एकीकृत पड़त भूमि विकास कार्यक्रम : चार वाटर शेड परियोजनाओं में 8180 हेक्टेयर से अधिक भूमि का उपचार
ग्वालियर 11 फरवरी 09। जिले में एकीकृत पड़त भूमि विकास कार्यक्रम के तहत मंजूर हुईं चार मिली वाटर शेड परियोजनाओं में अब तक लगभग आठ हजार 180 हेक्टेयर से अधिक भूमि उपचारित की जा चुकी है। भूमि के उपचार पर करीबन पाँच करोड़ रूपये की राशि खर्च हुई है। उल्लेखनीय है कि एकीकृत पड़त भूमि विकास कार्यक्रम के तहत जिले की इन चार मिली वाटर शेड परियोजना क्षेत्र के गाँवों की 15 हजार हेक्टेयर भूमि के उपचार के लिए नौ करोड़ रूपये की राशि मंजूर हुई थी।
जिले में यह मिली वाटर शेड परियाजनायें जनपद पंचायत मुरार के अन्तर्गत दंगियापुरा, घाटीगाँव में समराई व जनपद पंचायत भितरवार के अन्तर्गत मोहनगढ़ व करहिया में संचालित हैं। मिलीवाटर शेड परियोजना दंगियापुरा के अन्तर्गत दंगियापुरा सहित रनगंवा, घुसगंवा व टिकटौली माइक्रोवाटर शेड परियोजना शामिल है। इसी प्रकार मिली वाटर शेड परियोजना समराई में समराई सहित नजरपुरा, डगोरा, चगोरा व बड़का गाँव शामिल हैं। मोहनगढ़ में सात माइक्रोवाटर शेड परियाजना स्वीकृत हैं, जिनमें मोहनगढ़ सहित बासोड़ी, देवगढ़, बामरोल, पलायछा, खड़ऊआ व खेड़ा भितरवार शामिल हैं। इसी तरह मिलीवाटर शेड परियोजना करहिया के अन्तर्गत रिठोदन, दुबहीटांका, दुबही, करहिया व स्याऊ माइक्रो वाटर शेड परियोजना शामिल है।
जिला पंचायत से प्राप्त जानकारी के अनुसार मिली वाटर शेड परियोजना दंगियापुरा में अब तक करीबन सबा करोड़ रूपये की लागत से लगभग दो हजार हेक्टेयर भूमि का उपचार किया जा चुका है। मिली वाटर शेड परियोजना समराई में लगभग एक करोड़ 13 लाख रूपये की लागत से दो हजार 103 हेक्टेयर, मोहनगढ़ में करीबन एक करोड़ 85 लाख रूपये की लागत से लगभग दो हजार 474 हेक्टेयर एवं मिलीवाटर शेड परियोजना करहिया में अब तक लगभग 78 लाख रूपये की लागत से एक हजार 600 हेक्टेयर भूमि का उपचार किया जा चुका है।
इन सभी परियोजनाओं में जल गृहण क्षेत्र प्रबंधन कार्यक्रम के तहत खासतौर पर जल के संरक्षण व संवर्धन से संबंधित कार्य प्रमुखता से कराये गये हैं। इन कार्यों में मेड़ ंधान, गली प्लग, बोरी बंधान अर्दन चेकडेम, मेसनरी चेकडेम, पुराने तालाबों का जीर्णोध्दार, खेत तालाब, सोकपिट, कुंडी कुइया आदि कार्य शामिल हैं। इनके अलावा पौघ रोपणी की स्थापना, जेट्रोफा व अन्य पौध रोपण, पशु नस्ल सुधार जैस कार्य भी कराये गए है। परियोजना क्षेत्र के गांवों के लोगों को स्वरोजगारमूलक गतिविधियों से जोड़ने के लिए उन्हें स्व-सहायता समूहों में संगठित कर आर्थिक सहायता भी मुहैया कराई गई।
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