सोमवार, 20 जुलाई 2009

हड़ताल पर जाने वाले चिकित्सा छात्र महाविद्यालय से निष्कासित माने जायेंगे

हड़ताल पर जाने वाले चिकित्सा छात्र महाविद्यालय से निष्कासित माने जायेंगे

पिछले छ: साल में शिष्यावृत्ति में तीन बार हुआ पुनरीक्षण

Bhopal:Sunday, July 19, 2009

 

राज्य शासन ने चिकित्सा महाविद्यालय की जूनियर डाक्टर्स एसोसिएशन द्वारा हड़ताल पर जाने की चेतावनी पर निर्णय लिया है कि यदि जूनियर डाक्टर हड़ताल पर जाते हैं तो उन्हें महाविद्यालय से निष्कासित माना जायेगा। इतना ही नहीं उनका रजिस्ट्रेशन भी रद्द समझा जायेगा।

शासन ने जूनियर डाक्टर्स एसोसिएशन द्वारा शिष्यवृत्ति, फीस, मान्यता, बीमा आदि के संबंध में उठाई मांगों के संबंध में स्पष्ट किया है कि चिकित्सा महाविद्यालय के छात्रों को देय शिष्यवृत्ति में समय-समय पर पुनरीक्षण किया गया है। शासन ने शिष्यवृत्ति में पिछले 6 वर्षों में तीन बार पुनरीक्षण किया है, जिसमें अंतिम पुनरीक्षण गत वर्ष ही किया गया है। इसलिये एक वर्ष के अंतराल के बाद पुन: पुनरीक्षण की मांग उचित नहीं है। फिर भी वर्तमान मांग के संदर्भ में शिष्यवृत्ति के पुनरीक्षण का प्रस्ताव शासन के समक्ष विचाराधीन है। जहां तक प्रतिवर्ष ली जाने वाली फीस में कमी का प्रश्न है, उसके संबंध में 19 अगस्त, 2003 को तत्कालीन मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में छात्र प्रतिनिधियों एवं अधिकारियों की बैठक सम्पन्न हुई थी। इस बैठक में छात्रों की सहमति से निर्णय लिया गया था कि स्नातक एवं स्नातकोत्तर तथा डिप्लोमा छात्रों से प्रतिवर्ष 35000 रुपये का शिक्षण शुल्क लिया जायेगा। वर्ष 2003 में नियत किये गये शिक्षण शुल्क में आज तक कोई बढ़ोत्तरी नहीं की गई है, जबकि छात्रों की शिष्यवृत्ति में तीन बार पुनरीक्षण कर दिया गया है। 6 वर्ष पूर्व छात्रों की सहमति से तय की गई फीस को अब कम करने की मांग कदापि उचित नहीं है।

शासन के अनुसार छात्रों ने बीमा कराने की नई मांग की है। राज्य सरकार इस प्रकार का नि:शुल्क बीमा नहीं कराती है। इसलिये इस मांग को मान्य करना संभव नहीं है। पीजी कोर्स की 74 सीट्स के संबंध में मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने वर्ष 2008 में प्रवेश पर रोक लगाई है, जिसके विरुध्द सर्वोच्च न्यायालय में राज्य सरकार ने याचिका दायर की है। ऐसी स्थिति में जब तक न्यायालय से कोई आदेश प्राप्त नहीं होते तब तक राज्य सरकार इस दिशा में कोई कार्यवाही नहीं कर सकती।

 

क्र.

 

विवरण

 

वर्ष 2003 में पुनरीक्षण

 

वर्ष 2005 में पुनरीक्षण

 

वर्ष 2008 में पुनरीक्षण

 

1.

 

इन्टर्न

 

2000

 

3000

 

3000

 

2.

 

पीजी प्रथम वर्ष

 

12000

 

14000

 

16000

 

3.

 

पीजी द्वितीय वर्ष

 

12500

 

14500

 

16500

 

4.

 

पीजी. तृतीय वर्ष

 

13000

 

15000

 

17000

 

5.

 

डीएम#एमसीएच

 

15000

 

17000

 

19000

 

 

 

 

जूनियर डाक्टर्स अपनी पढ़ाई के साथ-साथ पाठयक्रम के भाग के रूप में अस्पतालों में अनिवार्य सेवा देते हैं। इसके लिये उन्हें शिष्यवृत्ति भी दी जाती है। शासन को सूचना मिली है कि वे 20 जुलाई से हड़ताल पर जाना चाहते हैं। यह हड़ताल गैरकानूनी होगी, क्योंकि इसका कोई औचित्य नहीं है। हर वर्ष स्नातकोत्तर पाठयक्रम के लिये जारी किये गये नियमों में यह प्रावधान है कि 'दुराचरण, अनुशासनहीनता तथा अनुपस्थित रहने के दोषी पाये जाने वाले छात्र, अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए दोषी होंगे, जिसमें अधिष्ठाता#प्राचार्य के द्वारा महाविद्यालय से निष्कासन एवं विश्वविद्यालय द्वारा रजिस्ट्रीकरण को रद्द किया जाना सम्मिलित है।' छात्रों के हड़ताल पर जाने से उनके द्वारा इस नियम का उल्लंघन किया जाना माना जायेगा।

शासन की ओर से बताया गया कि सर्वोच्च न्यायालय ने एक प्रकरण में स्थायी निर्देश दिये हैं कि देश का कोई भी डाक्टर अनुचित आधारों पर हड़ताल पर नहीं जायेगा। यदि जूनियर डाक्टर्स अपनी उक्त अनुचित मांगों पर हड़ताल पर जाते हैं तो न केवल सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों की अवमानना होगी, अपितु शासन के नियमों का भी उल्लंघन होगा। उक्त पृष्ठभूमि में तथा आम मरीजों की समुचित देखभाल के लिये स्वास्थ्य सेवाओं को सुचारु एवं अनवरत बनाये रखने के उद्देश्य से सरकार ने निर्णय लिया है कि हड़ताल पर जाने वाले छात्रों को महाविद्यालय से निष्कासित माना जाकर, उनका रजिस्ट्रेशन रद्द समझा जायेगा।

 

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