ईश्वर ने पृथ्वी को निश्चित पानी दिया है इसे सहेजना होगा : महापौर
ग्वालियर दिनांक 16.07.2009- पानी प्रकृति की अनमोल धरोहर है जबसे प्रकृति की उत्पत्ति हुई है हमें एक निश्चित मात्रा में पानी दिया गया है इसका उत्पन्न किया जाना संभव नहीं है इसलिये इसकी उपलब्ध मात्रा को ही सहेजना होगा। उक्त उदगार ममहापौर विवेक नारायण शेजवलकर द्वारा आज जल व्यवस्था हेतु आयोजित टे्रनिंग कार्यशाला के उदघाटन समारोह में व्यक्त किये।
उन्हाेंने कहा कि विश्व की जनसंख्या बढ़ने से पृथ्वी पर जल संकट बढ़ रहा है ऐसी स्थिति में हमें यह सोचना आवश्यक है कि हम पानी का पुर्नउपयोग कैसे करें इसके लिये पानी के रिचार्ज करने की विभिन्न पध्दतियों से कर्मचारियों तथा तकनीकिशियनों को प्रशिक्षित करना अनिवार्य होगा। इसी आवश्यकता को ध्यान में रखते हुये नगर निगम ने जल तथा भूमि मैनेजमेंट इंस्टीटयूट भोपाल के सहयोग से यह प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया है। उन्होंने आगे कहा कि घरों में गिरे वॉटर तथा काले पानी दोनों का पृथक-पृथक निस्तारण की व्यवस्था होनी चाहिये। भविष्य में भवन निर्माण अनुमति में भी यह प्रावधान किया जासकता है कि अनुमति उन्हीं मकानों को मिले जो गिरे तथा काले पानी की पृथक-पृथक निस्तारण की व्यवस्था कर सके। उन्होने कहा कि पानी के पुर्नउपयोग के लिये बड़े पैमाने पर जन-जागरण की आवश्यकता है। नगर निगम के एम.पी.यू.एस.पी. परियोजना के तहत इस कार्य के लिये शहर के मिस्त्री और प्लम्बरों को भी प्रशिक्षण दिया जाना चाहिये इससे पूर्व नगर निगम के जलप्रभारी दत्तात्रेय भालेराव द्वारा कार्यशाला को सम्बोधित करते हुये कहा कि ऐसी संभावनायें व्यक्त की जा रही हैं कि आने वाले समय में पानी के लिये भाई-भाई में लडाई होगी ऐसी संभावनाओं से बचने के लिये जनसंग्रहण के लिये जागरूकता अपनानी चाहिये। नगर निगम को अपने विभिन्न क्षेत्रीय कार्यालयों तथा साठों पार्षदों एवं अधिकारियों के निवासों पर तथा अन्य प्रमुख भवनों पर पानी के रिचार्ज के लिये मॉडल विकसित करना चाहिये ताकि जनता इनसे सीख ले सके।
कार्यशाला में पार्षद श्रीमती मधु भारद्वाज, अपर आयुक्त सुरेश शर्मा, उपायुक्त अभय राजनगांवकर, एम.पी.यू.एस.पी. के नॉडल ऑफीसर देवेन्द्र ंसिह चौहान, अधीक्षणयंत्री कुलश्रेष्ठ, बाल्मी संस्था के श्री पौराणिक एवं श्री दत्ता ने अपने विचार रखें।
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