सामाजिक न्याय मंत्रालय के राष्ट्रीय न्यास का दो दिवसीय वार्षिक सम्मेलन शुरू
न्यास की अध्यक्ष श्रीमती नटराजन ने किया शुभारंभ करीबन बीस राज्यों के प्रतिनिधि ले रहे हैं हिस्सा
ग्वालियर 19 सितम्बर 08। मानसिक मंदता, सेरीब्रल पालसी, ऑटिज्म तथा अन्य बौध्दिक व स्नायुविक असमर्थताओं से ग्रसित व्यक्तियों को समाज की मुख्यधारा में शामिल करने एवं उनके कानूनी अधिकारों के संरक्षण के उद्देश्य से गठित राष्ट्रीय न्यास का दो दिवसीय वार्षिक सम्मेलन आज से यहाँ राज्य स्वास्थ्य प्रबंधन एवं संचार संस्थान में शुरू हुआ । भारत सरकार के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय से सम्बध्द राष्ट्रीय न्यास द्वारा आयोजित इस सम्मेलन में देश के लगभग 20 राज्यों की विभिन्न संस्थाओं के 35 प्रतिनिधि हिस्सा ले रहे हैं ।राष्ट्रीय न्यास की अध्यक्ष श्रीमती पूनम नटराजन ने मॉ सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित कर सम्मेलन का शुभारंभ किया ।
राष्ट्रीय न्यास की अध्यक्ष श्रीमती पूनम नटराजन ने न्यास से जुड़ी विभिन्न संस्थाओं के प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए कहा मानसिक एवं स्नायुविक असमर्थताओं से ग्रसित लोगों को समाज की मुख्य धारा से जोड़ने का काम चुनौतीपूर्ण है । किन्तु मानव होने के नाते निशक्तों को आगे बढ़ाना हमारा नैतिक दायित्व है। इस काम से हमें जो आत्मिक संतुष्टि मिलती है, उसकी तुलना संसार के किसी सुख से नहीं की जा सकती। उन्होनें कहा उक्त प्रकार के नि:शक्तजन एवं उनके परिवारों को ऐसी सेवा, प्रशिक्षण व सहायता दें, जिससे नि:शक्त जनों की क्षमताओं में अधिकत्तम इजाफा हो । हमारा मकसद है कि वे न केवल समाज की मुख्य धारा में शामिल हों, बल्कि समाज के विकास में भी अपना योगदान देकर एक अर्थपूर्ण जीवन व्यतीत कर सकें।राष्ट्रीय न्यास की अध्यक्ष ने न्यास की स्नेप गतिविधियाँ, मुख्य मुद्दे, स्वयं सेवी संस्थाओं से अपेक्षाएें, न्यास की योजनायें व कार्यक्रमों पर भी विस्तार से प्रकाश डाला ।
बौध्दिक एवं स्नायुविक असमर्थताओं से ग्रसित व्यक्तियों की सेवा सहायता में बीते दस वर्ष से संलग्न संस्था रोशनी रामकृष्ण आश्रम की बालिकाओं ने आरंभ में प्रार्थना प्रस्तुत की । रोशनी की निदेशिका सुश्री मंजुला पाटनकर ने स्वागत उद्बोधन के साथ संस्था के कार्यों के बारे में पावर प्रजेन्टेशन के जरिये विस्तार से जानकारी दी । इसी प्रकार मध्यप्रदेश सहित हरियाणा, आसाम, आंध्र प्रदेश, गुजरात, केरल, उत्तराखंड, आदि राज्यों की संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने भी अपनी अपनी संस्थाओं के माध्यम से राष्ट्रीय न्यास की योजनाओं पर किये जा रहे कार्यों की जानकारी दी ।
शारीरिक अक्षमता उन्हे नहीं रोक पाई आगे बढ़ने से
यदि मन में लगन, दृढ़ इच्छा शक्ति और आगे बढ़ने की जिजीविषा हो तो कोई भी शारीरिक नि:शक्तता जीवन पथ में बाधा नहीं बनती । यही सब राष्ट्रीय न्यास के वार्षिक सम्मेलन में भाग लेने आए तीन नि:शक्त प्रतिभागियों ने साबित किया है । पूर्वोत्तर राज्य असम में स्थित सिलगुड़ी निवासी केप्टन सेन गुप्ता दृष्टि बाधित है और वे अकेले सफर कर ग्वालियर पहुँचे हैं । इसी तरह चमोली उत्तराखंड से श्री बृजमोहन नेगी भी बस द्वारा अकेले यहाँ पधारे हैं । वे न केवल अस्थि बाधित है बल्कि जुबान से भी साफ साफ बोल नहीं पाते ।सम्मेलन में एक नि:शक्त महिला सुश्री पूर्णिमा बोहरा भी भाग लेने आयी हैं। गहरी जीवटता के धनी ये नि:शक्तजन शारीरिक रूप से समर्थ लोगों के लिए भी प्रेरणादायी है ।
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