बुधवार, 30 दिसंबर 2009
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मंगलवार, 29 दिसंबर 2009
सामाजिक चेतना व जन जागृति से भ्रष्टाचार पर अंकुश संभव -डा. महेन्द्र कुमार शर्मा
सामाजिक चेतना व जन जागृति से भ्रष्टाचार पर अंकुश संभव
डा. महेन्द्र कुमार शर्मा
लेखक मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय में अधिवक्ता हैं तथा निधि क्षेत्र में अध्यापन का भी विशेष अनुभव प्राप्त हैं।
आर्थिक संरचना में तेजी से आरहे परिवर्तनों के कारण नये प्रकार के आर्थिक अपराध सामने आ रहे हैं। गत चार दशकों में अपराधों की श्रृंखला आर्थिक अपराधों की ओर मुड गयी है । बोफोर्स, हवाला, स्टॉक मार्केट - सिक्यूरिटी स्कैम, तेलगी स्टाम्प घोटाला तथा अब मामला झारखण्ड राज्य घोटाले का है, जो लगभग 4 हजार करोड़ का है । ''राजनीतिज्ञ, समाज सेवा के लिये राजनीति में भाग लेते हैं ना कि वे धन कंमाने की दृष्टि से राजनीति करते हैं'' यह वाक्यांश अब सही नहीं रहा है । ऐसा लगता है जैसे भ्रष्टाचार अब लोकसेवकों में भी अपनी जड़ें जमा चुका है । घटनाक्रम सिलसिलेवार दर्शाते हैं जैसे राजनैतिक तथा प्रशासनिक क्षेत्र में कार्यरत व्यक्तियों का लक्ष्य अब धन कमाना ही रह गया हो ।
यद्यपि आर्थिक अपराधों संबंधी पैमाना प्रत्येक देश में अलग-अलग है किन्तु मौटे तौर पर आर्थिक अपराधों संबंधी नीतियों तथा कानूनों को तीन श्रेणियों में बांटा जा सकता है । पूंजीवादी अर्थव्यवस्था वाले देश, साम्यवादी अर्थव्यवस्था वाले देश तथा मिश्रित अर्थव्यवस्था वाले देश । पूंजीवांदी अर्थव्यवस्था वाले देशों में जहॉ इन अपराधों को करने वालों के लिये ज्यादा से ज्यादा आर्थिक दण्ड व कम से कम कारावास वाले प्रावधान हैं वही दूसरी ओर साम्यवादी व्यवस्था वाले देशों मसलन रूस, चीन आदि में इस प्रकार के अपराधों के लिये ज्यादा से ज्यादा कठोरतम कारावास तथा अपेक्षाकृत कम अर्थ दण्ड के प्रावधान किये गये हैं । वहीं मिश्रित अर्थव्यवस्था वाले भारत जैसे मुल्क में हमें इसका तीसरा पक्ष देखने को मिलता है । भारत में ऐसे अपराधों के लिये दण्ड की संतुलित व्यवस्था की गई है । ऐसे अपराध के घटित होने से सामाजिक एवं आर्थिक तौर पर सम्पूर्ण समुदाय पर किस प्रकार का प्रभाव पड़ेगा इसी पर आधारित न्यूनतम से लेकर अधिकतम कठोर कारावास एवं न्यूनतम से लेकर अधिक से अधिक आर्थिक दण्डों का प्रावधान किया गया है।
भ्रष्टाचार की समस्या पुरातन है किन्तु द्वितीय विश्व युद्व की समाप्ति के दो दशक उपरान्त से ही यह समस्या विकराल रूप धारण करती जा रही है । अब यह समस्या कैंसर के समान होकर राष्ट्र के नैतिक आधार को ही समाप्त करने लगी है तथा राष्ट्र की वास्तविक प्रगति में अवरोधक बनती जा रही है। आज प्रत्येक व्यक्ति को जीवन में भ्रष्टाचार का किसी न किसी तरीके से शिकार होना पड़ रहा है । हमारा दुर्भाग्य है कि भ्रष्टाचार समाज का अंग (जीने का एक और तरीका) बन चुका है । इसकी गंभीरता व निन्दा को विश्व व्यापी समस्या कहकर टाल दिया जाता है जो, बचाव का कोई सार्थक मार्ग नहीं है । भ्रष्टाचार से नैतिक मूल्यों का लगातार अवसान हो रहा है व भ्रष्टाचार के विरूध्द आवाज उठाने को सस्ती लोकप्रियता का हथकंडा माना जाने लगा है जो सचमुच चिन्ता का विषय है ।
भ्रष्टाचार का लोकप्रिय स्वरूप 'रिश्वत' अथवा 'ग्रेटीफिकेशन' है । ऑक्सफोर्ड शब्दकोष के अनुसार किसी व्यक्ति के आचरण अथवा उस पर अनुचित प्रभाव डालने वाले लेन-देन की प्रक्रिया को 'रिश्वत' के रूप में माना जाता है । भारतीय दण्ड संहिता 1860 के अनुसार यदि कोई 'लोक सेवक' रिश्वत के लेन देन का आचरण करता है तो यह अपराध की श्रेणी में आकर दण्डनीय है । भारतीय दण्ड संहिता के अध्याय 9 में लोकसेवक से ईमानदारी की अपेक्षा की गई है।
स्वतंत्र भारत में सरकार की पहली चिंता सार्वजनिक जीवन से भ्रष्टाचार का उन्मूलन एवं नैतिकता व ईमानदारी की स्थापना करना थी । अत: स्वतंत्र भारत के इतिहास में लोकसेवकों को नियंत्रित करने हेतु जो प्रथम कानून लागू किया गया उस विधि का नाम भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम 1947 था ।
इस अधिनियम के साथ-साथ भारतीय दण्ड संहिता के प्रावधान भी प्रचलन में रहे तथा किसी लोक सेवक द्वारा किये जाने वाले भ्रष्टाचार को दोनों प्रकार की विधियों के अन्तर्गत कार्यवाही हेतु अभियोजित किया जाता रहा किन्तु फिर भी भ्रष्टाचार का उन्मूलन नहीं हो सका। फिर प्रावधानों की कमियों को देखते हुये संसद में एक नया विधेयक लाकर भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम 1988 पारित कर लागू किया गया । हॉलाकि ''रिश्वत'' शब्द को इसमें पूर्णत: परिभाषित नहीं किया गया है । फिर भी रिश्वत का व्यापक अर्थ इस अधिनियम एवं भारतीय दण्ड संहिता 1860 की धारा 161 में निहित है । जिसके आशय में रिश्वत का लेन - देन या संव्यवहार एक ऐसा आचरण है जिसमें सुख साधन की पूर्ति एवं प्राप्ति के लिये धन के लेन - देन का प्रयोग किया जाता है । मसलन धन का ऐसा संव्यवहार जो लोकसेवक को नैतिकता एवं ईमानदारी पूर्ण कार्य को सम्पादित न करने हेतु अभिप्रेरित करे अथवा उसके द्वारा नियमों एवं आचरण के विपरीत अपनी पदेन हैसियत से लाभ अर्जित करने व कार्य सम्पादन के बदले में पुरूस्कृत होने की भावना से कार्य का होना पाया जावे । किन्तु इस प्रकार प्रत्येक अनैतिक व अवैध कार्य कलापों को कानूनों की सीमाओं में बांधना कठिन है । अत: लोक सेवकों के आचरण पर नियंत्रण का अधिकार कार्यपालिका को सौंप दिया गया है तथा केन्द्रीय सिविल सेवकों के इस प्रकार के आचरण को सिविल सेवा आचरण नियमावली 1964 तथा 1965 से नियंत्रित किया जाता है । विभिन्न राज्य सरकारों ने भी अपने - अपने राज्य कर्मियों हेतु आचरण नियमावलियां बना कर लागू की हैं । इस प्रकार एक शासकीय सेवक लोकसेवक की हैसियत से करने वाले भ्रष्टाचार हेतु दोहरी दण्ड व्यवस्था से नियंत्रित होता है ।
''रिश्वत के आरोप की संरचना तथा परिणामत: उसके अपराध के गठित होने हेतु तीन तत्वों का होना अनिवार्य है :- (1) धनराशि या रिश्वत प्राप्त करने वाला लोक सेवक होना चाहिये । (2).उस लोकसेवक के द्वारा अविधि पूर्ण तरीके से ''ग्रेटीफिकेशन'' ''रिश्वत'' प्राप्त किया गया हो । (3).उस लोक सेवक की अधिकार शक्ति तथा पदैन हैसियत के आधार पर किये गये शासकीय कृत्य के सम्पादन हेतु उसके द्वारा इस आशय हेतु कोई पुरूस्कार अथवा अवार्ड प्राप्त किया गया होना ।
प्राचीन धर्म (विधि) साहित्य में ''रिश्वत'' के सन्दर्भ संबंधी अपराध एवं दण्ड व्यवस्था संबंधी प्रावधान सीमित अर्थ में दृष्टिगोचर होते हैं । तब नैतिक मूल्यों के पालन की सामाजिक जीवन के आचरण में प्रधानता थी । मनु द्वारा दी गई अपराध व दण्डों की सारणी में रिश्वत व भ्रष्टाचार को वर्गीकृत अपराध की संहिता में कोई स्थान नहीं दिया गया था तथा हिन्दू एवं मुस्लिम विधि के अन्तर्गत पाप एवं पुण्य आधारित धार्मिक तथा नैतिक नियमों का पालन सुनिश्चित किया जाता था । इस प्रकार के असंगत आचरण को धार्मिक तथा सामाजिक दण्डों अथवा संस्वीकृतियों से नियंत्रित किया जाता था ।
ब्रिटिश- भारत के शासन काल में, ईस्ट इण्डिया कम्पनी द्वारा वर्ष 1793 के अधिनियम में ''लोक सेवक'' के कृत्य सम्पादन हेतु मांगी गयी या स्वीकार की गई धनराशि / वस्तुओं को रिश्वत माना जाता था तथा अपचारी को कम्पनी द्वारा दण्डित किये जाने के साथ-साथ प्राप्त राशि को राजसात किया जाता था साथ ही रिश्वत को लेने वाले लोकसेवक व रिश्वत देने वाले व्यक्ति को कानून की नजर में दोषी माना जाता था । कालांतर में बंगाल रेग्यूलेशन एक्ट द्वारा इसे विकसित किया गया तथा स्वतंत्रता प्राप्त होते ही 1947 का कानून लागू किया गया । पुन: संथानम समिति ने 1964 में इस विधि का भी अध्ययन किया तथा अपराध व दण्डों को पुन: निर्धारित करने हेतु अनुशंसा की । साथ ही केन्द्रीय सतर्कता आयोग की स्थापना, नई दिल्ली में फरवरी 1984 में की गयी । यह संस्था लोक सेवकों के विरूद्व शिकायतों की सघन जांच करती है । वर्ष ही 1988 के विधमान कानून में भ्रष्टाचार के दोषी पाए जाने पर न्यूनतम 6 माह के कारावास व आर्थिक दण्ड का प्रावधान है । यह कारावास अधिकतम 7 वर्षो की अवधि का हो सकता है । कई साम्यवादी देशों में भ्रष्टाचार का अपराध सिद्व होने पर दोषी को मृत्युदण्ड तक दे दिया जाता है । आर्थिक अपराध एवं भ्रष्टाचार एक ऐसी सामाजिक बुराई है जिसके उन्मूलन के लिए कानूनी प्रावधनों के साथ - साथ सामाजिक चेतना व जनजागृति होना बहुत जरूरी है ।
58वीं राष्ट्रीय सीनियर वॉलीवॉल स्पर्धा का भव्य शुभारंभ
58वीं राष्ट्रीय सीनियर वॉलीवॉल स्पर्धा का भव्य शुभारंभ
उद्धाटन मैच में मेजवान मध्यप्रदेष टीम को हिमाचल ने पछाड़ा
मध्यप्रदेष महिला टीम ने 3-0 से बिहार को हराया
ग्वालियर, 28 दिसम्बर 2009। 58वीं राष्ट्रीय सीनियर पुरुष व महिला वॉलीवॉल चैंपियनषिप का उद्धाटन आज यहाँ लक्ष्मीबाई राष्ट्रीय शारीरिक षिक्षा विष्वविद्यालय में भव्य व रंगारंग समारोह के आयोजन से हुआ। समारोह के मुख्य अतिथि एलएनयूपीई के कुलपति मेजर जनरल एस एन मुखर्जी ने शांती के प्रतीक कपोत उड़ाकर इस राष्ट्रीय स्पर्धा के शुभारंभ की घोषणा की।
मध्यप्रदेष एमेच्योर वॉलीवॉल फेडरेषन, लक्ष्मीबाई राष्ट्रीय शारीरिक षिक्षा विष्वविद्यालय तथा मध्यप्रदेष खेल एवं युवक कल्याण विभाग के संयुक्त तत्वावधान में यह स्पर्धा वॉलीवॉल फेडरेषन ऑफ इंडिया के उपाध्यक्ष व मध्यप्रदेष एमेच्योर वॉलीवॉल फेडरेषन के अध्यक्ष पूर्व पुलिस महानिरीक्षक श्री रामलाल वर्मा के निर्देषन में संपन्न हो रही है।
ग्वालियर में यह स्पर्धा दूसरी बार 44 साल बाद आयोजित हो रही है जिसमें पुरुष वर्ग में 27 व महिला वर्ग में 24 टीमें भागीदारी कर रही हैं।
शुभारंभ समारोह में आयोजन प्रभारी प्रो. सव्यसाची मुखर्जी ग्वालियर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक अरविन्द कुमार, चंबल रेंज के डीआईजी एस.के. झा, पूर्व पुलिस महानिरीक्षक श्याम शुक्ल ग्वालियर की नवनिर्वाचित महापौर श्रीमती समीक्षा गुप्ता, डीआईजी चंबल रेंज आर.बी. शर्मा, वॉलीवॉल फेडरेषन ऑफ इंडिया के उपाध्यक्ष कुलदीप वत्स, फेडरेषन के जनरल सेक्रेटरी रामरतन चौधरी, अंतरराष्ट्रीय रेफरी पी. मार्गलिंगम, एम.पी. एमेच्योर वॉलीवॉल ऐसासिएषन के महासचिव हरिसिंह चौहान, वॉलीवॉल फेडरेषन ऑफ इंडिया कंट्रोल कमेटी के अध्यक्ष श्री धुर्जटी मुखर्जी, चयन समिति के प्रमुख श्याम सुंदर राव, डीआईजी ग्वालियर मोहम्मद अफजल, कर्नल गुरबख्श सिंह, ब्रिगेडियर जॉर्ज थॉमस, संभागीय खेल अधिकारी जीमल एहमद, मध्यप्रदेष रेफरी बोर्ड के चेयरमैन एस.के. खुराना, मध्यप्रदेष हॉकी अकादमी की प्रषासक शर्मिला मुजाल्दे, राष्ट्रीय वॉलीवॉल फेडरेषन के पदाधिकारी श्रीधरन व मुन्नी रेड्डी, एलएनयूपीई खेल प्रबंधन एवं खेल पत्रकारिता विभाग के अध्यक्ष प्रो. वी.के. डबास, अधिष्ठाता छात्र कल्याण प्रो. ए.के. दत्ताा विषेष रुप से उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन नवीन श्रीवास्तव ने किया। स्वागत भाषण मध्यप्रदेष एमेच्योर वॉलीवॉल एसोसिएषन के अध्यक्ष हरीसिंह चौहान ने दिया व आभार प्रदर्षन जिला खेल अधिकारी जमील अहमद ने किया।
उद्धाटन समारोह के अवसर पर बैण्ड की धुन के साथ डी.एस.पी. अजय त्रिपाठी के निर्देषन में मार्च पास्ट निकाला गया और देषभर से आई टीमों ने मुख्य अतिथि मेजर जनरल एस एन मुखर्जी को सलामी दी। मार्च पास्ट का नेतृत्व राष्ट्रीय वॉलीवॉल चैंपियनषिप की पूर्व विजेता रेलवे की टीम ने किया। मध्यप्रदेष वॉलीवॉल के कप्तान कुलदीप ने देषभर से आए वॉलीवॉल खिलाड़ियों को अनुषासन में रहने व किसी प्रकार के नषे का सेवन न करने की शपथ दिलायी।
प्रगति विद्यापीठ के बच्चों ने सांस्कृतिक प्रस्तुत दी व न्यू स्टाइल डांस ग्रुप ने मनमोहक कालबेलिया लोकनृत्य प्रस्तुत किया।
मेजर जनरल एस एन मुखर्जी ने वॉलीवॉल फेडरेषन ऑफ इंडिया का ध्वजारोहण किया। मुख्य अतिथि के रुप में बोलते हुए उन्होंने कहा कि वॉलीवॉल के इस महाकुंभ में देषभर की टीमें हिस्सा ले रही हैं। ग्वालियर के खेल प्रेमियों को इस अवसर का लाभ उठाना चाहिए। श्री मुखर्जी ने कहा कि एलएनयूपीई के मल्टीपरपज हॉल को इस स्पर्धा को ध्यान में रखते हुए विषेष रुप से आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित किया गया है। खिलाड़ियों के ठहरने, खाने-पीने का इंतजाम व स्पर्धाऐं एक ही परिसर के अंदर हो रही हैं जिससे यह खेलगांव के रुप में नजर आ रहा है। खेलों के जरिए सद्भावना का प्रसार हो, ऐसा प्रयास हम सभी को करना चाहिए। श्री मुखर्जी ने आषा व्यक्त की, कि राष्ट्रीय वॉलीवॉल स्पर्धा के आगामी 10 दिन सभी के लिए अविष्मर्णीय होंगे।
सीनियर राष्ट्रीय वॉलीवॉल स्पर्धा के पुरुष वर्ग में उद्धाटन मैच का मुकावला मेजवान मध्यप्रदेष व हिमाचल प्रदेष के बीच हुआ। इसमें हिमाचल प्रदेष ने मेजवान टीम को लगातार तीन सेटों में षिरकत दी। हिमाचल प्रदेष ने 25-19, 25-21 व 25-23 से जीत दर्ज की। महिला वर्ग में उद्धाटन मैच का मुकाबला मेजवान मध्यप्रदेष ने शानदार प्रदर्षन करते हुए बिहार को 3-0 से हराया। मध्यप्रदेष की महिला टीम ने बिहार को 25-1, 25-8 और 25-7 के बड़े अंतर से हराकर जीत को अपने नाम किया। स्पर्धा के पहले दिन महिला वर्ग के 8 एवं पुरुष वर्ग के 8 कुल 16 मुकाबले होंगे।
दिल्ली और राजस्थान के पुरुष वर्ग के मुकाबले दिल्ली ने राजस्थान को 3-2 से हराया तथा पंजाब की महिला टीम ने हिमाचल प्रदेष को 3-1 से हराया।
पंचायत चुनाव के मद्देनजर पुलिस कण्ट्रोल रूम स्थापित
पंचायत चुनाव के मद्देनजर पुलिस कण्ट्रोल रूम स्थापित
ग्वालियर 28 दिसम्बर 09। त्रि-स्तरीय पंचायतों के आम निर्वाचन को ध्यान में रखकर पुलिस कण्ट्रोल रूम की स्थापना की गई है। अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक देहात श्री अनिल सिंह कुशवाह व उप पुलिस अधीक्षक श्री राकेश सिन्हा को कण्ट्रोल रूम का प्रभारी बनाया गया है। इनके अलावा पाँच अन्य अधिकारी व कर्मचारियों को भी सहायक स्टाफ के रूप में कण्ट्रोल रूम में तैनात किया गया है।
उप जिला निर्वाचन अधिकारी श्री शरद श्रोत्रिय ने बताया कि पुलिस कण्ट्रोल रूम का दूरभाष व फैक्स नंबर 0751-2445317 है। इसके अलावा पुलिस अधीक्षक कार्यालय के फैक्स क्रमांक 0751-2445210 पर भी कण्ट्रोल रूम से संबंधित जानकारी दी जा सकेगी। कण्ट्रोल रूम के प्रभारी अधिकारी अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक श्री अनिल सिंह कुशवाह से मोबाइल फोन नंबर 94251-12224 पर संपर्क किया ज सकता है। कण्ट्रोल रूम में तैनात किये गये ए एस आई. श्री आर एस. चौहान से मोबाइल फोन नंबर 94257-71023, स्टेनो श्री दत्ताजी राव पराण्डे से मोबाइल फोन नंबर 94253-41324 तथा रक्षित निरीक्षक श्री आर एस. तिवारी से मोबाइल फोन नंबर 94251-65164 पर संपर्क किया जा सकता है।
पंचायत निर्वाचन 2009 : मतदान के लिये 22 पहचान दस्तावेज निर्धारित
पंचायत निर्वाचन 2009 : मतदान के लिये 22 पहचान दस्तावेज निर्धारित
ग्वालियर, 28 दिसम्बर 09। त्रि-स्तरीय पंचायत निर्वाचन के तहत होने वाले मतदान को ध्यान में रखकर राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा मतदाताओं की पहचान स्थापित करने के लिये 22 दस्तावेज निर्धारित किये गये हैं। इनमें से किसी एक दस्तावेज के आधार पर मतदान की अनुमति दी जायेगी । इनमें से कोई भी दस्तावेज परिवार के मुखिया के पास उपलब्ध होने पर इसका उपयोग परिवार के अन्य सदस्यों की पहचान के लिये भी किया जा सकता है । बशर्त है कि सभी सदस्य एक साथ मतदान करने जायें और परिवार का मुखिया उनकी पहचान करे। इसी प्रकार परिवार के किसी दूसरे सदस्य के नाम से कोई दस्तावेज भी अन्य सदस्यों की पहचान के लिये भी प्रयोग किया जा सकता है, वशर्ते ऐसे दस्तावेज के आधार पर दूसरे सदस्यों की पहचान की जा सकती हो। यदि कोई मतदाता कोई भी दस्तावेज प्रस्तुत करने में असफल रहता है तो पीठासीन अधिकारी उस समय स्थानीय कोटवार, पटवारी, शासकीय विद्यालय के शिक्षक, ग्राम पटेल, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, सहायिका इत्यादि शासकीय कर्मचारी अथवा किसी प्रतिष्ठित स्थानीय निवासी से उसकी पहचान स्थापित कराने के उपरांत, उसे मतपत्र प्रदान कर सकेंगे।
कलेक्टर एवं जिला निर्वाचन अधिकारी श्री आकाश त्रिपाठी ने मतदाताओं से अपील की है कि वे राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा निर्धारित त्रि-स्तरीय पंचायतों के तहत होने वाले मतदान के लिये निर्धारित दस्तावेजों में से कोई भी एक दस्तावेज लेकर मतदान के लिये जायें, जिससे उन्हें मतदान में कठिनाई न हो ।
पहचान के लिये ये है दस्तावेज
1. भारत निर्वाचन आयोग द्वारा प्रदाय किया गया मतदाता पहचान-पत्र
2. भू-अधिकार एवं ऋण पुस्तिका
3. पीला राशन कार्ड,
4. नीला राशन कार्ड,
5. राशन कार्ड
6. बैंक / किसान / डाकघर पासबुक,
7. शस्त्र लायसेंस,
8. सम्पत्ति दस्तावेज जैसे पट्टा रजिस्ट्रीकृत विलेख आदि,
9. विकलांगता प्रमाण - पत्र,
10. निराश्रित प्रमाण - पत्र,
11. तेंदू पत्ता संग्राहक पहचान - पत्र,
12. सहकारी, समिति का अंश प्रमाण पत्र,
13. किसान क्रेडिट कार्ड,
14. पासपोर्ट,
15. ड्रायविंग लायसेंस,
16. आयकर पहचान - पत्र (पी.ए.एन.कार्ड),
17. राज्य / केन्द्र सरकार, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम, स्थानीय निकाय या अन्य निजी औद्योगिक संस्थानों द्वारा उनके कर्मचारियों को जारी किए जाने वाले सेवा पहचान - पत्र,
18. छात्र पहचान - पत्र,
19. सक्षम प्राधिकारियों द्वारा जारी अ.जा./ अ.ज.जा,/ अन्य पिछड़ा वर्ग/ अधिवासी प्रमाण - पत्र,
20. पेंशन दस्तावेज जैसे कि भूतपूर्व सैनिक पैंशन अदायगी आदेश/ भूतपूर्व सैनिक विधवा/ आश्रित प्रमाण - पत्र
21. रेल्वे पहचान - पत्र ,
22. स्वतंत्रता सैनानी पहचान - पत्र
मंगलवार, 22 दिसंबर 2009
समाचार अपडेशन- बिजली कटोती के कारण नहीं
हमें खेद है कि मुरैना म.प्र. में चल रही पिछले एक मास से बिजली कटोती विगत तीन दिन से पूरे दिन और रात की बिजली कटोती में बदल जाने के कारण समाचार अद्यतन नहीं हो पा रहा है । फेलुअर विद्युत व्यवस्था सही होने पर पूर्ववत अद्यतन किया जा सकेगा । अभी शहर मुरैना में हर दिन सुबह 5:30 बजे से देर रात 11 बजे तक बिजली कटौती चल रही है । तथा रात को 1 बजे से सुबह 5 बजे तक चल रही बिजली कटोती के कारणवश घण्टे दो घण्टे के लिये भी नियमित बिजली नहीं मिल पा रही है हर दस पंद्रह मिनिट बाद बिजली गुल हो जाने पर जिसमें समाचार अद्यतन संभव नहीं है । फोटो एवं समाचारों का प्रकाशन भी बिजली बहाल होने पर किया जा सकेगा । इस समाचार के लिखे व प्रकाशित किये जाने के वक्त तक बिजली सप्लाई बन्द है ।
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रविवार, 20 दिसंबर 2009
नव निर्वाचित महापौर द्वारा पशु मेला उद्धाटित
नव निर्वाचित महापौर द्वारा पशु मेला उद्धाटित
ग्वालियर 19 दिसम्बर 09। राज्य स्तरीय एवं किसान मेला एवं पशु प्रतियोगिता का शुभारंभ नव निर्वाचित महापौर श्रीमती समीक्षा गुप्ता द्वारा गौ पूजन के साथ किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष श्री जयसिंह कुशवाह ने की तथा विशिष्ट अतिथि के रूप में भारतीय जनता पार्टी के जिलाध्यक्ष श्री अभय चौधरी, मेला प्राधिकरण के अध्यक्ष श्री अनुराग बंसल सहित सभी संचालकगण, संयुक्त संचालक पशु चिकित्सा सेवा डॉ जी एस. डाबर, उप संचालक पशु चिकित्सा सेवा डॉ. कौरव सहित अन्य गणमान्य नागरिक, पशु पालक, किसान भाई तथा विभागीय चिकित्सक उपस्थित थे।
नव निर्वाचित महापौर श्री समीक्षा गुप्ता ने कहा कि ग्वालियर व्यापार मेला केवल व्यापारिक गतिविधियों का ही नहीं बल्कि सांस्कृतिक और परंपराओं का प्रतीक है। मेले के एतिहासिक स्वरूप को बनाये रखने के लिये उनके तथा नगर निगम के माध्यम से हर संभव सहयोग प्रदान किया जाता रहेगा। उन्होंने कहा कि मेला विकास की नई बुलंदियां छुये इसके समन्वित प्रयास किये जायेंगे।
कार्यक्रम के अध्यक्ष श्री जयसिंह कुशवाह ने कहा कि गत वर्षों में ग्वालियर व्यापार मेले के स्वरूप और भव्यता में उत्तरोत्तर वृध्दि हुई है। उन्होंने कहा कि आधुनिकता की दौड़ के कारण लोगों का पशु पालन के प्रति रूझान कम हुआ है। जिसके गंभीर परिणाम प्राप्त हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि पशु हमारे पर्यावरणीय संतुलन का अंग हैं। उन्होंने कहा कि इंसान के स्वस्थ्य जीवन के लिये पशुओं का होना अति आवश्यक है। उन्होंने पशुओं की घटती संख्या के प्रति चिंता व्यक्त की तथा पशु पालन को बढ़ावा देने के लिये हर संभव प्रयास किये जाने की आवश्यकता बताई। उन्होंने कहा कि पशु मेलों को आकर्षक स्वरूप प्रदान करने के प्रयास मेला प्राधिकरण द्वारा लगातार किये जा रहे हैं। इसके साथ ही राज्य सरकार द्वारा भी पशु पालन को बढ़ावा देने के प्रयास किये गये हैं। उन्होंने कहा कि किसान भाई सरकार की योजनाओं का लाभ उठावें।
विशिष्ट अतिथि श्री चौधरी ने कहा कि ग्वालियर व्यापार मेला का शुभारंभ भी पशु मेले के रूप में सन 1905 में हुआ था जिसका धीरे-धीरे व्यापार मेले के रूप में विस्तार हो चुका है। उन्होंने कहा कि ग्वालियर पशु मेले में इस पूरे अंचल के किसान और पशु पालक अपनी भागीदारी दर्ज कराते हैं। उन्होंने कहा कि पशु पालन आज की बढ़ती वेरोजगारी के दौर में रोजगार का महत्वपूर्ण माध्यम बन सकता है। इसको प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है।
कार्यक्रम में संयुक्त संचालक श्री डाबर ने अतिथियों का स्वागत किया तथा विभागीय गतिविधियों से अवगत कराया।
कार्यक्रम के प्रारंभ में अतिथिगण द्वारा गौपूजन कर मेले का शुभारंभ किया तथा मेले में पशुपालन से संबंधित स्टॉलों का अवलोकन किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. त्रिपाठी ने किया। पशु मेले में 20 दिसम्बर को गौ-वंशिय पशुओं की प्रतियोगिता, 21 दिसम्बर को भैंस-वंशिय पशुओं की प्रतियोगिता तथा 22 दिसम्बर को बकरा, बकरी तथा मुर्गा-मुर्गी की प्रतियोगिता आयोजित की जायेगी। सांयकाल में सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन भी किया जायेगा।
बॉयसायकिल एसोसिएशन का ग्वालियर चैप्टर खुलेगा
बॉयसायकिल एसोसिएशन का ग्वालियर चैप्टर खुलेगा
सोलह जनवरी को बॉयसायकिल रैली भी
ग्वालियर 19 दिसम्बर 09। सोलह जनवरी को विशाल सायकिल रैली के साथ ग्रीन प्लैनिट बॉयसायकिल राईडर्स एसोसिएशन का ग्वालियर चैप्टर प्रारंभ होगा। यह जानकारी आज यहां एसोसिएशन के अध्यक्ष एवं मध्यप्रेदश शासन के वाणिज्य एवं उद्योग प्रमुख सचिव श्री सत्य प्रकाश ने दी। श्री सत्य प्रकाश आज यहां एम पी. एक्सपोर्टेक 2010 की तैयारियों के सिलसिले में प्रवास पर पधारे थे। एम पी. एक्सपोर्टेक संबंधित आज की बैठक के उपरांत चर्चा करते हुए उन्होंने आम जीवन में सायकिलिंग को बढ़ावा देने की दृष्टि से वहां उपस्थित अधिकारियों से इस पर खुलकर चर्चा की। चर्चा के समय वहां संभागायुक्त डॉ. कोमल सिंह, पुलिस महानिरीक्षक श्री अरविन्द्र कुमार, जिला कलेक्टर श्री आकाश त्रिपाठी, नगर निगम आयुक्त डॉ. पवन शर्मा सहित अन्य अधिकारीगण भी उपस्थित थे।
प्रमुख सचिव श्री सत्यप्रकाश ने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा कि सायकिल यातायात का ईको फ्रेंडली साधन तो है ही। साथ ही यह मानव स्वास्थ्य की दृष्टि से भी बहुत उपयोगी है। उन्होंने आगे कहा कि नियमित सायकिल चलाने वाले व्यक्ति का चिकित्सा संबंधी व्यय अन्य व्यक्तियों की तुलना में भी कम होता है। प्रमुख सचिव श्री सत्य प्रकाश स्वयं भी सायकिल का उपयोग करते हैं तथा सप्ताह में कम से कम दो बार अपने कार्य स्थल बल्लभ भवन भी वे सायकिल पर ही जाते हैं।
एसोसिएशन का नया चैप्टर प्रारंभ करने बावत चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि 16 जनवरी 2010 को विशाल सायकिल रैली के साथ ग्वालियर में इस अध्याय की शुरूआत की जायेगी। संभागायुक्त सहित सभी उपस्थित अधिकारियों ने इस अच्छे कार्य में हाथ बटाने तथा व्यापक जनसहयोग जुटाने का आश्वासन दिया। पांच सौ सायकिल सवारों वाली यह रैली जनजागरूकता उत्पन्न करने के नगर के मुख्य मार्गों पर दस किलोमीटर से अधिक का सफर तय करेगी।
ज्ञातव्य हो कि ग्रीन प्लैनिट बॉयसायकिल राइडर्स एसोसियेशन एक अशासकीय संगठन है जिसका मुख्यालय श्यामला हिल्स भोपाल में स्थित है तथा वेब साइट का पता .डत्ड़ड़थ्ङ्ढध्दत्ड्डङ्ढध्दद्म.दृध्दढ़.त्द है। एसोशिएशन विगत दो वर्षों में भोपाल, इन्दौर, सिहोर सहित प्रदेश के छोटे-बड़े नगरों में जनजारूकता सायकिल रैली, रेस, सड़क विहीन मार्गों व पहाड़ी क्षेत्र में भी सायकिलिंग जैसी गतिविधियों पेंटिंग प्रतियोतिगता तथा श्रम दान आदि का सफल आयोजन कर चुकी है। एसोसिएशन के अध्यक्ष श्री सत्य प्रकाश जी ने ग्वालियर के नागरिकों से आम जीवन में सायकिल का उपयोग करने तथा संस्था के आयोजन में शिरकत कर इसे सफल बनाने की अपील की है।
प्रमुख सचिव द्वारा एम पी. एक्सपोर्टेक की तैयारियों की समीक्षा , 16 से 18 जनवरी तक ''रिवर्स वायर सेलर मीट'' ग्वालियर में
प्रमुख सचिव द्वारा एम पी. एक्सपोर्टेक की तैयारियों की समीक्षा , 16 से 18 जनवरी तक ''रिवर्स वायर सेलर मीट'' ग्वालियर में
सुरक्षा के व्यापक इंतजाम होंगे
ग्वालियर 19 दिसम्बर 09। मध्य प्रदेश में लघु उद्योग गतिविधियों को अन्तर्राष्ट्रीय बाजार मुहैया कराने के लिये उद्देश्य से 16 से 18 जनवरी 2010 तक आयोजित की जाने वाली रिवर्स वायर सेलर मीट की तैयारियों की समीक्षा बैठक आज प्रमुख सचिव उद्योग मध्य प्रदेश शासन श्री सत्यप्रकाश की अध्यक्षता में सम्पन्न हुई। व्यापार मेला प्राधिकरण के सभागार में आयोजित इस बैठक में प्रबंध संचालक लघुउद्योग निगम श्री एम. गोपाल रेड्डी, संभागायुक्त डॉ. कोमल सिंह, पुलिस महानिरीक्षक ग्वालियर रेंज श्री अरविन्द कुमार, कलेक्टर श्री आकाश त्रिपाठी, आयुक्त नगर निगम डा. पवन शर्मा, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक श्री चौहान मुख्य प्रबंधक लघु उद्योग निगम नई दिल्ली, श्री आर पी. सिंह, मेला प्राधिकरण के सचिव श्री अरूण श्रीवास्तव सहित अन्य विभागीय अधिकारी उपस्थित थे।
श्री सत्यप्रकाश ने कहा कि मध्य प्रदेश में लघु औद्यौगिक ईकाइयों द्वारा उत्पादित सामग्री तथा हमारे परंपरागत शिल्प को अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार मुहैया कराने के उद्देश्य से भारत सरकार के वाणिज्य मंत्रालय के सहयोग से ''रिवर्स वायर सेलर मीट'' का आयोजन किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इस मीट में भारतवर्ष के साथ-साथ लगभग 20 देशों के उद्योगपति, बड़े व्यापारिक समूहों तथा विदेशी राजदूत व प्रतिनिधि भागीदारी निभायेंगे। इस मीट के माध्यम से मध्य प्रदेश की उत्पादनर् कत्ता ईकाइयां अपने माल व उत्पाद का प्रदर्शन कर सकेंगे। इसके लिये एक प्रदर्शनी का आयोजन भी किया जायेगा। जिसमें बाहर से आने वाले मेहमान खरीददार अपनी आवश्यकता और उपयोगिता के आधार पर विक्रेता संस्थाओं से सीधा संवाद स्थापित कर सकेगे। उन्होंने स्पष्ट किया कि इस मीट का मुख्य उद्देश्य प्रदेश के विक्रेताओं को एक प्लेट फार्म प्रदाय करना है। उन्होंने कहा कि तीन दिन तक चलने वाले इस कार्यक्रम में लगभग 150 देशी-विदेशी व्यापारिक हस्तियां भाग लेंगी। उन्होंने कहा कि यह एक व्यापारिक कांन्फ्रेंस है जो क्रेता-विक्रेता के मध्य आयोजित की जाती है। इस मीट में आमदर्शक की कोई भागीदारी नहीं है।
प्रमुख सचिव ने इस महत्वाकांक्षी मीट की तैयारियों पर चर्चा के दौरान कहा कि मीट में भाग लेने आने वाले सभी अतिथियों की सुरक्षा को लेकर राज्य सरकार गंभीर है उन्होंने कहा कि मीट में आने वाली सभी हस्तियों को पर्याप्त सुरक्षा स्थानीय पुलिस प्रशासन द्वारा मुहैया कराई जायेगी, प्रत्येक भागीदार के आने-जाने तथा रहने ठहरने की सम्पूर्ण व्यवस्था हेतु विस्तृत प्लान तैयार किया जावे। उन्होंने स्पष्ट निर्देश दिये कि वायर-सेलर मीट के भागीदारों की सम्पूर्ण सुरक्षा व्यवस्था पुलिस महानिरीक्षक ग्वालियर रेंज श्री अरविन्द कुमार के मार्गदर्शन में सुनिश्चित की जावे। इसके लिये प्रत्येक भागीदार का विस्तृत कार्यक्रम स्थानीय जिला और पुलिस प्रशासन को मुहैया कराया जावे। उन्होंने कहा कि सभी सिलेवट्रीज के रहने ठहरने के लिये चिन्हित किये गये होटल उषा किरण, सेंट्रल पार्क, होटल तानसेन और होटल रीजेन्सी में भी सुरक्षा के माकूल प्रबंध किये जावें। उन्होंने कहा कि जो पार्टिशिपेंट नई दिल्ली से ग्वालियर आयेंगे उनको मार्ग में भी सुरक्षा मुहैया कराई जायेगी। श्री सत्यप्रकाश ने कहा कि रिवर्स वायर सेलर मीट का शुभारंभ 16 जनवरी को मुख्यमंत्री द्वारा मेला परिसर स्थित फेसलिटेशन सेंटर में किया जाना प्रस्तावित है।
प्रबंध संचालक लघु उद्योग निगम श्री गोपाल रेड्डी ने कहा कि इस मीट का सफल संचालन हेतु सभी तैयारियां विभाग द्वारा कर ली गईं हैं। उन्होंने कहा कि ग्वालियर में इस मीट के आयोजन का मुख्य उद्देश्य ग्वालियर अंचल की हस्त शिल्प व लघु उद्योग गतिविधियों को बढ़ावा देना है। उन्होंने कहा कि इस आयोजन में ग्वालियर अंचल की स्टोन,वुडन शिल्प को भी सम्मिलित किया जावेगा। उन्होंने वायर सेलर मीट के तीन दिवसीय कार्यक्रम के संबंध में बताया कि 16 जनवरी को दोपहर में मुख्यमंत्री द्वारा इस मीट का समारोह पूर्वक शुभारंभ किया जावेगा, इसके बाद सैलर्स द्वारा ट्रेडवार अपने अपने उत्पादों के विषय में प्रदर्शन व जानकारी वायरर्स को उपलब्ध कराई जावेगी, यह 5 शेसन में होगा आयुर्वेद हर्वल प्रोडेक्ट, इंजिनियरिंग प्रोडेक्ट, स्टोन प्रोडेक्ट, हैण्डलूम तथा हैण्डीक्राफ्ट प्रोडेक्ट के विषय में वायर सैलर चर्चा कर सकेंगे। इसीक्रम में 17 जनवरी को भी यह प्रक्रिया जारी रहेगी, 18 जनवरी को दोपहर बाद इस मीट का समारोह पूर्वक समापन किया जावेगा। मेहमान आगंतुकों के लिये मनोरंजन कार्यक्रम भी आयोजित किये जावेंगे। उन्होंने कहा कि प्रतिदिन शाम को प्रेस कांन्फ्रेंस भी की जायेगी।
संभागायुक्त डॉ. कोमल सिंह ने कहा कि रिवर्स वायर सेलर मीट को व्यवस्थित ढंग से आयोजन हेतु जिला प्रशासन द्वारा सभी सुविधायें मुहैया कराई जावेंगी। उन्होंने कहा कि बाहर से आने वाले सभी मेहमानों के सम्मान और सुरक्षा देने के लिये सभी एहतियाती कदम उठाये जायेंगे। उन्होंने कहा कि विदेशों और देश के अन्य हिस्सों से आने वाले अतिथियों को ग्वालियर की एतिहासिक और सांस्कृतिक पृष्ठभूमि से अवगत कराने के लिये ग्वालियर भ्रमण का कार्यक्रम भी तैयार किया जावे, जिससे ग्वालियर किला, जयविलास पैलेस, लाइट एण्ड साउण्ड प्रोग्राम, संग्रहालय आदि स्थानों का भ्रमण भी कराया जायेगा। उन्होंने कहा कि 18 जनवरी को अपरान्ह में रिवर्स वायर सेलर मीट के दौरान आयोजित प्रदर्शनी आम जनता के अवलोकन हेतु भी खोली जावे।
कलेक्टर श्री त्रिपाठी ने वायरसेलर मीट के सफल आयोजन हेतु सभी सुविधायें मुहैया कराने का आश्वासन दिया तथा लघु उद्योग निगम के स्थानीय अधिकारियों से जिला प्रशासन के साथ समन्वय स्थापित करने की बात कही।
बैठक के उपरांत लघु उद्योग निगम के प्रबंध संचालक श्री एम. गोपाल रेड्डी द्वारा वायर सेलर मीट हेतु चिन्हित फेशलिटेशन सेंटर, प्रदर्शनी स्थल तथा मुख्यमंत्री के कार्यक्रम स्थल का अवलोकन भी किया।
प्रमुख सचिव ने स्टोन पार्क भी देखा
ग्वालियर भ्रमण के दौरान प्रमुख सचिव वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री श्री सत्य प्रकाश ने संभागायुक्त डॉ कोमल सिंह के साथ पुरानी छावनी क्षेत्र में बनाये जा रहे स्टोन पार्क का भी अवलोकन किया। प्रमुख सचिव ने पार्क में संचालित गतिविधियों को प्रभावी बनाने के लिये किये जाने वाले प्रयासों के संबंध में भी संभागायुक्त से चर्चा की।