गुरुवार, 4 जून 2009

किसानों की दशा सुधारने का माध्यम बनें कृषि विज्ञान केन्द्र

किसानों की दशा सुधारने का माध्यम बनें कृषि विज्ञान केन्द्र

कार्यशाला उद्धाटन में कुलपति डॉ. तोमर

ग्वालियर 3 जून 09। राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय, ग्वालियर के कुलपति डॉ. विजय सिंह तोमर ने कहा है कि कृषि विज्ञान केन्द्रों को किसानों की आर्थिक दशा सुधारने का सशक्त माध्यम बनाना चाहिये। वे यहां मध्य प्रदेश के कृषि विज्ञान केन्द्रों द्वारा दलहन एवं तिलहन फसलों के प्रथम पंक्ति प्रदर्शनों का आकलन व आगामी योजना तैयार करने हेतु आयोजित दो दिवसीय प्रशिक्षण सह कार्यशाला के उद्धाटन सत्र को संबोधित कर रहे थे। स्वास्थ्य प्रबंधन संस्थान, के सभागार में आयोजित इस कार्यक्रम में राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय, ग्वालियर , जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय जबलपुर तथा स्वयंसेवी संगठनों द्वारा संचालित कृषि विज्ञान केन्द्रों सहित भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के प्रमुख वैज्ञानिक भाग ले रहे हैं।

       अपने संबोधन में कुलपति डा. तोमर ने कहा कि कृषि विज्ञान केन्द्रों द्वारा संचालित प्रथम पंक्ति प्रदर्शन (एफ एल डी.) अपने आप में एक पूर्ण व्यवस्था है जो किसानों की दशा सुधारने का माध्यम बन सकती है। हमारे प्रदेश के बेरोजगार नौजवानों को रोजगार देने, उन्हें कृषि उत्पादों के मूल्य संवर्धन, विपणन का प्रशिक्षण दिया जाना चाहिये, ताकि किसान का बेटा लाभ कमा सके। प्रदेश मे बढ़ते बीहड़ों, कृषि भूमि की मृदाओं का गिरता स्वास्थ्य, जल प्रबंधन जैसी समस्याओं के विषय में किसानों में जागरूकता लाना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि क्षेत्रिय विशेषताओं को समझकर उसका कृषि सुधार मे प्रयोग तथा किसानों के हित में वैकल्पिक ऊर्जा के स्त्रोतों की खोज की दशा मे वैज्ञानिकों को विशेष प्रयास करना चाहिये।

       कृषि विज्ञान केन्द्र के क्षेत्रीय परियोजना संचालक डा यू एस. गौतम ने अपने संबोधन में कहा कि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद चाहती है कि कृषि केन्द्र तकनीक बैंक के रूप में किसानों एवं कृषि कर्मियों के बीच कार्य करें। किसानों की समस्याओं का निदान हमारे पास होना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि प्रथम पंक्ति प्रदर्शनों में वैज्ञानिकों की देखरेख में प्राप्त उत्पादन और औसत उपज के स्तर में बहुत बड़ा अंतर देखने में आ रहा है, इस अंतर को पाटने की जरूरत है। साथ ही जिले की समस्याओं और आवययकताओं के अनुरूप तकनीक विकसित की जानी चाहिये। डॉ. गौतम ने कहा कि इस कार्यशाला के निष्कर्षों के आधार पर ही प्रदेश में दलहनी-तिलहनी फसलों के प्रथम पंक्ति प्रदर्शनों का कार्यक्रम बनाया जावेगा।

       अपने स्वागत भाषण में राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय ग्वालियर के संचालक विस्तार डॉ. वाय. एम. कूल ने कहा कि ग्लोबल वार्मिंग के दौर में हमें पानी को बचाने की चिंता करना चाहिये। जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय जबलपुर के संचालक विस्तार डॉ. देवकांत ने कहा कि यह अच्छी बात है कि अब प्रथम पंक्ति प्रदर्शन की योजना किसानों की जरूरत के अनुसार की जाने लगी है। कार्यशाला में तय करेंगे कि प्रदेश के लिये कौन सी दलहन एवं तिलहन फसल उपयुक्त है। आभार व्यक्त वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. एस आर. के सिंह ने किया। उद्धाटन सत्र में राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय ग्वालियर के अधिष्ठाता कृषि संकाय डॉ. एस एल. नायक, संचालक अनुसंधान डा. एच एस. यादव, कुलसचिव श्री संजय तिवारी, अधिष्ठाता डॉ. एन एस. तोमर सहित बड़ी संख्या में वैज्ञानिक उपस्थित थें। कार्यशाला में विभिन्न तकनीकी सत्रों में कृषि विज्ञान केन्द्रों की प्रगति की समीक्षा के उपरांत इसका समापन 4 जून को सांयकाल होगा।

 

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