रविवार, 12 जुलाई 2009

लोकवानिकी योजना के अंतर्गत वृक्षों की कटाई पर लगा प्रतिबंध हटा

लोकवानिकी योजना के अंतर्गत वृक्षों की कटाई पर लगा प्रतिबंध हटा

नई योजनाएं भी स्वीकृत होंगी, लोक वानिकी प्रबंध योजनाओं के संबंध में

नवीन दिशा -निर्देश

भोपाल 11 जुलाई 09। राज्य शासन ने लोक वानिकी योजना के अंतर्गत निजी भूमि पर वृक्षों की कटाई एवं नवीन प्रबंध योजनाओं पर लगा प्रतिबंध हटा लिया है। वन, राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री राजेन्द्र शुक्ल की पहल पर यह प्रतिबंध हटाया गया है। इस संबंध में वन राज्यमंत्री श्री शुक्ल से एक किसान प्रतिनिधि मंडल ने भेंट कर लोकवानिकी योजना के अंतर्गत वृक्षों की कटाई पर लगा प्रतिबंध हटाने तथा नई योजनायें स्वीकृत करने की मांग की थी। अब इस संबंध में राज्य शासन द्वारा विस्तृत दिशा निर्देश जारी करते हुए यह प्रतिबंध हटा लिया है। यह प्रतिबंध हटाए जाने के बाद अब अनेक निजी भूमिस्वामियों की नई योजनाएं भी स्वीकृत की जा सकेंगी। उल्लेखनीय है कि गत वर्ष जुलाई 2008 में संपूर्ण प्रदेश में लोकवानिकी योजना के अंतर्गत आगामी आदेश तक कटाई एवं नवीन प्रबंध योजनाओं की स्वीकृति पर प्रतिबंध लगाया गया था। राज्य शासन ने लोकवानिकी प्रबंध योजनाओं के संबंध में समस्त आयुक्त, मुख्य वन संरक्षक, जिलाध्यक्ष तथा वनमंडलाधिकारियों को दिशा निर्देश जारी कर दिये हैं।

राज्य शासन द्वारा जारी किए गए विस्तृत निर्देशों के अनुसार वनमंडल के अंतर्गत स्वीकृत समस्त प्रबंध योजनाओं का स्थल सीमांकन राजस्व एवं वन विभाग के संयुक्त दल द्वारा कराया जाना अनिवार्य किया गया है। यह संयुक्त सीमांकन राजस्व विभाग के नायब तहसीलदार से अनिम्न श्रेणी के अधिकारी एवं वन विभाग के परिक्षेत्र सहायक (उप वन क्षेत्रपाल#वनपाल) से अनिम्न श्रेणी के अधिकारी द्वारा किया जाएगा। सीमांकन स्थाई पक्के मुनारे से किया जायेगा। पक्के मुनारे का निर्माण भूमि स्वामी द्वारा स्वयं के व्यय से राजस्व अधिकारियों द्वारा निर्धारित आकार का एवं उनके निर्देशानुसार किया जाएगा। सीमांकन के उपरांत मुख्य वन संरक्षक (क्षेत्रीय) द्वारा प्रबंधन योजना का परीक्षण कराया जाएगा, जिसमें योजना की संवहनीयता का पालन होने पर ही आगे की कार्यवाही करने की अनुमति दी जायेगी।

इसी प्रकार स्थल सीमांकन के साथ-साथ स्थल पर उपलब्ध शस्य का संयुक्त आंकलन भी उपरोक्तानुसार संयुक्त सीमांकन के लिए अधिकृत अधिकारियों द्वारा किया जायेगा, जिससे अभिलेखों एवं स्थल पर विसंगति की स्थिति में स्थल के संयुक्त आंकलन में पायी गई स्थिति को मान्य किया जा सके। जिन प्रबंधन योजनाओं में विदोहन हो चुका है किन्तु भुगतान लंबित है, उनका भी संयुक्त सीमांकन कराया जाकर यदि विदोहित वृक्ष भूमि स्वामी के ही हैं तो उसे लंबित राशि का भुगतान किया जाएगा।

नई प्रबंध योजनाओं की स्वीकृति की अनुशंसा के पूर्व वनमंडलाधिकारी स्वयं अथवा उप वनमंडलाधिकारी से स्थल निरीक्षण कराकर लोकवानिकी के मूल सिध्दांत 'संवहनीयता' को सुनिश्चित करेंगे। इसके अतंर्गत वृक्षो की कटाई प्रति वर्ष 10 वर्षो तक एवं प्रत्येक कटाई हेतु यथासंभव प्रति वर्ष समान उत्पादकता के सिध्दांत को सुनिश्चित किया जायेगा।

म.प्र. लोक वानिकी नियम 2002 के नियम 7 अनुसार मॉनिटरिंग समिति का गठन भी राज्य शासन द्वारा अनिवार्य किया गया हेै। साथ ही यदि अनुमोदित प्रबंध योजना के क्रियान्वयन में कोई अनियमितता पाई जाती है तो म.प्र. लोक वानिकी नियम 2002 के नियम 6(7) के अनुसार योजना का आगामी क्रियान्वयन निलंबित रखा जायेगा तथा म.प्र. लोक वानिकी अधिनियम 2001 की धारा 8 एवं लोक वानिकी नियम 2002 के नियम 7(2) के अनुसार कार्यवाही की जायेगी। ऐसी परिस्थिति में उप खंड अधिकारी (राजस्व) द्वारा म.प्र. लोकवानिकी अधिनियम की धारा 8 -''उल्लंघन के लिये दंड'' के तहत आदेशित शास्ति उपरांत वनमंडलाधिकारी, प्रबंध योजना में विहित संक्रिया के उल्लंधन की गंभीरता को देखते हुए निलंबन समाप्त करने अथवा स्वीकृति निरस्त करने के संबंध में उचित निर्णय लेंगे।

लोक वानिकी अधिनियम अंतर्गत नई योजनाओं की स्वीकृति के लिए प्रकरण प्रस्तुत करने के पूर्व क्षेत्र का संयुक्त सीमांकन किया जाना अनिवार्य होगा तथा स्थाई पक्के मुनारे का निर्माण भी किया जाना होगा।

 

 

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