मुरार चिकित्सालय में नवजात शिशु गहन चिकित्सा इकाई शुरू
लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मन्त्री श्री मिश्रा ने किया अवलोकन
हमें खेद है मुरैना में भारी बिजली कटौती के कारण इस समाचार के प्रकाशन में विलम्ब हुआ
ग्वालियर 6 जून 09। नवजात शिशु गहन चिकित्सा इकाई में लगी घंटी अचानक ट्रिन-ट्रिन की आवाज के साथ घनघना उठती है। इस संकेत पर चिकित्सक व नर्स बिना वक्त जाया किये तत्काल अस्पताल के लेवर रूम में पहुँचते हैं और अपने साथ एक मरणासन्न अवस्था में नवजात शिशु को लेकर आते हैं। शिशु को गहन चिकित्सा इकाई में लगे जीवन रक्षक उपकरणों के बीच लिटा दिया जाता है और उसे कृत्रिम तरीके से श्वांस दी जाने लगती है। इस पूरी कवायद में बमुश्किल दो या तीन मिनट का वक्त लगा होगा। विशेषज्ञ चिकित्सक व प्रशिक्षित अन्य चिकित्सकीय स्टाफ की मेहनत व जीवन रक्षक उपकरणों के साझा प्रयासों का नतीजा यह निकलता है कि जिस नवजात शिशु की सांसें लगभग थम चुकीं थीं और दिल की धड़कन भी बिल्कुल मंद हो गई थी वह न केवल ठीक ढंग से श्वांस लेना शुरू कर देता है बल्कि उसके दिल की धड़कन भी सामान्य होकर मधुर संगीत प्रस्फुटित करने लगतीं हैं। यहां बात हो रही है जिला चिकित्सालय मुरार में प्रदेश सरकार की पहल पर हाल ही में बन कर तैयार हुई नवजात शिशु गहन चिकित्सा इकाई (सिक न्यू वोर्न केयर यूनिट) की। जिसमें आज एक प्रसूता ने मरणासन्न अवस्था में एक शिशु को जन्म दिया, जिसकी जान इस गहन चिकित्सा इकाई में उपलब्ध अत्याधुनिक चिकित्सा सुविधाओं से बच सकी। प्रदेश के लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री श्री अनूप मिश्रा ने शनिवार को मुरार के अस्पताल में नव निर्मित नवजात शिशु चिकित्सा इकाई का अवलोकन किया। इस अवसर पर लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण आयुक्त डॉ. मनोहर अगनानी भी उनके साथ थे। स्वास्थ्य मंत्री श्री मिश्रा ने इस मौके पर जिलेवासियों से अपील की कि वे प्रदेश सरकार द्वारा बाल मृत्यु दर पर प्रभावी अंकुश लगाने के मकसद से स्थापित की गई इस चिकित्सा इकाई का लाभ उठाने के लिये आगे आयें और अपने नवजात शिशुओं को उचित चिकित्सा के अभाव में काल कलवित होने से बचायें। उन्होंने इस अवसर पर संबंधित चिकित्सकों को भी निर्देश दिये कि गहन चिकित्सा इकाई की व्यवस्था सदैव सुदृढ़ बनी रहे, जिससे सरकार की मंशा के अनुरूप नवजात शिशुओं का जीवन बचाया जा सके।
लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण आयुक्त डॉ. मनोहर अगनानी तथा इस गहन चिकित्सा इकाई के निर्माण से जुड़ी सहयोगी संस्था यूनीसेफ के प्रतिनिधि डॉ. गगन गुप्ता ने बताया कि ऑक्सीजन की कमी, जन्म के समय कम वजन व जीवाणु संक्रमण आदि ऐसे कारण है जिनकी वजह से दो तिहाई नवजात शिशुओं की मृत्यु हो जाती है। (कुल शिशु मृत्यु में से)। नवजात शिशु गहन चिकित्सा इकाई में नवजात शिशुओं की उक्त परेशानियों को दूर करने के लिये अत्याधुनिक उपकरण जुटाये गये हैं। साथ ही स्टाफ को भी विशेष प्रशिक्षण दिलाया गया है।
चिकित्सालय के अन्य वार्डों का भी किया निरीक्षण
लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री श्री अनूप मिश्रा ने नवजात शिशु गहन चिकित्सा इकाई के निरीक्षण के पश्चात मुरार प्रसूति गृह के सम्पूर्ण परिसर का बारीकी से जायजा लिया। उन्होंने अस्पताल की साफ-सफाई व्यवस्था को और सुदृढ़ करने पर बल दिया वहीं इस परिसर में किचिन व लाउड्री आदि के निर्माण सहित अस्पताल में अन्य अधोसरचनागत कार्यों का प्राक्कलन तैयार कराने के निर्देश अस्पताल अधीक्षक को दिये। इस अवसर पर स्वास्थ्य आयुक्त डॉ. मनोहर अगनानी, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. अर्चना शिंगवेकर व सिविल सर्जन डॉ. कल्पना जैन सहित अन्य संबंधित अधिकारी उनके साथ थे।
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