** बुरे फसे **
-सुहेलउद्दीन-
सेठ जी पड़ गऐ जब बीमार,
चोरी हो गई उनकी कार।
पहूचे थाने, रपट लिखाने
बोले दरोगा-कया है बात ?
किससे हो गई, घूंसा-लात
सेठ जी बोले. चोरी हो गई कार
रपोट लिखो , मेरी सरकार....
बोले दरोगा- थोडा सा कुछ पुण्य कमाओं
रपोट लिखूगा भेंट चढ़ाओं।
सेठ जी बोले पहिले मिल जाऐ मेरी कार ,
भेंट चढेंगी तब सरकार...
चिड़ा दरोगा, बोला सेठ
देखूगा तू मत दे भेंट
गाडी नम्बर नाम बताओ,
सेठ जी बोले विन पहिओ के खड़ी हुई थी,
सीटे- बॉडी सड़ी हुई थी।
चार के पीछे, आठ-अठरह,
मिली दहेज में, मुझे खटरा
बोले दरोगा-अब तेरे बज गए बारह,
दहेज एक्ट की, लगेगी धारा
सेठ जी बोले-गलती हो गई माई-बाप।
जो लेना है ले लो आप
बोले दरोगा-कार की कीमत जितनी भाई
भेंट लगेगी एक चौथाई
सेठ जी बोले.. कार मिली न रपट लिखाई,
फिर भी लग गई एक चौथाई।
बोले दरोगा- रखता हूं मैं तेरी भेंट।
लम्बा हो ले.... अब... तू सेठ...
सेठ जी बोले. घर लुटे या लुटे लुगाई
अब नहीं आना थाने भाई
-सुहेलउद्दीन-
बानमोर जिला मुरैना
1 टिप्पणी:
सही लिखा है सुहैल जी, पुलिस ऐसी ही होती है आम तौर पर.
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