शुक्रवार, 1 मई 2009

लोकसभा निर्वाचन 2009 : शारीरिक नि:शक्तता बौनी साबित हुई, लोकतंत्र की आस्था के सामने

लोकसभा निर्वाचन 2009 : शारीरिक नि:शक्तता बौनी साबित हुई, लोकतंत्र की आस्था के सामने

ग्वालियर 30 अप्रैल 09। आम चुनाव लोकतंत्र की बुनियाद होते हैं। लोकतंत्र के प्रति भारतीय समाज की अगाध आस्था इसे दिनों दिन और मजबूती व सुदृढ़ता प्रदान कर रही है। इसकी कई नजीरें गुरूवार को ग्वालियर संसदीय क्षेत्र में विभिन्न मतदान केन्द्रों पर दिखाई दीं। चिलचिलाती धूप व लू के थपेड़े, बीमारी, स्थायी नि:शक्तता व बुढ़ापे के कारण चल फिर पाने की असमर्थता भी कई मतदाताओं को वोट डालने से नहीं रोक पाई। किसी ने लाठी के सहारे तो किसी ने अपने परिजनों के कंधों का सहारा लेकर मतदान केन्द्र तक का सफर तय कर मताधिकार का उपयोग किया। लकवे की मार से अपने हाथ, जिव्हा व पैर की नि:शक्तता झेल रहे ऐसे ही तकरीबन 70 वर्षीय वृध्दजन श्री मंगतराम सचदेवा अपने बेटे के कंधे का सहारा लेकर गोला का मंदिर स्थित दूध डेयरी परिसर में बनाये गये ग्वालियर पूर्व विधानसभा क्षेत्र के मतदान केन्द्र क्रमांक 32 पर पहुँचे और ई व्ही एम. का बटन दबाकर अपनी पसंद के उम्मीदवार के पक्ष में मतदान किया। उनके साथ उनकी 67 वर्षीय धर्मपत्नी श्रीमती कान्ता सचदेवा भी वोट डालने आईं थीं। श्रीमती सचदेवा का कहना था भारतीय लोकतंत्र की मजबूती के लिये सभी को मताधिकार का उपयोग करना चाहिये।

 

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