सोमवार, 1 जून 2009

तम्बाकू एक अभिशाप डा.हरिमोहन पुरोहित

तम्बाकू एक अभिशाप डा.हरिमोहन पुरोहित

Due to Undeclared Day & Night Power Cut at Morena in Chambal Valley, This News Cant Release in instance , We are Sorry for this.

Article Presented By: Zonal Public Relations Office, Gwalior- Chambal Zone

·                     लेखक वरिष्ठ दन्त चिकित्सक हैं व राज्य दन्त परिषद के सम्मानीय सदस्य भी है। लेखक समाज सेवा में विशेष रूचि रखते हैं तथा स्थानीय व्यापार मेला प्राधिकरण के संचालक भी हैं।

 

ग्वालियर, 29 मई 09/ विश्व भर में प्रतिवर्ष 31 मई विश्व तम्बाकू रहित दिवस के रूप में मनाया जाता है । इस दिन विशेष रूप से तम्बाकू एवं इससे होने वाले खतरों के बारे में संदेश दिया जाता है । चिन्ता जनक है कि शेष 364 दिन ज्यादातर देश तम्बाकू सेवन जैसी बुराइयों से अरबों-खरबों की राजस्व प्राप्ति में उलझे रहते हैं ।   आज विश्व में लगभग 50 लाख मौतें प्रतिवर्ष तंबाकू और सिगरेट जनित बीमारियों के कारण हो रही हैं। हमारे देश में यह आंकड़ा लगभग 10 लाख है। अगर विश्लेषण करें तो प्रति माह 75 हजार से ऊपर एवं प्रतिदिन 2500 एवं हर दो मिनिट में 3 लोगों की तम्बाकू सेवन से होने वाले रोगों से मृत्यु होती है। तांबाकू के धुंए में हजारों विषैले तत्व पाये जाते हैं। चबाने वाले तंबाकू में कई घातक रासायनिक तत्व शरीर पर कुप्रभाव डालते हैं। औसतन भारतीय एक मिनिट में एक कश लेता है और 3 ग्राम तंबाकू प्रतिदिन खाता है। बीड़ी, सिगरेट के जलते हुये सिरे का तापमान 500-900 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है। इतने अधिक तापमान और रासायनिक तत्वों के कारण मुँह के कैन्सर की अधिक सम्भावना होती है। मुँह के कैन्सर के अतिरिक्त सबम्यूकस फाइब्रोसिस, महिलाओं में गर्भधारण कम होना एवं गर्भपात, बच्चों का अपंग तथा अविकसित पैदा होना, पैरों में बर्जस्व बीमारी, ब्रोनकाइटिस, श्वसन तंत्र की बीमारियाँ जैसे दमा, टी.बी.,फेंफड़े एवं अन्न नलिका का कैन्सर आदि अनेक बीमारियां तंबाकू उत्पादों के कारण होती हैं । तम्बाकू सेवन से उत्पन्न टार कैन्सर पैदा करता है । सिगरेट या बीड़ी के धुंए से उत्पन्न होने वाली कार्बन-मानो-ऑक्साइड शरीर में ऑक्सीजन की कमी करती है जिससे हार्टअटैक होने की सम्भावना बढ़ जाती है । एक अन्य रासायनिक पदार्थ हाइड्रोजन साइनाइड के विषय में अधिक लिखने की आवश्यकता नहीं है । यह वही पदार्थ है जो नागासाकी और हिरोशिमा पर द्वितीय विश्व युद्व के समय डाले गये परमाणु बमों से उत्पन्न हुआ और उसका कुप्रभाव आज 69 साल बाद भी मनुष्य भुगत रहा है। इसी प्रकार आर्सनिक जैसा खतरनाक रसायन भी तंबाकू या सिगरेट के सेवन से शरीर के अन्दर जाता है।

       बादशाह अकबर के शासनकाल में पुर्तगालियों द्वारा तंबाकू का पौधा भारत में लाया गया। वे इसके सूखे पत्तों के चूर्ण को पत्थर के बने हुक्कों में भर कर पीते थे। यूनानी हकीमों ने इसमें सुगंधित दृव्यों का मिश्रण कर इसको खुशबूदार बनाकर बादशाह के दरबार में पेश किया। दरबार में इसका प्रयोग दरबारियों और रईसों में प्रचलित हो गया। पुर्तगालियों ने ही इसकी खेती दक्षिण भारत में शुरू की। इसका महीन चूर्ण नसवार सूघंने के काम में लिया जाने लगा। धीरे-धीरे सर्दी दूर करने के लिए, छींक लेने हेतु नसवार का उपयोग आम हो गया।

      तंबाकू के पौधे का मूल स्थान अमेरिका है। यह निकोटिआना जाति का पौधा है। इसके पत्ते चौड़े और हल्के भूरे होते हैं। प्राचीन समय में इसका उपयोग सिर्फ चिकित्सकीय कार्यो के लिये ही किया जाता था जैसे पशुओं के घावों पर इसके पत्ते को बांधना, मनुष्य के दांत में दर्द होने पर इसके पत्ते को चबाना, अण्डकोष की वृद्वि पर इसके पत्तों को हल्का गर्म करके बांधना, खेतों में अवांछित कृमियों को हटाने के लिये इसकी राख छिड़कना आदि। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार तम्बाकू जनित रोगों के उपचार में 1999 में 27 अरब 61 करोड़, 2002 तक 30 अरब 83 करोड़, 2004 तक 37 अरब 39 करोड तथा वर्ष 2020 तक यह आंकड़ा 100 अरब तक पहुंच जायेगा। इससे तम्बाकू के उपयोग की भयावहता का सहज अनुमान लगाया जा सकता है।

      सन् 1800 के लगभग मशीनों के अविष्कार के साथ अमेरिका और ग्रेट बिटेन में सिगरेट बनना प्रारभ हुई। अंग्रेजों के शासनकाल में सिगरेट भारत पहुँची। शासक वर्ग को खुश करने और उसकी नकल करने में माहिर भारतीय मातहतों ने धीरे-धीरे सिग्रेट को अपनाना शुरू किया। अंग्रेजी, फ्रांसीसी और पुर्तगाली महिलाएं भी सिगरेट व चुरट पीती थी, उनकी देखा-देखी अपने आपको सभ्य व सुसंस्कृत कहलाने के लोभ में भारतीय महिलाओं ने भी सिगरेट पीना शुरू कर दिया। इसका उपयोग क्लबों और उच्चवर्गो में सामान्य हो गया। इस तरह तंबाकू का धीरे-धीरे घरों में प्रवेश हो गया। बाद में इसकी सामाजिक मान्यता इतनी बढ़ी कि गाँवों और चौपालों में लोगों को अपराध स्वरूप हुक्का बंद करने की सजा दी जाने लगी। 

      विश्व के तंबाकू उत्पादक देशों में भारत तीसरे स्थान पर है । जिस स्थान पर तंबाकू की खेती होती है वहाँ कोई दूसरी फसल पैदा नहीं की जा सकती और धरती की उर्वरक क्षमता भी तंबाकू के कारण धीरे-धीरे नष्ट हो जाती है। वर्तमान में हमारे देश में प्रतिवर्ष 80 अरब सिगरेट बनाई जाती हैं। 

 विगत एक दो वर्षों से भारत एवं राज्य सरकार द्वारा जरूर कुछ सराहनीय प्रयास हुए हैं। दिल्ली प्रशासन ने सार्वजनिक स्थानों पर धूमपान पर रोक लगा दी है। देश के सर्वोच्च प्रजातांत्रिक संस्थान 'संसद' द्वारा ''सिग्रेट और अन्य तंबाकू उत्पाद (विज्ञापन का प्रतिषेध और व्यापार और वाणिज्य, उत्पादन, प्रदाय और वितरण का विनियमन) अधिनियम 2003'' पारित कर एक मई 2004 से प्रभावी किया जा चुका है। कुछ स्वंयसेवी संस्थाओं एवं जागरूक व्यक्तियों द्वारा इस अधिनियम को पूर्णत: लागू करने हेतु कठोर परिश्रम भी किये जा रहे हैं।

      हाल ही में भूटान जैसे छोटे देश द्वारा भी तंबाकू पर पूर्णत: प्रतिबंध लगाया जा चुका है। परन्तु हमारे देश में आज तक यह भी संभव नहीं हो सका कि सरकार द्वारा पारित अधिनियम को पूर्णत: लागू किया जा सके। इसका सबसे बड़ा कारण राजनीति तथा कानून एवं व्यवस्था प्रणाली में सीधे रूप से संलग्न व्यक्तियों में इच्छाशक्ति की कमी है। आज आवश्यकता है तम्बाकू निषेध के कार्यक्रम को देशव्यापी जनआंदोलन बनाने की।

 

 

तम्बाकू छोड़ने के लिये

·                     आज ही एक बार दृढ़ता पूर्वक तम्बाकू त्याग का निश्चय कर लें ।

·                     अपने इस निर्णय की जानकारी अपने रिश्तेदारों, मित्रों व परिचितों को दीजिए।

·                     एक बार में ही तम्बाकू सेवन का पूरी तरह त्याग सर्वोत्तम उपाय है ।

·                     अपने किसी मित्र या परिजन को आपका साथ देने को तैयार कीजिए ताकि वे कमजोर क्षणों में आपको आपके निश्यक का अहसास करा सकें।

·                     यह तय करें कि धूम्रपान या तम्बाकू खाने की जरूरत किन क्षणों में व कब पड़ती है? फोन पर बात करते समय? पढ़ायी करते समय? दोस्तों से गपशप करते समय अथवा अन्य किसी अवसर पर? इन अवसरों पर  स्वयं को दृढ़ता पूर्वक रोकें, ध्यान दूसरी ओर लगायें या अवसर तथा समय को बदल लें।

·                     मनोबल बनाये रखें । अपने मित्रों से तम्बाकू से दूर रहने की बड़ी से बड़ी शर्त लगावें। यदि सिग्रेट तम्बाकू एक दम न छोड़ सकें तो आधी सिग्रेट पीयें या कम तम्बाकू खायें। समय को टाल कर एक घंटा देरी से सेवन करने का प्रयास करें। फिर निरंतर कम सेवन करके सिग्रेट तम्बाकू को पूरी तरह से त्याग दें।

·                     घर पर या कार्यालय में तम्बाकू, बीड़ी, सिगरेट, ऐशट्रे, लाइटर कदापि अपने साथ न रखें ।

 

कोई टिप्पणी नहीं: