शुक्रवार, 19 जून 2009

बलिदानियों के महान कार्यों से नई पीढ़ी को परिचित कराने की आवश्यकता - जनसंपर्क मंत्री श्री शर्मा

बलिदानियों के महान कार्यों से नई पीढ़ी को परिचित कराने की आवश्यकता - जनसंपर्क मंत्री श्री शर्मा

दो दिवसीय वीरांगना लक्ष्मीबाई बलिदान मेला का समापन

ग्वालियर 18 जून 09। जनसंपर्क एवं संस्कृति मंत्री श्री लक्ष्मीकांत शर्मा ने आज यहां आयोजित दो दिवसीय वीरांगना लक्ष्मीबाई बलिदान मेला का समापन किया। इस बलिदान मेला का आयोजन वर्ष 2000 से प्रतिवर्ष वीरांगना लक्ष्मीबाई बलिदान स्मारक समिति एवं संस्कृति विभाग द्वारा 17 18 जून को किया जाता है। इस अवसर पर शहीद सैनिक एवं क्रांतिकारी के परिवारीजन तथा देशभक्ति के लिये काम करने वालों को मंत्री श्री शर्मा ने सम्मानित किया। इस अवसर पर गृह राज्य मंत्री श्री नारायण सिह कुशवाह, नगर निगम के महापौर श्री विवेक नारायण शेजवलकर, सांसद श्रीमती माया सिंह, पूर्व सांसद श्री जयभान सिंह पवैया, राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष श्रीमती कृष्णकांता तोमर, ग्वालियर विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष श्री जगदीश शर्मा, साडा अध्यक्ष श्री जय सिंह कुशवाह, नगर निगम के सभापति श्री ब्रिजेन्द्र सिंह जादौन, श्री अभय चौधरी, पत्रकार, जनप्रतिनिधि तथा बड़ी संख्या में नगर के गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।

      मुक्ति की 151 वीं वर्षगाँठ के अवसर पर आयोजित बलिदान मेला में जनसंपर्क एवं संस्कृति मंत्री श्री शर्मा ने कहा कि देश के लिये अपने जीवन का बलिदान करने वालों को याद करना एवं उनके द्वारा किये गये महान कार्यों से नई पीढ़ी को परिचित कराने के उद्देश्य से बलिदान दिवस का आयोजन होना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि वीरांगना लक्ष्मीबाई बलिदान मेला उन पंक्तियों को चरितार्थ करता है, जिसमें कहा गया है कि ''शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर वर्ष मेले''। श्री शर्मा ने कहा कि इतिहास की जानकारी देने वाले ऐसे मेलों के आयोजन के लिये सभी को सहयोग करना चाहिये। शहीद मेलों का आयोजन पूरी भव्यता के साथ हो इसके लिये राज्य सरकार पूरा सहयोग देगी। उन्होंने साध्वी ऋतम्भरा जी को राष्ट्रभक्ति, आध्यात्म एवं वात्सल्य की प्रतिमूर्ति निरूपित किया।

      मेला के संस्थापक श्री जयभान सिंह पवैया ने कहा कि बलिदान मेला का आयोजन स्थल स्वाभिमान की लड़ाई का मैदान है। उन्होंने कहा कि बलिदानियों की शौर्य गाथा से नौजवानों को प्रेरणा मिले, इस उद्देश्य से इस मेला की शुरूआत की गई। अब यह सबसे बड़ा शहीद मेला बन गया है। वीरांगना सम्मान से सम्मानित साध्वी ऋतम्भरा जी ने कहा कि आजादी के पथपर चलकर अपना जीवन न्यौछावर करने वालों को याद करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि शौर्य और बलिदान की कहानी रक्त से लिखने वाले वीर शहीदों को हम नमन करते हैं। महारानी लक्ष्मीबाई बलिदान की अद्भुत मिसाल थी और शौर्य तथा ममत्व संगम भी। देश उनका सदा ऋणी रहेगा। इसके पूर्व जनसंपर्क मंत्री श्री शर्मा ने साध्वी ऋतम्भरा को वीरांगना सम्मान एवं कश्मीर में आतंकवाद के खिलाफ आन्दोलन चलाने वाली डॉ. दरक्षा आन्द्रवी को भारत भक्त सम्मान से सम्मानित किया। उन्होंने क्रान्तिकारी तात्या टोपे के वंशज श्री भाल चन्द्र जी टोपे एवं शहीद सैनिक धर्मवीर सिंह की धर्मपत्नी श्रीमती गिरिजा देवी को भी सम्मानित किया।

      इस अवसर पर वंदेमातरम् ग्रुप द्वारा महारानी लक्ष्मीबाई के जीवन पर आधारित नाटक का मंचन किया गया। इस नाटक में मुगल सम्राट जहांगीर से अंग्रेजों द्वारा भारत में व्यापार करने की अनुमति से लेकर प्रथम स्वतंत्रता संग्राम तक झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई द्वारा अंग्रेजों के विरूध्द युध्द करते हुये वीरगति को प्राप्त करने तक की कहानी को बखूबी प्रस्तुत किया गया। 

 

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