रैलियों में नहीं होगा बच्चों का उपयोग , मानव अधिकार आयोग की अनुशंसाओं का सख्ती से करें पालन - डा0 कोमल सिंह
हमें खेद है मुरैना में चल रही अघोषित व अनियमित भारी बिजली कटौती के कारण यह समाचार समय पर पगकाशित नहीं किया जा सका
ग्वालियर 28 मई 09 । संभागायुक्त डा0 कोमल सिंह ने संभाग में कहीं भी होने वाली रैलियों में बच्चों का उपयोग न करने की हिदायत दी है । उन्होनें बताया कि इस दिशा में राज्य सरकार ने सभी विभाग प्रमुखों, कमिश्नरों, कलेक्टरों तथा पुलिस अधीक्षकों को निर्देश जारी किया है कि रैलियों में बच्चों का उपयोग न किया जावे। साथ ही इस संबंध में मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग की अनुशंसाओं का सख्ती से पालन किया जाये। आयोग ने यह अनुशंसाएं एक गैर शासकीय संस्था थैलेसीमिया एण्ड चाईल्ड वेलफेयर इन्दौर की शिकायत के संदर्भ में की हैं।
मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग की अनुशंसा है कि नन्हें बालक-बालिकाओं का राजनैतिक उद्देश्य की पूर्ति में प्रचार-प्रसार के लिये उपयोग न किया जाये । आयोग का मानना है कि रैली में शामिल करना बच्चों के समुचित व्यक्तित्व विकास एवं प्रतिष्ठा के प्रतिकूल है। बच्चों का राजनैतिक एवं सामाजिक पार्टियों द्वारा शोषण चाईल्ड कन्वेशन में दिये गये सिध्दांतों का खुला उल्लंघन है । पुलिस ऐसे रैली या कार्यक्रमों को नियंत्रित करे एवं आवश्यक हो तो पूर्ण प्रतिबंधित करें। चाईल्ड कन्वेशन को भारत सरकार ने अनुमोदित कर इस पर हस्ताक्षर किये हैं। अत: यह भारत सरकार तथा सभी प्रदेशों पर बंधनकारी भी है।
संभागायुक्त डा0 कोमल सिंह ने बताया कि किशोर बालकों की देखरेख तथा संरक्षण अधिनियम 2004 एवं मध्यप्रदेश शासन द्वारा बनाये गये नियम 2003 का संभाग में पूरी तरह से पालन सुनिश्चित किया जायेगा ।
आयोग ने अनुशंसा की है कि अवयस्क बालक-बालिकाओं को यथोचित संरक्षण देकर उन्हें सुचारू रूप से शिक्षित एवं संस्कारित किया जाये। अवयस्क बालक-बालिकाएं स्वयं किसी भी कार्यक्रम में अपने हित और अहित के संबंध में कोई विचार कर निर्णय लेने में सक्षम नहीं है। अत: योजना बनाने के लिये संस्थाओं, न्यायालयों तथा सभी प्रशासनिक अधिकारियों एवं विभागों तथा विधायिका से जुड़ी सभी संस्थाओं से अपेक्षा है कि बालक-बालिकाओं के हित को सर्वोपरि मानकर ही योजनाएं बनायें।
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