मंगलवार, 16 दिसंबर 2008

डी आर डी ई. में अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन आज से

डी आर डी ई. में अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन आज से

ग्वालियर 14 दिसम्बर 08। रक्षा अनुसंधान तथा विकास स्थापना, ग्वालियर जो कि रक्षा अनुसंधान विकास संगठन, रक्षा मंत्रालय के अधीन कार्यरत महत्वपूर्ण प्रयोगशाला है, में दिनांक 15 एवं 16 दिसम्बर 08 को तानसेन मार्ग स्थित परिसर में रोगों की आण्विक क्रियाविधि 'ग्दृथ्ङ्ढड़द्वथ्ठ्ठध्द ग्ङ्ढड़ण्ठ्ठदत्द्म दृढ क््त्द्मङ्ढठ्ठद्मङ्ढद्म' विषय पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन होगा।

       मानव स्वास्थ्य जैसे गंभीर मुद्दे पर यह आयोजन इसमें भाग लेने वाले वैज्ञानिकों , अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञों प्रतिभागियों एवं छात्रों के लिए अत्यंत उपयोगी एवं सार्थक होगा। मानव स्वास्थ्य एक अत्यंत रोचक व ज्वलंत विषय है। जैसे कि विदित ही है कोशिकीय प्रक्रियाओं के अनियमित होने की वजह से ही मुनष्य कई तरह की बीमारियों जैसे- मधुमेह, प्रतिरक्षा प्रणाली में ह्रास, गुर्दे व ह्रदय से संबंधित रोग, उपपचयी व तंत्रिकातंत्र से संबंधी रोग, मोटापा, कैंसर इत्यादि रोगों से ग्रसित हो जाते हैं। रोगों की आण्विक क्रियाविधि की खोज एवं जानकारी हासिल करना आधुनिक चिकित्सा अनुसंधान का एक प्रमुख लक्ष्य है। इन घातक रोगों से लड़ाई करने में डी आर डी ई. ग्वालियर एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रही है। डी आर डी आई. का लक्ष्य इन रोगों के प्रति नई निदान एवं उपचार तकनीकों के विकास हेतु आधारभूत अनुसंधान जानकारी का विकास करना है।

       इस अंतर्राष्ट्रीय वैज्ञानिक सम्मेलन में उपरोक्त रोगों एवं पर्यावरण प्रदूषकों से होने वाले रोगों की आण्विक क्रियाविधि के बारे में विस्तार से जानकारियों का आदान प्रदान होगा। इस दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञों के व्याख्यान एवं शोधपत्रों की प्रस्तुति होगी। इसके अलावा सम्मेलन स्थल पर पोस्टर प्रदर्शनी भी लगाई जा रही है इस संगोष्ठी के मुख्य संरक्षक डॉ. एम. नटराजन, रक्षा मंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार हैं तथा संरक्षक डॉ. डब्ल्यु. सेल्वामूर्ति, मुख्य नियंत्रक, डी आर डी ओ. होंगे। सम्मेलन के अध्यक्ष डी आर डी ई. ग्वालियर के निदेशक डॉ. आर. विजयराघवन और सम्मेलन के आयोजन सचिव डॉ. एस जे. एस. फ्लोरा हैं।

इस सम्मेलन में रोगों में ऑक्सीडेटिव तनाव, एण्टी ऑक्सीडेेंट्स की भूमिका, जैविक खतरे/जैव आतंकवाद, जीवन शैली से जुड़े रोग, पोषण एवं संक्रामक रोग, रोगों में परंपरागत दवाओं की भूमिका, पर्यावरण प्रदूषकों द्वारा फैलने वाले रोग, फार्माकोजीनोमिक टॉक्सीकोजीनोमिक्स एवं बायोइन्फोर्मेटिक्स विषय पर गम्भीर चर्चाएँ होंगी।

       इस सम्मेलन में अमेरिका से प्रोफेसर एच सी. पंत, प्रो. आर सी. गुप्ता, डॉ. शिल्पा बुश, डॉ. कैरे पोप, रॉबर्ट बी. सैपर, प्रो. माइकल टोबोरेक, डॉ. एस. पेण्टोलिया एवं डॉ. गोविन्दर फ्लोरा, बेलारूस से डॉ. ब्लादिमीर कॉस्टयूक, हांगकांग से यांग एम.एस., कोरिया से सी के. शिम, इटली से ल्युडमिला कॉरकीना आदि के भाग लेकर व्याख्यान देने की पुष्टि हो चुकी है। भारत के विभिन्न भागों से प्रो. महीप भटनागर, प्रो. यू सी. श्रीवास्तव, डॉ. रजनी रानी, प्रो. ए रे., डॉ. मधु दीक्षित, डॉ. जी.एस. लवेकर, डॉ. द्वारिकानाथ एवं डॉ. मंजू गुप्ता आदि विध्दान भाग ले रहे हैं। इस सम्मेलन में 200 से अधिक प्रतिभागी हिस्सा लेंगे। सम्मेलन का आयोजन डी आर डी ई. ग्वालियर के तानसेन मार्ग स्थित पुराने परिसर में होगा।

 

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