पी.एन.डी.टी. एक्ट के उल्लंघन पर चार अल्ट्रासाउण्ड सेंटर के पंजीयन निलंबित, आठ सेंटर को पंजीयन निरस्त करने के नोटिस
ग्वालियर 12 सितम्बर 08। गर्भधारण पूर्व एवं प्रसव पूर्व निदान तकनीकी अधिनियम(पी.एन.डी.टी. एक्ट) का उल्लंघन करने पर कलेक्टर एवं जिला दण्डाधिकारी श्री आकाश त्रिपाठी ने नगर के चार अल्ट्रासाउण्ड सेण्टर के पंजीयन निलंबित कर दिये हैं। साथ ही उक्त सेंटर समेत कुल आठ अल्ट्रा साउण्ड सेंटर के पंजीयन निरस्त करने के लिए नोटिस भी जारी किए हैं। इन अल्ट्रासाउण्ड सेंटरों के संचालकों को पत्र प्राप्ति के सात दिवस के भीतर सप्रमाण जवाब प्रस्तुत करने के लिए कहा गया है। जिला दण्डाधिकारी ने यह कार्रवाई गर्भधारण पूर्व एवं प्रसव पूर्व निदान तकनीकी अधिनियम के सक्षम प्राधिकारी की हैसियत से की है।
उल्लेखनीय है कि कलेक्टर एवं पी.एन.डी.टी. एक्ट के सक्षम प्राधिकारी श्री त्रिपाठी ने गत 29 अगस्त 08 को नगर में संचालित विभिन्न अल्ट्रासाउण्ड सेंटर का आकस्मिक निरीक्षण कराया था। निरीक्षण में खासतौर पर गर्भधारण पूर्व और प्रसव पूर्व निदान तकनीकी अधिनियम 1994(संशोधन वर्ष 2003) की विभिन्न धाराओं के पालन की जाँच कराई गई थी। जाँच में अधिनियम की विभिन्न धाराओं का उल्लंघन पाये जाने पर जिला दण्डाधिकारी एवं सक्षम प्राधिकारी ने यह कार्रवाई की है।
जिला दण्डाधिकारी ने जिन अल्ट्रासाउण्ड सेंटर के पंजीयन निलंबित किये हैं उनमें डाँ. राकेश रायजादा द्वारा संचालित कोणार्क अल्ट्रासाउण्ड सेंटर पडाव, डॉ. आर. प्रसाद द्वारा संचालित पुष्टि अल्ट्रासाउण्ड सेंटर तानसेन रोड़, डॉ. मीना दुबे द्वारा संचालित दुबे नर्सिंग होम(अल्ट्रासाउण्ड सेंटर), शिन्दे की छावनी, एवं डॉ. ज्योति उपाध्याय द्वारा संचालित उपाध्याय हॉस्पिटल एवं रिसर्च सेंटर कम्पू के अल्ट्रासाउण्ड सेंटर के पंजीयन निलंबित करने के आदेश जारी कर दिये हैं। साथ ही उक्त अल्ट्रासाउण्ड सेंटर सहित डॉ. अंजूलता वर्मा द्वारा संचालित वर्मा मेटरनिटी एवं फर्टीलिटी सेंटर दाल बाजार, डॉ. आलोक शर्मा द्वारा संचालित शर्मा अल्ट्रासाउण्ड सेंटर काली माई संतर, डॉ. प्रीति अग्रवाल द्वारा संचालित गुप्ता मेटरनिटी सेंटर गरम सड़क मुरार, एवं डॉ. पदमा मजूमदार द्वारा संचालित सिटी हॉस्पीटल जेल रोड़ ग्वालियर के अल्ट्रासाउण्ड सेंटर के पंजीयन निरस्त करने के लिए नोटिस जारी किए हैं।
उक्त अल्ट्रासाउण्ड के निरीक्षण में अधिनियम के तहत अल्ट्रासाउण्ड सेंटर द्वारा अनिवार्य रूप से संधारित किये जाने वाले फॉर्म-एफ में मरीजों के पूर्ण नाम एवं पते अंकित न करने एवं रेफरल डॉक्टर द्वारा जारी रेफरल स्लिप पर अल्ट्रासाउण्ड कराये जाने के कारणों का उल्लेख न करने जैसी कमियाँ पाई गईं थी। इसके अलावा कुछ अल्ट्रासाउण्ड सेंटर में सभी केसों में अल्ट्रासाउण्ड करने का एक ही कारण दर्शाया गया था, जिससे संदेह की स्थिति उत्पन्न होती है। इनमें से एक अल्ट्रासाउण्ड सेंटर में प्राधिकारी को प्रेषित की जाने वाली जानकारी एवं संस्था में संधारित पंजी में दर्ज जानकारी में अन्तर पाया गया। एक सेंटर पर निर्धारित आकार मे 'लिंग परीक्षण अपराध है' का बोर्ड प्रदर्शित नहीं किया गया। इसी प्रकार अनुज्ञप्ति जारी करने वाले सक्षम प्राधिकारी का नाम, पदनाम तथा दूरभाष क्रमांक प्रदर्शित नहीं था। उक्त सभी प्रतिपूर्तियाँ सुनिश्चित करना पी.एन.डी.टी. एक्ट के तहत अनिवार्य है। इस प्रकार अधिनियम का स्पष्टत: उल्लंघन सामने आने पर सक्षम प्राधिकारी ने कड़ी कार्रर्वाई की है।
गौरतलब है कि गर्भधारण पूर्व और प्रसव पूर्व निदान तकनीकी अधिनियम, कन्या भ्रूण हत्या पर अंकुश लगाने के मकसद से लागू किया गया है। काबिले गौर है समाज से लड़कियों की संख्या लगातार कम हो रही है। पंजाब एवं हरियाणा जैसे राज्यों की तरह ग्वालियर एवं चंबल अंचल में भी लिंगानुपात की विषमता चिंतनीय होती जा रही है। माँ के गर्भ में ही भ्रूण का लिंग जानने में अल्ट्रासोनोग्राफी मशीन का दुरूपयोग न हो इसी उद्देश्य से यह अधिनियम लागू हुआ है।
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