शुक्रवार, 3 जुलाई 2009

उच्च न्यायालय की हिदायत महाराज बाड़े को करें अतिक्रमण मुक्त

उच्च न्यायालय की हिदायत महाराज बाड़े को करें अतिक्रमण मुक्त

ग्वालियर 2 जुलाई 09 । उच्च न्यायालय खंडपीठ ग्वालियर की युगल बैंच के न्यायाधिपति द्वय श्री सुभाष संवत्सर एवं श्री ए पी श्रीवास्तव ने आज वरिष्ठ अधिवक्ता श्री एच डी गुप्ता द्वारा दायर जनहित याचिका में आदेश पारित करते हुये महाराज बाड़े को अतिक्रमण मुक्त करने, ट्रेफिक की दृष्टि से आवा-जाही में बाधक विद्युत एवं टेलीफोन पोल शिफ्ट करने, मेन-होल का लेवल सड़क से मिलाने तथा नाले-नालियों की मरम्मत आदि करने के निर्देश दिये हैं। आदेश में पुलिस, जिला प्रशासन, नगर निगम, विद्युत मंडल एवं दूरभाष विभाग के संबंधित अधिकारियों को जनहित के इन कामों को तीस दिन में पूरा करवाने की हिदायत दी गई है ।

       युगल बैंच के न्यायाधीश द्वय ने अपने आदेश में याचिकाकर्ता द्वारा प्रस्तुत तथ्यों से सहमति व्यक्त करते हुये जिला प्रशसन एवं नगर निगम अधिकारियों को नगर के व्यस्त व्यावसायिक क्षेत्र महाराज बाड़ा और उसके गोलार्द व इर्द-गिर्द क्षेत्र के संबंध में एम.एम. कौशिक विरूध्द मध्यप्रदेश शासन एवं अन्य2008 (॥) जेएलजे-14 में उच्च न्यायालय द्वारा प्रदत्त निर्देशों का एक माह के भीतर पूरी तरह पालन करने की हिदायत दी है ।

       आदेश में नगर निगम ग्वालियर को एक माह के भीतर सड़क के मेन-होलों का लेवल सड़क के बराबर लाने व सड़क को अच्छा बनाने के निर्देश दिये गये हैं । साथ ही अतिक्रमण हटाने, फुटपाथ अथवा सड़क पर निर्मित रैम्प व सीढ़ियां आदि हटाने व नाले/नालियों की मरम्मत कराने की हिदायत दी है । नगर निगम के वार्ड अधिकारियों को भी इस दिशा में सचेत रहने को कहा गया है ।

       जिला पुलिस अधीक्षक एवं यातायात पुलिस अधिकारी को इन कार्यों में नगर निगम को पूरा सहयोग करने एवं सुचारू यातायात व्यवस्था आश्वस्त करने हेतु निर्देशित किया गया है ।

       आदेश में नगर निगम  में पदस्थ मजिस्ट्रेट को सप्ताह में एक बार महाराज बाड़ा क्षेत्र का विस्तृत भ्रमण करने तथा अतिक्रमण पाये जाने पर कानूनी कार्यवाही करने के निर्देश दिये गये हैं ।

       बैंच ने अपने आदेश में विद्युत विभाग तथा दूरभाष विभाग को यातायात अवरोधक खम्बे एक माह में अनिवार्यत: शिफ्ट करने की हिदायत दी गई है । साथ ही महाराज बाड़े व इसके गोलार्द को अतिक्रमण आदि से हटाने की कार्यवाही में अगर राजनीतिज्ञों द्वारा किसी प्रकार की कोई बाधा उत्पन्न की जाती है तो नगर निगम मजिस्ट्रेट , जिम्मेदार प्रशासनिक अधिकारी एवं नगर निगम के अधिकारियों को ऐसे लोगों के विरूध्द कानूनी कदम उठाने को भी निर्देशित किया गया है ।

       न्यायालय बैंच ने प्रतिवादियों को एक माह में पालन प्रतिवेदन प्रस्तुत करने तथा दिये गये निर्देशों का पालन न होने पर न्यायालय की अवमानना मानते हुये कार्यवाही करने की चेतावनी भी दी है ।  याचिका की आगे की सुनवाई 11 अगस्त 2009 को निश्चित की गई है।

 

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