हरिकथा,मिलाद और चादर पोशी के साथ चार दिवसीय तानसेन समारोह शुरू
ग्वालियर, 5 दिसम्बर 08 / महान संगीतज्ञ तानसेन की स्मृति में हर वर्ष आयोजित होने वाला प्रतिष्ठापूर्ण आयोजन चार दिवसीय तानसेन समारोह आज यहां हजीरा स्थित तानसेन समाधि स्थल पर परम्परागत हरिकथा, मिलाद, चादरपोशी और कव्वाली गायन के साथ प्रारंभ हुआ ।
कार्यक्रम की शुरूआत नाथपंथी सम्प्रदाय के संत श्रीकांतनाथ ढोलीबुआ महाराज ने आध्यात्मिक प्रवचन देते हुये ईश्वर और मनुष्य के रिश्तों को उजागर किया । उन्होने इस अवसर पर कहा कि अल्लााह और ईश्वर, राम और रहीम, कृष्ण और करीम, खुदा और देव एक हैं । हर मनुष्य में ईश्वर विद्यामान है। हम सब ईश्वर की सन्तान हैं तथा ईश्वर के अंश भी हैं । ईश्वर और अल्लाह एक है । मानव ने आपस में भेद किया है । उन्होने यह भी कहा कि रोजा और व्रत, मुल्ला और पण्डित, ख्वाजा और आचार्य के उद्देश्य व मत एक ही है कि सभी सत्य के मार्ग पर चलें । वेदों में भी कहा गया है - ''तमसो मा, सद् गमय । '' हरिकथा के दौरान मृदंग पर श्री सन्तोष पुरन्दरे तथा हारमोनियम पर भी अनन्त पुरन्दरे ने संगत की तथा श्री गणपतराव देव एवं साथियों ने सामूहिक भजन प्रस्तुत किया ।
इस मौके पर समाधि स्थल पर मौलाना हाफिज मोहम्मद के नेतृत्व में मुस्लिम समुदाय द्वारा ''मिलाद'' का भी आयोजन किया गया तथा सैयद जियाउल' हसन द्वारा सबसे पहले संगीत सम्राट तानसेन के गुरू मोहम्मद गौस और तानसेन की समाधि पर चादर चढ़ाई ।
इस अवसर पर उपस्थित म.प्र. संस्कृति सचिव श्री मनोज श्रीवास्तव ने कहा कि शास्त्रीय संगीत समुद्र के समान गहरा तथा आकाश सदृश विस्तृत है । भारतीय शास्त्रीय संगीत खरा सिक्का और लाजवाब है । हमारे शास्त्रीय संगीत परम्परा को विश्वव्यापी मान्यता प्राप्त है । ग्वालियर का तानसेन समारोह संस्कृति विभाग का प्रतिष्ठापूर्ण आयोजन है, जिसकी सर्वत्र सराहना होती रही है । श्री श्रीवास्तव ने आगे कहा कि ग्वालियर में तानसेन संगीत समारोह की 84 वर्ष पुरानी परम्परा जहां एक ओर श्रोताओं को संगीत का सच्चा आनन्द देती है, वहीं सांस्कृतिक एकता, सद्भाव, समन्वय और बन्धुत्व का भी विस्तार करती है । हमें महान संगीतज्ञ तानसेन और उनकी स्मृति में होने वाले इस आयोजन पर गर्व है ।
इस अवसर पर उस्ताद अलाउद्दीन खाँ. संगीत एवं कला अकादमी के संचालक श्री अरूण पलनीटकर भी थे । कार्यक्रम का संचालन श्री प्रेम बहादुर अजय ने किया । इस अवसर पर सैकड़ों की संख्या में संगीत प्रेमी भी मौजूद थे ।
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