पूर्ण सूर्यग्रहण पर होंगी अनेक अकादमिक व अनुसंधानात्मक गतिविधियां
शिक्षा मंत्री श्रीमती अर्चना चिटनीस की अध्यक्षता में पिछले दिनों भोपाल के बरकतउल्ला विश्वविद्यालय में पूर्ण सूर्य ग्रहण को लेकर हुई एक बैठक में अकादमिक व अनुसंधानात्मक गतिविधियों के संचालन का निर्णय लिया गया। इस बैठक में विश्वविद्यालय एवं अन्य शैक्षणिक व सामाजिक संस्थानों के प्रतिनिधि उपस्थित थे।
बैठक में लिये गये निर्णय के अनुसार बरकतउल्ला विश्वविद्यालय के भौतिकी विभाग में राष्ट्रीय भौतिक प्रयोगशाला नई दिल्ली के वैज्ञानिकों की सहभागिता से ''पूर्ण सूर्यग्रहण पर विभिन्न वैज्ञानिक प्रयोग'' विषय पर कार्यशाला हाल में आयोजित की गई। विश्वविद्यालय के भौतिकी विभाग के अंतरिक्ष प्रयोगशाला में पूर्ण सूर्य ग्रहण का अध्ययन ग्लोबल पोजीसिंग सिस्टम, डिजिटल आमनासॉड और सैडोवैण्ड उपकरणों से किया जायेगा। इसी कड़ी में मध्यप्रदेश विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद (मैपकास्ट) द्वारा नेहरू तारामण्डल, नई दिल्ली के सहयोग से पूर्ण सूर्यग्रहण संबंधी घटना के बारे में शिक्षकों एवं छात्रों को जानकारी देने के लिये भी 18-19 जुलाई को कार्यशाला का आयोजन किया गया।
महर्षि पाणिनी संस्कृत विश्वविद्यालय द्वारा 22 जुलाई को पड़ने वाले खग्रास सूर्यग्रहण की पूर्व संध्या 21 जुलाई को उज्जैन में एक परिचर्चा आयोजित की जाएगी। परिचर्चा ''खग्रास सूर्यग्रहण का जातकों एवं राष्ट्रों पर प्रभाव'' विषय पर आधारित होगी। बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि सूर्यग्रहण के प्रारंभ होने के दो घंटे पूर्व से ग्रहण समाप्त होने के दो घंटे बाद अर्थात 22 जुलाई को प्रात: 4 बजे से सबेरे 9.30 बजे तक जन्मे नवजात शिशुओं पर सूर्यग्रहण का क्या प्रभाव पड़ेगा, इसका एक अनुसूची के माध्यम से अध्ययन किया जाए। अध्ययन महर्षि पाणिनि संस्कृत विश्वविद्यालय के नेतृत्व में होगा।
बरकतउल्ला विश्वविद्यालय के महिला अध्ययन केन्द्र द्वारा स्वास्थ्य एवं चिकित्सा विशेषज्ञों के सहयोग से 'पूर्ण सूर्यग्रहण के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभावों के संबंध में व्याप्त भ्रांतियों व उसके निवारण' विषय पर आगामी 23 जुलाई तक अनुसंधान और संगोष्ठी का आयोजन किया जायेगा।
बैठक में रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय, जबलपुर के पूर्व कुलपति प्रो. सुरेश्वर शर्मा ने पूर्ण ग्रहणकाल में पृथ्वी की जैविक घड़ी में व्यवधान संबंधित विषयों पर चर्चा की। उप संचालक स्वास्थ्य डॉ. वीणा सिन्हा और रतलाम के राज ज्योतिषी पं. बाबूलाल जोशी ने भी अपने विचार व्यक्त किये। विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन के प्रोफेसर गोपाल उपाध्याय ने पूर्ण सूर्यग्रहण के समय कॉसमिक तरंग की तीव्रता की अवधारणाओं पर चर्चा की तथा इस संबंध में ग्रहण की अवधि में अनुसंधान करने पर बल दिया।
बैठक में निर्णय लिया गया कि 22 जुलाई को सूर्यग्रहण प्रारंभहोने से 12 घंटे पहले मनुष्य, पशु-पक्षी, वृक्ष, वनस्पति, पर्यावरण, ध्वनि तरंग, जलाशय, भोज्य पदार्थों पर पड़ने वाले प्रभावों को भी परखा जाए। पूर्ण सूर्यग्रहण के दौरान चिकित्सकों, स्त्री रोग विशेषज्ञों, मनोचिकित्सकों, ध्वनि तरंग विशेषज्ञों, अपराध विशेषज्ञों, मंत्र साधकों, रसायन शास्त्रियों और खागोलविद्ों के अलग-अलग समूह बनाकर उन्हें भिन्न-भिन्न प्रयोग के लिए गतिशील किया जायेगा। ये अनुसंधानात्मक गतिविधियां प्रो. सुरेश्वर शर्मा के मार्गदर्शन में होगी।
बैठक में श्रीमती अर्चना चिटनीस ने विशेषज्ञों और प्रतिनिधियों से शोधपरक तथ्यों एवं प्रभावों के संबंध में प्रश्न पूछे तथा गतिविधियों के आयोजन के लिये शासन से हर-संभव सहयोग दिलाने का आश्वासन दिया।
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