शुक्रवार, 13 मार्च 2009

भूमि में कार्बन की मात्रा बढ़ायें, टिकाऊ खेती को अपनायें - डॉ. विजय सिंह तोमर

भूमि में कार्बन की मात्रा बढ़ायें, टिकाऊ खेती को अपनायें - डॉ. विजय सिंह तोमर

दूरदर्शन की कृषि संगोष्ठी सम्पन्न

ग्वालियर 9 मार्च 09। भूमि में कार्बन की मात्रा को बढ़ाया जावे। इसके लिये गोबर की खाद, हरी खाद, नाडेप, केंचुआ खाद आदि का उपयोग कर टिकाऊ खेती पर बल दिया जाये। यह विचार राजमाता विजयराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. विजय सिह तोमर जो मृदा विशेषज्ञ भी है ने आज यहां दूरदर्शन द्वारा आहूत कृषि संगोष्ठी में व्यक्त किये । उन्होंने कहा कि एक तरफ बढ़ती जनसंख्या का दबाब और दूसरी तरफ कृषि का घटता रकबा ऐसे में टिकाऊ खेती ही कृषि उत्पादन बढ़ाकर आवश्यकताओं की पूर्ति कर सकती है। उन्होंने किसानों से उन्नत बीज एवं उन्नत कृषि तकनीक को अपनाकर उत्पादन बढ़ाने की अपील की। संगोष्ठी में कृषकों ने दो घण्टे तक कृषि तथा उद्यानिकी से सम्बन्धित विविध प्रश्न पूछे। मंच पर उपस्थित एक दर्जन कृषि विशेषज्ञों ने अपनी अपनी विशेषज्ञता वाले क्षेत्रों से जुड़े प्रश्नों का उत्तर देकर न केवल कृषकों की जिज्ञासा को शान्त किया अपितु उन्हें अच्छी पैदावार के लिये जरूरी मार्गदर्शन भी दिया। सन्गोष्ठी का प्रदेश व्यापी डिफर्ड प्रसारण दूरदर्शन से 13 मार्च को किया जायेगा।

       संगोष्ठी में कृषक दारा सिंह राणा ने अपनी नीबू की फसल से जुड़ी समस्या का समाधान चाहते हुए नीबुओं के समयपूर्व ही झड़ जाने का उपचार पूछा। उद्यानिकी विशेषज्ञ ने उन्हें मछली का वेस्ट डालने तथा पौधों को समय पर खाद पानी देने की सलाह दी। एक अन्य कृषक श्री जगदीश मण्डेलिया द्वारा धान की अच्छी वैरायटी बाबत पूछे जाने पर सुगन्धित वर्ग में पूसा सुगन्धा की पांचों किस्में के धान की जानकारी दी गई। उल्लेखनीय है कि कृषकों में पूसा सुगन्धा और जे आर. 201 अच्छी उपज वाला धान पसन्द किया जाता है। आदित्य, आभा व तुलसी सहित अन्य भी कई धान की किस्में हैं जो अच्छी पैदावार देती हैं। कृषक सोबरन सिह ने आलू की खेती से जुड़े प्रश्न किये। विशेषज्ञों ने उन्हें कुफरी लोकर, कुफरी चिप्सोना-एक, कुफरी चिप्सोना-दो लगाने की सलाह दी गई। साथ ही उन्हें आलू की अच्छी पैदावार लेने के तरीके भी बताये गये। भदरौली के एक कृषक ने भिण्डी एक अन्य कृषक ने अमरूद मे कीड़े और फल झड़ने की समस्या बताते हुए उपाय पूछे। कुछ कृषकों ने इफको की खाद बाबत सवाल किये। उल्लेखनीय है कि इफ्को सहकारी क्षेत्र में ही खाद का उत्पादन करता है एवं सहकारी संस्थाओं के माध्यम से ही खाद को किसानों तक पहुंचाता है। मध्य प्रदेश मे इफ्को मध्य प्रदेश राज्य सहकारी विपणन संघ, तिलहन उत्पादक सहकारी संघ तथा एग्रो इन्डस्ट्रीज के माध्यम से ही खाद देता है। इफ्को यूरिया, डी ए पी. तथा एन पी के. का उत्पादन करता है व भविष्य में रॉक फास्फेट के उत्पादन की दिशा में भी प्रयासरत है।

       दीमक की समस्या से निजात के लिये अभियान चलाकर दीमक की रानी को नष्ट करने का मश्विरा दिया गया। दीमक की रानी एक दिन में 25 हजार अण्डे देती है अत: ऊपरी तौर पर दवा छिड़क कर दीमक से छुटकारा पाना मुश्किल रहता है। दीमक वाले स्थान की खुदाई करे वो पहले नरम मिट्टी वाला फंगल गार्डन आता है जहां बच्चा दीमक पलते हैं फिर तकरीबन 3 से 4 फुट की गहराई पर सख्त मिट्टी में छोटे गड्डे में 3 से 5 सेन्टीमीटर की रानी रहती है। इस रानी को नष्ट करके ही दीमक से स्थाई मुक्ति पाई जा सकती है।

      संगोष्ठी का शुभारंभ कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. विजय सिंह तोमर, निदेशक विस्तार सेवायें डॉ. वाई एम. कूल, केन्द्र निदेशक दूरदर्शन डॉ. आर बी. भण्डारकर ने दीप प्रज्ज्वलित करके किया। निदेशक प्रक्षेत्र सेवायें डॉ. एच एस. यादव, कृषि कीट विज्ञानी डॉ. एन एस. भदौरिया, पादप रोग विज्ञानी डॉ. एस एल. नायक, निदेशक बागवानी डॉ. आर एन. एस. बनाफर, समन्वयक कृषि विज्ञान केन्द्र डॉ. राज सिंह, उपसंचालक कृषि श्री जे एस. यादव, क्षेत्रीय प्रबंन्ध इफको श्री एस बी. खेड़कर ने कृषकों की समस्याओं का समधान किया। श्री ऋषि मोहन श्रीवास्तव ने किसानों से बाचचीत का सिलसिला संभाला तथा मंच पर संचालन श्री जयंत तोमर ने किया। संगोष्ठी में भारी संख्या में कृषकों ने शिरकत की।

 

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