सोमवार, 13 जुलाई 2009

निशक्तजनों के कल्याण के लिये अच्छे एन.जी. ओ. को सहयोग करें

निशक्तजनों के कल्याण के लिये अच्छे एन.जी. ओ. को सहयोग करें

प्रशासन आकदमी में निशक्तजनों के अधिकारों का वैधानिक संरक्षण कार्यशाला

भोपाल 12 जुलाई 09। सभी क्षेत्रों में नि:शक्तजनों को समान अधिकार प्रदान किये गये हैं। इन दायित्वों को केवल केन्द्र एवं राज्य सरकारें पूर्ण नहीं कर सकती, इन्हें पूरा करने में एन.जी.ओ. (स्वयंसेवी संस्थाओं) का सहयोग लिया जाये। प्रशासनिक अधिकारी इन दायित्वों को पूर्ण करने में सक्षम अच्छे एन.जी.ओ. को सहयोग करें। इस आशय के विचार वरिष्ठ अभिभाषक एवं नेशनल फेडरेशन आफ ब्लाइण्ड संस्था के जनरल सेक्रेटरी एडव्होकेट श्री एस.के. रूंगटा ने शनिवार को आर.सी.व्ही.पी. नरोन्हा प्रशासन एवं प्रबंधकीय अकादमी भोपाल में प्रशिक्षु आय.ए.एस. एवं राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों के लिये 'नि:शक्तजनों के अधिकारों का वैधानिक संरक्षण' विषय पर आयोजित कार्यशाला में व्यक्त किये। कार्यक्रम में श्री टी.डी. धारियाल डिप्टी चीफ कमिश्नर नि:शक्तता सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग (भारत सरकार), श्री एम.एम. उपाध्याय, प्रमुख सचिव राजस्व एवं पुनर्वास विभाग, प्रशासन अकादमी के महानिदेशक डॉ. संदीप खन्ना भी उपस्थित थे।

अपने संबोधन में श्री रूंगटा ने कहा कि सर्व शिक्षा अभियान के अंतर्गत नि:शक्तजनों का केवल पंजीयन नहीं हो, बल्कि नेत्रहीनों को ब्रेल लिपि तथा मूक-बधिरों के लिये साइन लेग्वेंज का ज्ञान कराने की व्यवस्था की जाये। उन्होंने प्रशिक्षु अधिकारियों को संबोधित करते हुए कहा कि वे कुशल प्रशासक बनने के लिये अपनी आलोचना सुनने की शक्ति पैदा करें। श्री रूंगटा ने बताया कि उनकी संस्था नेशनल फेडरेशन ऑफ ब्लाइण्ड ने सामाजिक न्याय मंत्रालय के साथ सहयोग कर देश के चार राज्यों में नि:शक्तजनों को शिक्षा देने के लिए विद्यालय स्थापित किये हैं। नि:शक्तजनों को उच्च शिक्षा प्रदान करने हेतु संस्था प्रति वर्ष एक हजार रूपये के मान से बारह सौ स्कालरशिप प्रदान कर रही है। संस्था द्वारा दिल्ली, बनारस, लखनऊ एवं कालीकट में प्रायोगिक तौर पर स्थापित ट्रेनिंग कम प्रोण्डक्शन सेन्टर में उपभोक्ता वस्तुओं का उत्पादन कर 600 नि:शक्तजनों को रोजगार उपलब्ध कराया है। उन्होंने कहा कि ऐसा ही ट्रेनिंग कम प्रोडक्शन केन्द्र भोपाल में खोलना प्रस्तावित है।

कार्यशाला को संबोधित करते हुए डिप्टी कमिश्नर नि:शक्तता श्री धारियाल ने कहा कि नि:शक्तजनों की योग्यता के बारे में बात नहीं की जाती। प्रशासन अकादमी भोपाल में नेत्रहीन आय.ए.एस. प्रशिक्षु अधिकारी श्री कृष्णगोपाल तिवारी ने अखिल भारतीय सिविल सेवा परीक्षा में अपनी योग्यता साबित कर दी है। उन्होंने बताया कि नि:शक्तजनों के अधिकारों का संरक्षण के अधिकार मुख्य नि:शक्तजन कल्याण आयुक्त एवं राज्यों में पदस्थ कमिश्नर को है। नि:शक्तजनों को पढ़ने का अधिकार है। अखिल भारतीय सेवाओं में तीन प्रतिशत आरक्षण नि:शक्तजनों को दिया गया है। श्री धारियाल ने नि:शक्तता की विभिन्न श्रेणियों की विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि देश की कुल आबादी के 2 प्रतिशत लोग नि:शक्तता की श्रेणी में आते हैं। जिसमें से 70 से 80 प्रतिशत नि:शक्त ग्रामीण एवं दूरस्थ वनवासी क्षेत्रों में निवास करते हैं। ऐसे लोगों तक मदद पहुंचाने में शासकीय एजेंसियों के साथ समाजसेवी संस्थाओं का सहयोग लिया जाना आवश्यक है।

प्रमुख सचिव श्री उपाध्याय ने अपने उद्बोधन में कहा कि अभी तक इसका अधिकांश लाभ शारीरिक रूप से नि:शक्तजनों ने उठाया है। मूक-बधिर एवं नेत्रहीन योजनाओं का लाभ नहीं उठा पाते हैं। सामान्य स्कूलों में कम ही नि:शक्त बच्चे पढ़ने आते हैं। प्रशासकों के सामने चुनौती है कि वे सभी वर्ग के नि:शक्त बच्चों को शिक्षित कर, उन्हें स्वावलम्बी बनाकर रोजगार मूलक शिक्षा प्रदान करायें। म.प्र. सरकार द्वारा क्रिस्प भोपाल में नि:शक्त लोगों को कम्प्यूटर प्रशिक्षण देने की पहल की गयी।

प्रारंभ में प्रशासन अकादमी के महानिदेशक डॉ. संदीप खन्ना ने कार्यशाला में उपस्थित प्रमुख वक्ताओं का स्वागत कर उनका परिचय दिया और कार्यक्रम के समापन पर अकादमी संचालक श्री एम.के. वार्ष्णेय ने कार्यक्रम में उपस्थित लोगों का आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम में प्रशिक्षु आय.ए.एस. एवं राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारी, विभिन्न स्वयंसेवी संगठनों के प्रतिनिधि बड़ी संख्या में उपस्थित थे।

 

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