मंगलवार, 16 दिसंबर 2008

ग्वालियर-चंबल, सागर संभाग के स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं का प्रशिक्षण शुरू

ग्वालियर-चंबल, सागर संभाग के स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं का प्रशिक्षण शुरू

स्वास्थ्य कार्यकर्ता अपनी मनोवृति में परोपकार की भावना लायें - डॉ. गुप्ता

ग्वालियर, 12 दिसम्बर 08/ राज्य शासन के निर्देशानुसार ग्वालियर, चंबल और सागर संभाग के बहुद्देशीय स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के कार्य एवं व्यवहार गुणात्मक सुधार एवं उन्नयन के लिये दिसम्बर से 18 दिसम्बर तक स्थानीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण प्रशिक्षण केन्द्र में 56 बहुउद्देशीय स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण दिया जा रहा है । यह प्रशिक्षण डॉ. पी.सी. गुप्ता,(प्राचार्य), डॉ. सविता सिंहल, डॉ. सुभाष कश्यप और डॉ.  अल्पना सरोदे द्वारा दिया जा रहा है ।

       इस अवसर पर प्राचार्य डॉ. गुप्ता ने प्रशिक्षुओं को बताया कि वे मरीजों के साथ अच्छा, सहयोगात्मक और सहानुभूतिपूर्वक व्यवहार करें । मरीज को इलाज से ज्यादाअच्छे व्यवहार की आवश्यकता होती है । सद्व्यवहार रोगी के दिल को जीत लेता है । उन्होने बताया कि स्वास्थ्य कार्यकर्ता पहले अपना तनाव दूर करें, तदुपरान्त मरीज की तकलीफें दूर करें । वे अपने दायित्वों का गम्भीरतापूर्वक निर्वहन कर मरीज से अपनत्व का व्यवहार कर उसका दिल जीतें । उसके बाद इलाज करें । उन्होने बताया कि तनाव से मरीज के पेट में अम्लता बढ़ती है, यह अम्लता अखरोट तथा टमाटर खाने से दूर हो जाती है ।

       डॉ. गुप्ता ने कार्यर्ताओं को बताया कि शासकीय स्वास्थ्य सेवाओं की निजी स्वास्थ्य सेवाओं की चुनौतियों का सामना सफलतापूर्वक करना होगा । हम अपनी जिम्मेदारी से नहीं बच सकते । हमें जनता को निजी संस्थानों से बेहतर सेवायें देना होंगी । हमें जनता की व्यापक, पूर्ण और सन्तोषजनक सेवायें देना होंगी, जिससे शासकीय इलाज के प्रति जनता की मानसिकता बदले ।

       उन्होने कहा कि जब तक स्वास्थ्य विभाग में कर्मचारियों पर जनता का विश्वास है, तभी तक इन कर्मचारियों की उपयोगिता और औचित्यपूर्णता है। हमें हमारी पहचान और उपयोगिता बढ़ाना होगी । इस प्रशिक्षण का मूल उद्देश्य सार्वजनिक स्वस्थ्य सेवाओं के प्रति बढ़ रही जनता की नकारात्मक सोच में परिवर्तन करना है । हमारा उद्देश्य सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं के प्रति जनता को विश्वास बढ़ाना है । हमें व्यक्तिगत व पारिवारिक स्तर पर जनता को सन्तोषजनक सेवायें मुहैया कराना होगी ।

       उन्होने कहा कि व्यवस्था के प्रति प्रतिबद्वता और स्वास्थ्य सेवाओं के प्रति समर्पण ही हमारी सफलता के महत्वपूर्ण बिन्दु हैं । स्वास्थ्य कार्यकर्ता स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग का मानवीय चेहरा है । स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के सेवा प्रदायकर्ता की मनोवृति और व्यवहार के आधार पर इन सेवाओं के बारे में समाज की मनोवृति बनती है और स्थापित होती है ।

       बहुउद्देशीय स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण के दौरान डॉ. सविता सिंघल ने ''नवजात शिशु एवं बाल्यकाल की बीमारियों की समेकित देखभाल'' के सम्बन्ध में बताया कि पाँच से कम आयु के बच्चों की प्राय: निमोनिया, दस्त, मलेरिया आदि की बीमारी होती है । छोटे बच्चों में कुपोषण के कारण अधिकांश बीमारियाँ होती है । उन्होने बताया कि 5 वर्ष बच्चों की विशेष देखभाल करना पड़ती है । दो साल तक के बच्चों के लिये माँ का दूध अमृत के समान है। नवजात शिशु की प्रतिरोधक क्षमता के बढ़ाने के लिये माँ का पहला दूध पिलाना जरूरी है। कई बार गाँवों में व्याप्त अन्धविश्वास के कारण ऐसा नहीं हो पाता ।

       डॉ. सविता सिंघल ने कार्यकर्ताओं को बताया कि छोटे बच्चों को संक्रामक रोग से बचाव करना पड़ता है । उनका समय- समय पर टीकाकरण कराना पड़ता है । माता को बच्चों की दो वर्ष तक गहन देखभाल के लिये प्रेरित करना पड़ता है।

       डॉ. सिंघल ने कहा कि स्वास्थ्य कार्यकर्ता बच्चों का सर्वेक्षण कर इलाज योग्य बच्चों का अस्पताल में इलाज कराने की सिफारिश करना चाहिये । बीमार बच्चों को अस्पताल में दवा के साथ तरल भोजन ( दूध, फलों का रस, दाल का पानी) की सिफारिश करना चाहिये । राज्य शासन की मंशा है कि प्रदेश में शिशु मृत्युदर में कमी लाई जावे तथा बच्चों में  प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाना है । बच्चे देश के भविष्य है बच्चे यदि स्वस्थ होंगे तो हमारा राष्ट्र मजबूत होगा । इसीलिये राज्य शासन शिशु मृत्युदर तथा मातृ मृत्युदर में कमी लाने का प्रयास कर रही है ।

       उन्होंने कहा कि इलाज के बजाय हमेशा रोगों से बचाव के उपाय करना चाहिये । सारी बीमारी खान-पान की लापरवाही से होती है ।

 

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