बैंकर्स जनहितकारी योजनाओं के प्रति सकारात्मक रूख अपनायें –कलेक्टर आकाश त्रिपाठी
ग्वालियर 22 मई 09। बैंक अपनी सामाजिक प्रतिबध्दता का पालन करें। शासन द्वारा प्रयोजित आम आदमी के हितवाली योजनाओं के क्रियान्वयन में सकारात्मक रूख अपनावें। किसान क्रेडिट कार्ड तथा वित्तीय समावेश कार्यक्रम अन्तर्गत हर परिवार से एक व्यक्ति का अनिवार्यत: बैंक खाता खोलें व राष्ट्रीय रोजगार गारण्टी योजना के जॉबकार्ड होल्डर्स के खाता खोलने के काम को प्राथमिकता से पूरा करें। यह निर्देश जिला कलेक्टर श्री आकाश त्रिपाठी ने आज यहां बैंकर्स की तिमाही जिला स्तरीय समीक्षा एवं सलाहकार समिति की बैठक में दिये। उन्होंने जहां जिले में ग्रामीण क्षेत्र की बैंक शाखाओं के कार्यों की सराहना की वहीं नगरीय क्षेत्र की बैंक शाखाओं की संवेदनहीनता और खराब प्रदर्शन को दुखद निरूपित किया।
नगरीय क्षेत्र के गरीबों का जीवन बेहतर बनाने के लिये चलाई जा रही शासकीय योजनाओं में जिले में आठ बैंकों यूको बैंक, बैंक ऑफ महाराष्ट्र, इलाहाबाद बैंक, कॉर्पोरेशन बैंक, सिंडिकेट बैंक, आन्ध्रा बैंक, इन्डियन बैंक तथा विजया बैंक ने निर्धारित लक्ष्य के 25 प्रतिशत से भी कम लक्ष्य अर्जित किया है। कुछ प्रकरणों में बैंक ऑफ बड़ौदा ने लम्बे अरसे तक शासकीय अनुदान अपने पास रखने के उपरांत प्रकरणों को वापिस भेज दिया। अंत्यावसायी निगम की स्वरोजगार एवं एस आर एम एस. योजना में उटीला ब्रांच ने पूर 44 प्रकरण ही लौटा दिये। यह सभी प्रकरण अनुसूचित जाति के हितग्राहियों के थे। जिले के विभिन्न बैंकों में आज भी सैकड़ों प्रकरण लम्बित हैं।
शासकीय योजनाओं में दीनदयाल रोजगार योजना में 91 स्वीकृत प्रकरणों में से मात्र 28 को ऋण , रानी दुर्गावती योजना में 64 स्वीकृत प्रकरणों में से 22 को, अन्त्यावसायी सहकारी विकास समिति द्वारा संचालित स्वरोजगार योजना में 303 स्वीकृत प्रकरणों में से 225 एवं एक अन्य योजना एस आर एम एस. योजना में 337 स्वीकृत प्रकरणों में 191 को ही ऋण वितरण किया गया साथ ही स्वर्णजयंती शहरी रोजगार योजना में 2093 के लक्ष्य के विरूध्द मात्र 1138 हितग्राहियों को ही ऋण दिया गया।
बैठक में उपस्थित मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत श्री विनोद शर्मा ने रोजागर गारण्टी योजना के खाते खोलने में की जा रही विसंगति और लापरवाही की तरफ ध्यान दिलाया। उन्होंने कहा कि अब रोजगार गारण्टी योजना के प्रकरणों की विसंगतियों दूर हों इसके लिये लोक अदालतों का सिलसिला प्रारंभ हो चुका है। उन्होंने बैंकर्स को सावधान करते हुए मुस्तैदी से अपना काम करने को कहा।
समीक्षा दौरान भौतिक लक्ष्यों की तुलना में तेजी से वित्तीय लक्ष्यपूर्ति के लिये छोटे प्रकरणों की अनदेखी का मामला भी सामने आया। जिला कलेक्टर श्री आकाश त्रिपाठी ने माइक्रो क्रेडिट का महत्व निरूपित करते हुए छोटे-छोटे रोजगार धन्धों तथा छोटे किसानों के ऋण प्रकरणों पर विशेष ध्यान देने की हिदायत दी। उन्होंने कहा कि अरसे से लम्बित प्रकरणों को नया प्रकरण मानते हुए तुरन्त आगे की कार्यवाही की जावे।
बैठक में उपस्थित रिजर्व बैंक के प्रतिनिधि महाप्रबंधक श्री के पी. सिंह ने बताया कि बैंकों को 15 दिन में ही प्रकरण का निराकरण करना होता है। अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के प्रकरण बैंक ब्रांच को अपनी कन्ट्रोलिंग अथॉरिटी के द्वारा ही वापिस करने का प्रावधान है। अत: सभी बैंक अधिकारी पूरी संवेदनशीलता से कार्य करें। बैठक में अग्रणी बैंक सेन्ट्रल बैंक ऑफ इण्डिया के क्षेत्रीय प्रबन्धक श्री एस सी. गुप्ता एवं जिला प्रबंधक श्री आर बी. शुक्ला अन्य बैंकों के जिला समन्वयक एवं सम्बन्धित शासकीय विभागों के अधिकारी उपस्थित थे।
बैठक में दिसम्बर 2008 की तिमाही पर सभी बैंकों की जमा एवं ऋण के आंकड़ों पर चर्चा की गई तथा मार्च 2009 तिमाही के अन्त तक शासकीय योजनाओं की प्रगति की समीक्षा की गई। दिसम्बर 08 पर सभी बैंकों की जमा राशि रूपये 5420 करोड़ तथा ऋण राशि 2674 करोड़ पाई गई। जिले की सी. डी. रेश्यो 49.33 प्रतिशत रही है। वार्षिक समूह योजना वर्ष 2008-09 की प्रगति कुल प्राथमिकता क्षेत्र में 70.52 प्रतिशत रही है। कृषि ऋण में दिया गया लक्ष्य की 107 प्रतिशत प्राप्ति रही है। लघुउद्योगों में प्रगति मात्र 47 प्रतिशत रही जो चिन्ता का विषय है। अन्य प्राथमिकता क्षेत्रों में प्रगति 41 प्रतिशत रही है।
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