इस अवसर पर जैव विविधता पर आधारित एक प्रदर्शनी भी लगाई गई है। जिसका मंत्री श्री मिश्रा ने अवलोकन किया। अंत में बोर्ड की ओर से श्री अभिलाष दुबे ने आभार व्यक्त किया।

 

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