शनिवार, 28 मार्च 2009

नगर निगम द्वारा आयोजित नव सवंत्सर कार्यक्रम में हजारों हाथों ने किया सूर्य को अर्घ्यदान

नगर निगम द्वारा आयोजित नव सवंत्सर कार्यक्रम में हजारों हाथों ने किया सूर्य को अर्घ्यदान

ग्वालियर दिनांक 27.03.2009- सूर्य देव की प्रथम रश्मि को कृतज्ञ भाव से निहार कर हजारों आंखों के साथ अर्घ्य अर्पित करते हजारों हाथों ने मंत्रोच्चार के साथ सम्पूर्ण संसार की कुशलता का कामना कर प्रार्थना कर जलविहार में जनसमूह ने नव सवंत्सर की प्रथम सूर्य किरण का भव्य स्वागत किया।

नगर निगम द्वारा आयोजित नव संवत्सर समारोह में ग्वालियरवासियों को शुभकामनाऐं देते हुये नगर निगम आयुक्त डॉ. पवन कुमार शर्मा ने अपने संदेश में कहा हमने प्रकृति से ही हंसना और प्रफुल्लित रहना सीखा है। प्रकृति का गुण जब हमारे व्यक्तिगत, सामाजिक जीवन में आ जाता है तब जीवन प्राकृतिक हो जाता है। बसंत को तो ऋतुओं का राजा कहा जाता है। इस ऋतु में होने वाला प्राकृतिक परिवर्तन अन्य ऋतुओं में होने वाले परिवर्तन से कहीं अधिक आनंद को देने वाला होता है। विश्व की सबसे प्राचीनतम काल गणना हमारे भारत वर्ष की है इसका हमें अभिमान है इसी गौरव को स्मरण करने का आज यह अवसर है।

 इस अवसर पर नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग के प्रमुख सचिव राघवचन्द्रा विशेष रूप से उपस्थित थे।

नगर निगम द्वारा आयोजित नव संवत्सर महोत्सव की परम्परा में एक गौरवशाली क्षण उस समय जुड़ गया जब विश्वविख्यात ध्रुपद गायक सईद्उदीन डागर साहब ने प्रात: ठीक पांच बजे दीप प्रज्जवलन कर कार्यक्रम का शुभांरभ किया।

प्रात: 04.40 पर आंरभ हुई संकीर्तन यात्रा का जलबिहार पहुंचते ही नगर निगम की महिला कर्मचारियों ने आत्मीयता से स्वागत किया। दीप प्रज्जवलन के उपरांत सरस्वती वंदना नदी गेट शिशु मंदिर, तथा कलाश्रीग्रुप के बालक बालिकाओं ने प्रस्तुत की। प्रकृति की आराधना से आध्यात्मिक होते वातावरण में गुरूध्दारा फूलबाग के हुजूरी रागी, जत्था प्रमुख भाई सोहन सिंहजी, भाई संदीप सिंह द्वारा गुरूवाणी के पाठ से ऊर्जस्वित कर दिया। तबले पर संगत भाई मोहकम सिंह ने की। इसके पश्चात पूना की सोनाली भटेवरा ने जैनवाणी बौध्दवाणी की सुरमय धारा बहाकर उपस्थित ह्रदयों को भक्तिभाव से भर दिया।

तत्पश्चात् आंनदित होती प्रकृति के साथ पद्मजा समूह के कलाकारों ने भरत नाटयम की प्रस्तुति कर उत्सव का वातावरण निर्मित कर दिया। पूना से आये हिमांशू विश्वरूप के वायलिन एवं सुनील पावगी के गिटार ने केवल आपस में ही जुगलबंदी नहीं की बल्कि उनके स्वर प्रकृति के साथ लय ताल मिलाते हुये उपस्थित जनों के कानों में मिश्री घोलते रहे।

सूर्य को अर्घ्य देने के लिये गायत्री परिवार के साथ पंडित रामचन्द्र पाठक ने सस्वर मंत्रोच्चार किया और विश्वकल्याण के लिये प्रार्थना की।

आध्यात्मिकता से उपजे इस आनंद को बढ़ाते हुये के.आर.जी. की छात्राओं में अमिता लक्षवानी, मोनिका, रचना के दल ने खुदा तू बड़ा मेहरबां, जी.आई.सी.टी. की छात्र-छात्राओं ने हम होंगे कामयाब तथा संगीत विद्यालय ग्वालियर के साधकों ने ''इतनी शक्ति हमें देना दाता'' प्रस्तुत किया।

प्रतिवर्ष की तरह संगीत गुरूकुल दतिया के कलाकारों ने प्राचीन वाद्यो की सुमधुर और तीव्र ध्वनि से दर्शकों को रोमांचित कर दिया। उसके तत्काल पश्चात नृत्योत्सव की धारा का बहना, सृजन समूह की नृत्य नाटिका फिर भोर भई से आंरभ हुआ जो ऋषि गालव कला संस्था की गणेश वंदना, रौनक शर्मा के राजस्थानी नृत्य, रेडियेट विद्यालय के विद्यार्थियों के कत्थम, श्याम समूह के गिध्दा, लक्ष्मी पिल्लई व अन्नू नायर की शिववंदना, भाग्यश्री वैशम्पायन के राष्ट्रभक्ति से ओत-प्रोत वन्देमातरम् के भाव तीर्थों को छूता हुआ, विनयनगर समूह के नयनाभिराम गरबा के साथ अपने उत्कर्ष पर पहुंचकर सम्पन्न हुआ।

कार्यक्रम का सरस संचालन जनसम्पर्क अधिकारी डॉ. प्रदीप श्रीवास्तव, उपायुक्त देवेन्द्र सिंह चौहान एवं राकेश मित्तल ने किया।

सायंकालीन सभा आज सायं नव सवंत्सर की संध्या पर दिल्ली से पधारी नृत्यांगना रमा वैद्यनाथन द्वारा भरत नाटयम की प्रस्तुति दी जावेगी। इसके पश्चात 07.30 मिनट से उड़ीसा से पधारे कलाकारों द्वारा लोकनृत्य की प्रस्तुति होगी। 08.15 पर ग्वालियर के स्थानीय कलाकारों द्वारा भगवान गणेश को समर्पित अष्टविनायक महिमा पर आधारित नृत्य नाटिका की प्रस्तुति होगी तथा 08.30 बजे भवानी पटना उड़ीसा से कलाकारों द्वारा तपस्वनी नृत्य नाटिका का मंचन किया जावेगा। रात 9 बजे से 10 बजे तक पूर्वांचल से पधारे कलाकारों द्वारा अपनी लोक प्रस्तुतियां की जावेगी। दिनांक 28.03.2009 को सायं 7 बजे भारत के जाने-माने धु्रपद गायक सईउद्दीन डागर द्वारा जलविहार पर धु्रपद गायन किया जावेगा।

 

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