मध्यप्रदेश की नई परिवहन नीति प्रस्तावित, नागरिकों से सुझाव आमंत्रित
ग्वालियर 17 जून 09 । परिवहन विभाग मध्यप्रदेश ने नई परिवहन नीति प्रस्तावित की है तथा इस बारे में नागरिकों से उनके सुझाव मांगे हैं। इस नई परिवहन नीति के मुख्य उद्देश्यों में सड़क आधारित सार्वजनिक परिवहन को अधिक सस्ता, सुगम, सुरक्षित और सुविधापूर्ण बनाया जाना शामिल है। इसी तरह ग्रामीण क्षेत्रों में सार्वजनिक परिवहन साधनों का विस्तार करना और गरीब और बेरोजगारों को परिवहन क्षेत्र में अधिक रोजगार उपलब्ध कराना इस नई नीति का मकसद है।
परिवहन आयुक्त मध्यप्रदेश श्री एन.के. त्रिपाठी ने प्रस्तावित नई परिवहन नीति की प्रमुख विशेषताओं के बारे में विस्तार से जानकारी दी है, जो इस प्रकार है-
· बस व्यवस्था :
प्रदेश के अंदर बसों के संचालन के लिये प्रस्तावित नई परिवहन नीति में खुली परमिट व्यवस्था लागू की जायेगी। परमिटों के आवेदन तथा प्रोसेसिंग व्यवस्था को पारदर्शी बनाने के लिए पूर्ण रूप से कम्प्यूटरीकृत किया जायेगा तथा इसकी मॉनिटरिंग प्रदेश स्तर पर की जायेगी। इससे बस आपरेटरों के बीच स्वस्थ प्रतिस्पध्र्दा उत्पन्न होगी तथा परिवहन की गुणवत्ता सुनिश्चित हो सकेगी। बसों के किराया निर्धारण के लिये वर्तमान शासकीय एकीकृत व्यवस्था के स्थान पर स्व-स्फूर्त किराया नीति का विकास किया जायेगा। बसों पर टैक्स के लिये वर्तमान त्रि-स्तरीय कर व्यवस्था अत्यंत जटिल है, जिसके स्थान पर सरल कराधान की व्यवस्था की जायेगी। यह सुनिश्चित किया जायेगा कि बसें निर्धारित रूट पर समयानुसार संचालित हों। इसके साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में परिवहन को बढ़ावा देने के लिए बसों को मोटरयान कर में रियायत देकर बस आपरेटरों को विशेष प्रोत्साहन दिया जायेगा।
· बस स्टैण्ड प्रबंधन :
चूंकि वर्तमान में प्रदेश में बस स्टैण्ड व्यवस्था संतोषजनक नहीं है तथा मध्यप्रदेश सड़क परिवहन निगम के समापन के उपरांत उसके द्वारा संचालित बस स्टैण्डों की व्यवस्था में सुधार किया जाना भी आवश्यक हो गया है। इस समस्या के समाधान के लिए प्रस्तावित नई परिवहन नीति के अंतर्गत जिला निगरानी समिति के माध्यम से स्थानीय निकायों के द्वारा बस स्टैण्ड पर सभी जरूरी सुविधाएं उपलब्ध कराई जायेंगी। बस स्टैण्ड पर ऐसी व्यवस्था होगी कि सभी बसें अनुशासित ढंग से समयानुसार चलें तथा इनमें समय-सारणी एवं किराया इत्यादि प्रदर्शित करने की व्यवस्था हो। अमृतसर, देहरादून आदि स्थानों की तरह पब्लिक प्रायवेट पार्टनरशिप के आधार पर प्रदेश में आधुनिक बस स्टैण्ड का निर्माण कराया जायेगा।
· सुरक्षित परिवहन :
सुरक्षित परिवहन व्यवस्था की दृष्टि से चालकों का प्रशिक्षण बेहतर बनाया जायेगा। सभी संभागों में चालक प्रशिक्षण संस्थानों की स्थापना की जायेगी। वाहनों की तकनीकी खराबी के कारण होने वाली दुर्घटनाओं को रोकने के लिए वाहनों की फिटनेस चैकिंग की प्रभावी व्यवस्था की जायेगी। वाहनों की फिटनेस चैकिंग की आउटसोर्सिंग की जायेगी जिससे उच्च स्तर के उपकरणों से वाहनों की फिटनेस चैक की जा सके। राजमार्गों पर ट्रामा सेंटर स्थापित किये जायेंगे। ये ट्रामा सेंटर राजमार्गों पर निश्चित दूरी पर उपलब्ध रहेंगे तथा इसकी जानकारी आम लोगों को देने व्यापक प्रचार-प्रसार व्यवस्था सुनिश्चित की जायेगी। ट्रकों की ओव्हरलोडिंग पर सख्ती से नियंत्रण किया जायेगा जिससे ट्रक दुर्घटनाओं पर रोकथाम के साथ-साथ सड़कों की टूट-फूट को भी नियंत्रित किया जा सकेगा। भारी वाहन के चालकों को पर्याप्त विश्राम करने की सुविधा प्रदान की जायेगी जिससे दुर्घटनाओं की रोकथाम हो सके। यातायात के नियमों का पालन करने के लिए शासकीय एवं अशासकीय संस्थाओं के माध्यम से व्यापक प्रचार-प्रसार कर लोगों में जागरूकता लाई जायेगी।
· माल परिवहन :
अंतर्राज्यीय माल परिवहन को बढ़ावा देने के लिए नेशनल परमिट की व्यवस्था को सुदृढ़ किया जायेगा। प्रदेश के अंदर मालयानों की अनावश्यक चैकिंग नहीं की जायेगी। सीमा जाँच चौकियों पर एकीकृत तथा इलेक्ट्रॉनिक जाँच चौकियों का निर्माण किया जायेगा। इस व्यवस्था से मालयानों का सभी विभागों से संबंधित आवश्यक कार्य एक ही स्थान पर हो सकेगा। इससे मालयानों के परिवहन में बाधायें कम हो सकेंगी।
· शहरी परिवहन व्यवस्था :
शहरी परिवहन व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए प्रदेश के बड़े शहरों में बस रैपिड ट्राँजिट सिस्टम कायम किया जायेगा। प्रदेश के चार बड़े महानगरों में रेल आधारित परिवहन के लिए सर्वे करवाया जायेगा तथा सर्वे के आधार पर अग्रिम कार्रवाई की जायेगी। महानगरों में प्रदूषण कम करने के लिए सभी संभव उपाय किये जायेंगे। इंदौर, उज्जैन एवं ग्वालियर में सी.एन.जी. आधारित परिवहन व्यवस्था को प्रोत्साहन दिया जायेगा।
परिवहन आयुक्त म.प्र. श्री एन.के. त्रिपाठी ने बताया कि उक्त प्रस्तावित परिवहन नीति का विस्तृत प्रारूप मध्यप्रदेश परिवहन विभाग की वेबसाइट http://www.mptransport.org/ पर उपलब्ध है। उन्होंने बताया कि नागरिक उक्त वेबसाइट से प्रस्तावित नीति का प्रारूप देखकर इस बारे में अपने सुझाव या प्रतिक्रियाएं वेबसाइट पर लिखित माध्यम से परिवहन विभाग को दे सकते हैं।
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