कृषि विपणन एवं खाद्य भण्डारण पर कार्यशाला सम्पन्न
ग्वालियर 9 फरवरी 09। आज स्थानीय तानसेन रेसीडेंसी में राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) के तत्वावधान में कृषि उत्पाद, भण्डारण एवं विपणन पर कार्यशाला सम्पन्न हुयी। कार्यशाला में बड़ी संख्या में बैंक प्रबंधक, किसान और उद्योगपतियों ने भाग लिया।
इस अवसर पर कार्यक्रम के मुख्य अतिथि सेन्ट्रल बैंक क्षेत्रीय प्रबंधक श्री एस सी. गुप्ता ने कहा कि राज्य व केन्द्र सरकार किसानों को उनके उत्पादन का पूरा लाभ दिलाना चाहती है। जिसके लिये खाद्य प्रसंस्करण उद्योग लगाने तथा भण्डार गृह बनाने होंगे। शासन ने हर जिला व तहसील स्तर पर भण्डार गृह बनाने के लिये 11 हजार करोड़ रूपये के अनुदान का प्रावधान किया है। यह अनुदान ऋण के माध्यम से मिलेगा। इस ऋण का उद्देश्य किसानों को उनके उत्पाद का उचित मूल्य दिलाना है।
इस अवसर पर नाबार्ड के जिला विकास प्रबंधक श्री रघुवीर जोशी ने कहा कि फसल कटाई के बाद विभिन्न उत्पादों के विपणन के प्रबंधन की आवश्यकता को पूरा करने के लिए विपणन आधारित संरचना का विकास, इस योजना का मुख्य उद्देश्य है, इसके लिए निजी क्षेत्र से बड़े निवेश की आवश्यकता एवं उम्मीद है। योजना सुधारों से जुड़ी है। कृषि उपज मंडी समिति अधिनियम को संशोधित करने वाले राज्यों में यह लागू की जा रही है और मध्य प्रदेश इसमें से एक है। उत्पादन का स्वरूप न बदलते हुए, उसके मूल्य संवर्धन की सुविधाओं का विकास करना, निजी क्षेत्र को कृषि विपणन में शामिल होने के लिये प्रेरित करना, स्पर्धा के माध्यम से स्थापित व्यवस्था की कार्यक्षमता में सुधार लाना तथा मूल्य संवर्धन से किसानों को उसका अधिक से अधिक लाभ पहुंचाना, इस योजना का मूल उद्देश्य है।
उन्होंने कहा कि योजना के अंतर्गत, निजी क्षेत्र में मार्केट यार्ड, मंडी, किसानों से सीधे खरीदी बिक्री की व्यवस्था, सफाई, श्रेणीकरण, मानकीकरण, गुणवत्ता प्रमाणन, पैकेजिंग, लेबलिंग, प्रसंस्करण इकाइंयां, ई-व्यापार, कोल्ड स्टोर आदि आधारभूत सुविधा निर्माण करने की काफी संभावनाएं हैं, निजि निवेश आकर्षित करने तथा इन सुविधाओं में लगने वाली बड़ी लागत को ध्यान में रखकर निवेश कर्ताओं को पूंजीगत लागत का 25 प्रतिशत अनुदान दिया जा रहा है। अनुसूचित जाति/जनजाति के निवेशकों को तथा उनकी सहकारी समितियों के लिए पूंजीगत लागत का 33.33 प्रतिशत अनुदान देय है। अनुदान ऋण आधारित है तथा इसकी अधिकतम सीमा रूपये 50 से 60 लाख है।
इस अवसर पर वेयर हाउसिंग कॉरपोरेशन के क्षेत्रीय प्रबंधक श्री आर के. भोरात ने कहा कि भण्डार गृह एक निश्चित मापदण्ड के आधार पर बनते हैं। फलत: इसके लिये व्यवसायियों और किसानों को उनके कार्यालय से सशुल्क सुझाव पुस्तिका दी जाती है। भण्डार गृह ऊंचाई पर होना चाहिए। उसमें हवा आने-जाने की सुविधा होनी चाहिए। उसकी ऊँचाई की भी सीमा है। उसमें समय-समय पर कीटनाशकों का छिड़काव होना चाहिए। उसमें गेहँं, चावल के अलावा, भूसा, उर्वरक, चीनी या अन्य खाद्यान्न भी रख सकते हैं। उन्होंने कहा कि ग्वालियर क्षेत्र में भण्डार गृह बनाने तथा खाद्य प्रसंस्करण उद्योग की व्यापक सम्भावनाएं हैं।
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