शुक्रवार, 6 मार्च 2009

तम्बाकू नियंत्रण अधिनियम के प्रभावी क्रियान्वयन पर कार्यशाला सम्पन्न

तम्बाकू नियंत्रण अधिनियम के प्रभावी क्रियान्वयन पर कार्यशाला सम्पन्न

ग्वालियर 2 मार्च 09। आज राज्य स्तरीय स्वास्थ्य प्रबंधन एवं संचार संस्थान में स्वास्थ्य विभाग के तत्वावधान में तम्बाकू नियंत्रण अधिनियम के प्रभावी क्रियान्वयन के संबंध में कार्यशाला सम्पन्न हुई। कार्यशाला में हाईकोर्ट ग्वालियर के न्यायाधीश न्यायमूर्ति श्री एस के. गंगेले, अतिरिक्त महाधिवक्ता हाई कोर्ट ग्वालियर श्री श्याम बिहारी मिश्र, संभागायुक्त डॉ. कोमल सिंह, पुलिस महानिरीक्षक श्री डी एस. सेंगर, पुलिस उपमहानिरीक्षक श्री आदर्श कटियार, स्वास्थ्य विभाग भोपाल के प्रतिनिधि डॉ. बी एम. श्रीवास्तव, पुलिस अधीक्षक श्री वी.के.सूर्यवंशी, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. अर्चनांशिंगवेकर, डॉ. दिलीप आचार्य इंदौर, डॉ. आलोक पुरोहित ने भाग लिया।

       इस अवसर पर न्यायमूर्ति श्री एस. के. गंगेले ने कहा कि तम्बाकू नियंत्रण अधिनियम का प्रभावी क्रियान्वयन जरूरी है। तम्बाकू के प्रचार प्रसार पर प्रभावी रोक लगनी चाहिए। तम्बाकू और एल्कोहल आधुनिक जीवन शैली के कारण फल फूल रहे हैं, इनके उपयोग में दिन दूनी रात चौगुनी वृध्दि हो रही है। गुजरात की भांति पूरे देश मे शराब बंदी लागू होनी चाहिए। नशाखोरी से कई अनुषंगिक दुष्प्रभाव होते हैं, जिससे बीमारियाँ बढ़तीं है और मनुष्य की असमय मृत्यु तक हो जाती है अथवा वह असाध्य रोगों से ग्रसित होजाता है। मनुष्य आदत से लाचार है, इसलिये नशाखोरी करता है। योग के माध्यम से नशाखोरी पर नियंत्रण किया जा सकता है। मैनहटन (अमेरिका) में योग के माध्यम से कई नशाखोरों ने या तो नशा करना बंद कर दिया है अथवा उनकी आदतों में 90 प्रतिशत सुधार आ गया है। उन्होंने यह भी कहा कि योग से आंतरिक शांति मिलती है। तम्बाकू से शासन को जितनी आय होती है, उससे कहीं ज्यादा शासन जनता के इलाज पर धन खर्च कर रहा है। शासन को कृषि के नाम से तम्बाकू पर दी जा रही सब्सिडी बंद कर दी जानी चाहिए। सब्सिडी बंद होजाने से तम्बाकू मंहगीं होगी और उसका उपयोग स्वत: ही कम होजायेगा।

       इस अवसर पर अतिरिक्त महाधिवक्ता श्री श्याम बिहारी मिश्र ने कहा कि दृढ़ संकल्प के जरिये तम्बाकू की लत से कोई भी व्यक्ति छुटकारा पा सकता है। 1975 मेें तम्बाकू नियंत्रण पर पहली बार केन्द्र सरकार द्वारा कानून बनाया गया, उसके बाद इसमें बार बार संशोधन होते रहे। सार्वजनिक स्थान पर सिगरेट पीने और इसके प्रचार प्रसार पर रोक लगादी गई है। पुलिस विभाग के अधिकारी इस संबंध में सार्वजनिक स्थान पर सिगरेट पीने वालों के खिलाफ कार्रवाई करें। तम्बाकू नियंत्रण अधिनियम में निहित प्रावधानों के तहत 18 साल से कम उम्र का व्यक्ति धूम्र पान या तम्बाकू युक्त गुटखा नहीं खासकता और चौदह साल से कम उम्र का बच्चा तम्बाकू से बने कोई भी पदार्थ बेच नहीं सकता। शैक्षणिक संस्थानो के आसापास तम्बाकू के उत्पाद की विक्री नहीं हो सकती। तम्बाकू के उत्पाद के विज्ञापन पर रोक लगादी गई हैं। शासन ने उत्पादकों पर भारतीय भाषा में वैधानिक चेतावनी छापने के निर्देश दिये हैं, तथा इसका उल्लंघन करने पर पुलिस द्वारा कानूनी कार्रवाई की जा सकती है, जिसके तहत दो साल की जेल और एक हजार रूपये का अर्थदण्ड किया जा सकता है। तम्बाकू अधिनियम का उल्लंघन करने वालों को प्रभुसत्ता का भय जरूरी है। तम्बाकू नियंत्रण अधिनियम के प्रभावी क्रियान्वयन की जिम्मेदारी पुलिस और न्याय प्रशासन की है।

       इस अवसर पर पुलिस महानिरीक्षक श्री डी एस. सेगर ने कहा कि 40 प्रतिशत बीमारियां तम्बाकू के सेवन से होती हैं। हर साल लाखों क्विंटल तम्बाकू पैदा की जाती है तम्बाकू से कैंसर और हृदय रोग जैसी घातक बीमारियाँ होती हैं। दृढ़ इच्छा शक्ति के जरिये इस तम्बाकू की लत से छुटकारा पाया जा सकता है। तम्बाकू के विज्ञापन पर रोक लगना जरूरी है।

       इस अवसर पर राज्य शासन, लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के प्रतिनिधि डॉ. बी एम. श्रीवास्तव (इंदौर) ने कहा कि पायलट प्रोजेक्ट के तहत प्रदेश में तम्बाकू अधिनियम के प्रभावी क्रियान्वयन के लिये प्रदेश में ग्वालियर और खंडवा जिले का चयन किया गया है। यह राष्ट्रीय कार्यक्रम है। भारत सरकार द्वारा 11वीं पंचवर्षीय योजना में तम्बाकू नियंत्रण पर 450 करोड़ रूपये खर्च किये जायेंगे। तम्बाकू अधिनियम का प्रभावी क्रियान्वयन जरूरी है। पुलिस के सहयोग से सार्वजनिक स्थानों पर तम्बाकू के प्रयोग पर रोक लग सकती है। तम्बाकू नियंत्रण के क्षेत्र में अच्छा काम करने वाले पुलिस कर्मियों को 15 अगस्त और 26 जनवरी को प्रशंसापत्र दिया जायेगा। उन्होंने यह भी कहा कि तम्बाकू नियंत्रण का ग्राम सुरक्षा समिति और नगर सुरक्षा समिति सर्वाधिक कारगर ढ़ंग से काम कर सकतीं  हैं।

       इस अवसर पर इंदौर से पधारे डॉ. दिलीप आचार्य ने कहा कि तम्बाकू गुटखा, बीड़ी और सिगरेट पीने से विश्व में 54 लाख लोग रोज मर जाते हैं, जिसमें से हर पांचवां व्यक्ति भारतीय होता है। तम्बाकू उत्पाद खाने और पीने से सन 2050 तक  एक करोड़ 50 लाख से अधिक लोगों के मरजाने की संभावना है। कैंसर की बीमारी 40 प्रतिशत बीमारी गुटखा सेवन से, 40 प्रतिशत बीड़ी पीने, 20 प्रतिशत सिगरेट पीने से होती है। शहरी क्षेत्र में 30 प्रतिशत और ग्रामीण क्षेत्र में 45 प्रतिशत लोग तम्बाकू का सेवन करते हैं। 31 मई पूरे विश्व में तम्बाकू निषेघ के रूप में मनाया जाता है।

       इस अवसर पर बड़ी संख्या में अधिकारी, कर्मचारी, न्याय प्रशासन के प्रतिनिधि और पुलिस अधिकारी मौजूद थे।

 

कोई टिप्पणी नहीं: