सोमवार, 2 फ़रवरी 2009

पल्स पोलियो अभियान :दो लाख से अधिक नौनिहालों को पोलियो की दवा पिलाई गई

पल्स पोलियो अभियान :दो लाख से अधिक नौनिहालों को पोलियो की दवा पिलाई गई

ग्वालियर एक फरवरी 09। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. अर्चना शिंगवेकर ने बताया कि जिले में स्वास्थ्य विभाग द्वारा चलाये जा रहे पल्स पोलियो उन्मूलन अभियान के द्वितीय चरण के प्रथम दिन आज 2 लाख 30 हजार 515 अर्थात 65 प्रतिशत से अधिक बच्चों को पोलियो की दवा पिलाई गई।

       उन्होंने बताया कि पल्स पोलियो अभियान के तहत जिले में अगले दो दिन में घर घर जाकर 5 वर्ष से कम आयु के शतप्रतिशत बच्चों को पल्स पोलियो की दवा पिलाई जायेगी। जिले में कुल तीन लाख 73 हजार बच्चों को दवा पिलाये जाने का लक्ष्य रखा गया है। आज 2 लाख 30 हजार 515  बच्चों को पल्स पोलियो की दवा पिलाई गई। जिले में पल्स पोलियो की दवा पिलाने के लिये कुल 2027 पोलियो बूथ बनाये गये हैं तथा इस काम में 4880 कार्यकर्ताओं की 2440टीमें क्षेत्र में भेज दी गईं हैं। इन कार्यकर्ताओं पर निगरानी रखने के लिये 246 पर्यवेक्षकों को भी नियुक्त किया गया हैं। इसके अलावा मोबाइल यूनिट भी जिले के खदानों, स्टेशन, बसस्टैण्ड तथा नये निर्माण स्थलों पर जाकर बच्चों को दवा पिला रहे हैं।

      डॉ. शिंगवेकर ने जिले के नागरिकों से अपील की है कि वे 5 वर्ष से कम आयु के बच्चों को पोलियो बूथ जाकर शतप्रतिशत बच्चों को दवा पिलाकर जिला प्रशासन का सहयोग करें।

       ज्ञातव्य हो कि दक्षिण-पूर्व एशिया में भारत ही एक मात्र ऐसा देश है, जहां पोलियो के रोगी रिपोर्ट किये जा रहे हैं। हमारे देश में पोलयो के अधितम मरीज बिहार और उत्तर प्रदेश मे होते हैं। मध्यप्रदेश के पड़ोसी राज्यों मे पोलियो ज्यादा होने के कारण मध्यप्रदेश में पोलियो रोग के फैलने की संभावना लगातार बनी रहती है।

ज्ञातव्य हो कि  पोलियो एक विषाणुजन्य (वायरल) रोग है इस रोग में मनुष्य के शरीर के विभिन्न हिस्सों विशेषकर पैरों की विकलांगता हो सकती है तथा कभी-कभी रोगी की गंभीर अवस्था में मृत्यु तक हो सकती है। पोलियो की बीमारी किसी भी व्यक्ति को हो सकती है। यद्यपि मुख्यत: यह बच्चों में पाया जाता है क्योंकि वयस्कों में इसके लिए कुछ रोग प्रतिरोधक क्षमता आजाती है। भारत में कुल पोलियो रोगियों में से आधे से अधिक एक साल से कम उम्र के बच्चे होते है। तथा छ: माह से तीन वर्ष तक के बच्चे पोलियो के सर्वाधिक शिकार होते हैं।

       पोलियो का विषाणु रोगी के मल तथा मुंह एवं नाक के स्राव में पाया जात है तथा यह खाने या पीने की वस्तुओं के साथ किसी स्वस्थ्य व्यक्ति में प्रवेश कर जाता है। भारत जैसे देश में अधिक जन संख्या तथा स्वच्छता की काफी स्थानों पर कमी के कारण पोलियो विषाणु के फैलने के लिए वातावरण बहुत ही उपयुक्त होता है।

       पोलियो रोगी में विषाणु इसके तंत्रिका तंत्र में प्रवेश करके अलग  अलग हिस्सों में कई प्रकार की विकलांगता कर सकता है । पोलियो ग्रसित व्यक्तियों में पैरों की विकलांगता हममें से अधिकतर लोगों ने अपने जीवन मे देखी होगी एसे व्यक्तियों मे जहां एक ओर शारीरिक अक्षमता (विकलांगता) आती है वहीं दूसरी ओर व्यक्ति का विश्वास और उत्साह भी कम होता है तथा पालियो से ग्रसित व्यक्ति परिवार के लिये परेशानी का कारण और समाज में दया का पात्र बनता है।

       भयावह पोलियो रोग से बचने का एकमात्र प्रभावी रास्ता पोलियो के विरूध्द टीकाकरण है। पोलियो टीकाकरण मुंह द्वारा पोलियो की दवा पिलाकर एवं इन्जेक्शन के द्वारा किया जाता है। मुंह द्वारा पिलाई जाने वाली पोलियो की दवा एक आसान एवं प्रभावी उपाय है तथा भारत सरकार द्वारा विश्व स्वास्थ्य संगठन की मदद से प्रतिवर्ष पांच वर्ष तक के बच्चों को पोलियो की खुराक दी जाती है। सभी माता पिता को अपने पांच वर्ष से कम के बच्चों को पालियो की खुराक अवश्य पिलवानी चाहिए, जिससे इस भयावह बीमारी से उनके बच्चे ग्रसित न हों तथा समाज और राष्ट्र के विकास में अपना पूर्ण योगदान देते हुए स्वयं का भी एक सम्मानजनक स्थान बना सकें। यह दवा 23 फरवरी को भी स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं द्वारा घर घर जाकर पिलाई जायेगी।       

 

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