शनिवार, 6 दिसंबर 2008

संगीत मनुष्य को मनुष्य बनाता है - श्री पटनायक

संगीत मनुष्य को मनुष्य बनाता है - श्री पटनायक

मुख्य न्यायाधिपति द्वारा गरिमामयी कार्यक्रम में प्रतिष्ठापूर्ण तानसेन समारोह का शुभारंभ

ग्वालियर 5 दिसम्बर 08 । संगीत सम्राट तानेसन की स्मृति में हर वर्ष आयोजित होने वाले संस्कृति विभाग के प्रतिष्ठापूर्ण आयोजन 'तानसेन समारोह ' का शुभारंभ मध्यप्रदेश के मुख्य न्यायाधिपति श्री ए के पटनायक ने आज शाम महान संगीतज्ञ तानेसन की समाधि पर चादरपोशी एवं गरिमामयी कार्यक्रम में दीप प्रज्ज्वलित कर किया । इस अवसर पर सम्बोधित करते हुये श्री पटनायक ने कहा कि ग्वालियर की समृध्द संगीत परम्परा का साक्षी बनकर वे स्वयं को गौरवान्वित महसूस करते हैं। उन्होंने कहा कि संगीत सम्पूर्ण प्रकृति को प्रभावित करता है तथा मनुष्य को मनुष्य बनाता है । उन्होंने अपना संगीत प्रेम जाहिर करते हुये कहा कि उन्हें संगीत से विशेष प्रेम है और यह प्रेम उन्हें मध्यप्रदेश में पैदा हुआ । श्री पटनायक ने कहा कि उन्होंने प्रारंभिक शिक्षा तत्कालीन मध्यप्रदेश के रायपुर शहर में प्राप्त की और वे उस दौरान जल तरंग बजाया करते थे ।

       इस मौके पर श्रीमती पटनायक, उच्च न्यायालय ग्वालियर खंडपीठ के सम्मानीय न्यायाधिपतिगण, स्थानीय आयोजन समिति के अध्यक्ष एवं संभाग आयुक्त डा. कोमल सिंह, पुलिस महानिरीक्षक श्री डी एस सेंगर, मानसिंह तोमर संगीत विश्वविद्यालय ग्वालियर के कुलपति डा. चितरंजन ज्योतिषी व जिला कलेक्टर      श्री आकाश त्रिपाठी  मंचासीन थे।

       मुख्य न्यायाधिपति श्री पटनायक ने तानसेन संगीत समारोह के महत्व को उजागर करते हुये कहा कि संगीत के क्षेत्र में जो नये प्रयोग होते हैं उन्हें सुरूचिपूर्ण बनाने और आगे बढ़ाने के लिये यह समारोह महत्वपूर्ण मंच है । उन्होंने समारोह के आयोजकों को साधुवाद देते हुये कहा कि समारोह में युवा संगीत कलाकारों की मौजूदगी यह दर्शाती है कि हमारे देश में संगीत का भविष्य उज्ज्वल है ।        श्री पटनायक ने कहा यहाँ आये युवा कलाकारों को यह समारोह संगीत की नई ऊचाईयां प्रदान करेगा । उन्होंने कहा कि तानसेन समारोह एक तरफ उच्च कोटि के संगीतज्ञों के माध्यम से संगीत रसिकों को लाभान्वित करता है, दूसरी तरफ युवा कलाकारों को  आगे बढ़ाने का काम भी करता है ।

 

       संस्कृति सचिव श्री मनोज श्रीवास्तव ने इस अवसर पर कहा कि हम विगत 84 वर्षों से शास्त्रीय संगीत के प्रतिष्ठापूर्ण तानेसन समारोह का आयोजन करते आ रहे हैं । अब वक्त आ गया है कि हम स्वयं से पूँछे कि क्या हम शास्त्रीय संगीत को अपनी रोजमर्रा की जिदंगी का हिस्सा बना पाये हैं ? जिस तरह हम ताजा दम बनने के लिये रोज स्नान करते हैं, क्या वैसे ही हम अपनी आत्मा को म्यूजिक बाथ (संगीत स्नान) के द्वारा नई ऊर्जा प्रदान कर पाते हैं । शायद इसमें कहीं कमी है जिसकी वजह से आज हमें ए.के.-47 की गड़गड़ाहटें सुननी पड़ती हैं।

       उन्होंने संगीत रसिकों की तरफ मुखातिब होते हुये अपील की कि हमारी दुनिया जिसने तानसेन पैदा किया वह दुनिया बचाने लायक है । श्रीयुत श्रीवास्तव ने कहा कि यकीन कीजिए संगीत अपना एक ऐसा वातावरण रचता है जहां हवा द्रवित होने लगती है । संगीत उन्हीं प्राणों की कविता अर्थात " पोइट्री ऑफ द एयर'' है, जिसका विस्तृत संतुलन कारक फैलाव है । उन्होंने कहा कि तानेसन संगीत समारोह सुमेरू पर्वत के समान है, जो  सूरज के समान चमकने वाले व्यक्तित्व के धनी संगीतज्ञ का स्मरण कराता है । जिसका योगदान रोशनी की निरंतर बहती नदी के समान है । उस महान संगीतज्ञ को दुनियावासी तानसेन के नाम से जानते हैं। ग्वालियर की यह पावन धरती ऐसे कार्यक्रमों  के माध्यम से संगीत के उस विरसे को थामे हैं जो आत्मा से सीधे संवाद करता था । जिसका कोई अनुवाद, कोई तर्जुमा व कोई ट्रान्सलेशन संभव नहीं है । संगीत स्वयं में समानांतर दुनिया की सुखद रचना भी करता है।

       तानसेन समारोह की पहली संगीत सभा की शुरूआत स्थानीय माधव संगीत महाविद्यालय के शिक्षक एवं छात्र-छात्राओं द्वारा ध्रुपद गायन से हुई । इसके पश्चात श्री भिमण्णा जाधव ने राग यमन में सुंदरी वादन से समा बांध दिया।

       आरंभ में संस्कृति विभाग के संचालक श्रीयुत श्रीराम तिवारी ने स्वागत उद्बोधन एवं अंत में अलाउद्दीन खाँ संगीत एवं कला अकादमी के संचालक       श्री अरूण पलनीटकर ने आभार व्यक्त किया ।

 

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