बुधवार, 10 मार्च 2010

** बुरे फसे ** -सुहेलउद्दीन-

** बुरे फसे **

  -सुहेलउद्दीन-

 

सेठ जी पड़ गऐ जब बीमार,

चोरी हो गई उनकी कार।

पहूचे थाने, रपट लिखाने

बोले दरोगा-कया है बात ?

किससे हो गई, घूंसा-लात

सेठ जी बोले. चोरी हो गई कार

रपोट लिखो , मेरी सरकार....

बोले दरोगा- थोडा सा कुछ पुण्य कमाओं

रपोट लिखूगा भेंट चढ़ाओं।

सेठ जी बोले पहिले मिल जाऐ  मेरी कार ,

भेंट चढेंगी तब सरकार...

चिड़ा दरोगा, बोला सेठ

देखूगा तू मत दे भेंट

गाडी नम्बर नाम बताओ,

सेठ जी बोले विन पहिओ के खड़ी हुई थी,

सीटे- बॉडी सड़ी हुई थी।

चार के पीछे, आठ-अठरह,

मिली दहेज में, मुझे खटरा

बोले दरोगा-अब तेरे बज गए बारह,

दहेज एक्ट की, लगेगी धारा

सेठ जी बोले-गलती हो गई माई-बाप।

जो लेना है ले लो आप

बोले दरोगा-कार की कीमत जितनी भाई

भेंट लगेगी एक चौथाई

सेठ जी बोले.. कार मिली न रपट लिखाई,

फिर भी लग गई एक चौथाई।

बोले दरोगा- रखता हूं मैं तेरी भेंट।

लम्बा हो ले.... अब... तू सेठ...

सेठ जी बोले. घर लुटे या लुटे लुगाई

अब नहीं आना थाने भाई

  -सुहेलउद्दीन-

बानमोर जिला मुरैना

 

1 टिप्पणी:

भारतीय नागरिक - Indian Citizen ने कहा…

सही लिखा है सुहैल जी, पुलिस ऐसी ही होती है आम तौर पर.