शुक्रवार, 30 अक्तूबर 2009

विद्यार्थी देश के नवनिर्माण में भागीदार बनें - राज्यपाल श्री ठाकुर, महामहिम राज्यपाल ने जीवाजी विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में उपाधियाँ प्रदान कीं

विद्यार्थी देश के नवनिर्माण में भागीदार बनें - राज्यपाल श्री ठाकुर, महामहिम राज्यपाल ने जीवाजी विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में उपाधियाँ प्रदान कीं

ग्वालियर, 29 अक्टूबर 09/ कुलाधिपति एवं महामहिम राज्यपाल श्री रामेश्वर ठाकुर की अध्यक्षता में आज आयोजित हुए जीवाजी विश्व विद्यालय के दीक्षांत समारोह में डी.एस.सी. की एक मानद उपाधि व डी.लिटि की एक उपाधि सहित कुल 75 शोधार्थियों को पी.एच.डी.,35 विद्यार्थियों को एम.फिल 31 विद्यार्थियों को गोल्ड मेडल व 45 स्नातकोत्तर विद्यार्थियों को उपाधियाँ प्रदान की गई। दीक्षांत समारोह में राज्यपाल ने जाने माने वैज्ञानिक व प्रौद्योगिकी क्षेत्र के यशस्व  िक्षाविद् एवं संघ लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष प्रो.डी.पी.अग्रवाल को डॉक्टर ऑफ सांइस (डी एस सी.) की मानद उपाधि से विभूषित किया। समारोह में महामहिम राज्यपाल तथा जीवाजी विश्व विद्यालय के कुलपति श्री मजाहिर किदवई द्वारा कुल 188 उपाधियाँ प्रदान की गईं।

      दीक्षांत समारोह में राज्यपाल श्री रामेश्वर ठाकुर ने विद्यार्थियों का आह्वान किया कि वे शिक्षा ग्रहण करते समय अपने मन मस्तिष्क में मानव कल्याण और देशसेवा की भावना को सर्वोपरि स्थान दें । उन्होंने उपाधि प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों से कहा कि आज समारोह में ली गई प्रतिज्ञा के प्रति पूर्ण निष्ठावान बनें और इसे अपने व्यक्तित्व एवं कृतित्व में आत्मसात करें । श्री ठाकुर ने कहा कि अच्छे ध्येय के प्रति संकल्पित होने के लिए आत्मबल की आवश्यकता होती है और यह आत्मबल प्रतिज्ञा के प्रति निष्ठावान रहने से मिलता है । राज्यपाल ने विद्यार्थियों का आह्वान किया कि वे वैश्विक चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए सदैव तत्पर रहें और देश के नव निर्माण में अपनी सम्मानजनक भागीदारी स्थापित करें।

      राज्यपाल श्री ठाकुर ने दीक्षांत समारोह को भारतीय सनातन पंरपरा का अभिन्न अंग प्रतिपादित करते हुये कहा कि यह समारोह विद्यार्थियों के जीवन के महत्वपूर्ण संस्कार सदृश्य हैं। इस बात की पुष्टि दीक्षांत समरोह के अध्यादेश में उल्लेखित उस शपथ से होती है, जो उपनिषदों से ली गई है । उन्होंने कहा कि दीक्षांत समारोह में उपाधि प्राप्त करने से विद्यार्थियों को जीवन में निरंतर आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलती है। इसी बात को ध्यान में रखकर प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों में दीक्षांत समारोह आयोजित कराये गये हैं। श्री ठाकुर ने कहा कि प्रदेश में जिन विश्वविद्यालयों में लंबे अरसे से दीक्षांत समारोह आयोजित नहीं हुए थे वहां भी दीक्षांत समारोह आयोजित कराये गये हैं। उन्होंने कहा मौजूदा माह  के अंत तक प्रदेश के सभी विश्व विद्यालयों में दीक्षांत समारोह आयोजित हो जायेंगे।

      राज्यपाल ने शिक्षकों का आह्वान करते हुए कहा कि शिक्षक समुदाय का राष्ट्र निर्माण में हमेशा ही महत्वपूर्ण योगदान रहा है, आज भी है और भविष्य में भी रहेगा। उन्होंने कहा बदलते परिवेश में विद्यार्थियों को वैज्ञानिक एंव तकनीकी ज्ञान के साथ-साथ भारतीय संस्कृति के शाश्वत मूल्यों के प्रति निष्ठावान बनने के लिये प्रेरित करने की जरूरत है। ऐसे में शिक्षकों की जिम्मेदारी और अधिक बढ़ जाती है। श्री ठाकुर ने कहा चाणक्य के मार्गदर्शन में चन्द्रगुप्त मौर्य, नागार्जुन के मार्गदर्शन में कनिष्क, स्वामी रामकृष्ण परमहंस के मार्गदर्शन में विवेकानंद और निजामुद्दीन औलिया के मार्गदर्शन में अमीर खुसरो ने जो कर्तव्य परायणता निभाई वह सर्वविदित है।

      राज्यपाल ने इस अवसर पर शिक्षको का आह्वान किया कि वे देश एवं समाज की सेवा भावना से ओतप्रोत, सुसंस्कृत और चरित्रवान पीढ़ी का निर्माण करें। साथ ही विश्वविद्यालय समय की मांग के अनुरूप विषय-विशेषज्ञों का निर्माण करने पर ध्यान केन्द्रित करें। ऐसा करने से हमारे विद्यार्थी देश के प्रति निष्ठा के भाव से अनुप्राणित होंगे और देश विकास के पथ पर सदैव अग्रसर बना रहेगा।

      उन्होंने कहा हमारा देश ज्ञान के क्षेत्र में पुरातन से ही विश्व गुरू रहा है। हमारे देश के मनीषियों ने विश्व में नाम कमाया है। इस प्रतिष्ठा को कायम रखने के लिये सतत रूप से हर संभव प्रयास जारी रखने की आवश्यकता है। विश्वविद्यालयों को यह अहम जिम्मेदारी पूरी निष्ठा, लगन और ईमानदारी से वहन करनी चाहिये। श्री ठाकुर ने कहा आजादी के बाद उच्च शिक्षा के क्षेत्र में हमारे देश ने उल्लेखनीय प्रगति की है, हमारे वैज्ञानिक विदेशों में भी शीर्ष पदों पर कार्यरत होकर देश का नाम रोशन कर रहे हैं। इन सुखद तथ्यों से हम सब अवगत हैं और स्वयं को गौरवान्वित भी अनुभव करते हैं। इस परंपरा को जारी रखना होगा।

      कुलाधिपति ने विद्यार्थियों को इस अवसर पर परामर्श दिया कि वे महात्मागांधी के उस ध्येय को हमेशा अपने अंतर्मन में रखें जो बापू की समाधि स्थल राजघाट के मुख्य द्वार पर अंकित है। इस ध्येय वाक्य का भाव यह है कि हम जब भी कोई विशेष कार्य-योजना बनायें, तो यह अवश्य जांच कर लें कि उससे सबसे गरीब तबके के व्यक्ति को अवश्य लाभ हो। अगर हम इस ध्येय वाक्य को अपने जीवन में आत्मसात कर पाये तो गांधीजी के सपनों के भारत का निर्माण हम अवश्य कर पायेंगे।

      दीक्षांत समारोह में महामहिम राज्यपाल ने श्री कमल कुमार जैन को डी लिट. की  उपाधि से विभूषित किया। दीक्षांत समारोह में 75 शोधार्थियों को डॉक्टर ऑफ फिलॉसफी (पी एच डी.) प्रदान की गई। जिनमें कला संकाय व सामाजिक विज्ञान संकाय के 25-25, विज्ञान संकाय के 13, वाणिज्य के 2, प्रबंधन व शिक्षा के तीन-तीन व गृह विज्ञान संकाय के 4 शोधार्थी शामिल हैं। समारोह में 35 विद्यार्थियों को मास्टर ऑफ फिलॉस्फी (एम फिल.) की डिग्री प्रदान की गईं। जिनमें कला के 11, सामाजिक विज्ञान के 7,विज्ञान के 9, जीवन विज्ञान व वाणिज्य संकाय के चार-चार विद्यार्थी शामिल हैं। दीक्षांत समारोह में अपने-अपने संकाय में अव्वल रहे 31 विद्यार्थियों को गोल्ड मेडलों से नवाजा गया। इसी तरह विभिन्न संकायों के 45 विद्यार्थियों को स्नातकोत्तर की उपधियाँ प्रदान की गईं। जिनमें कला के 6, सामाजिक विज्ञान के 12, विज्ञान के 7, जीवन विज्ञान के 8, वाणिज्य के एक, प्रबंधन के 5, शिक्षा के 3, विधि के 2 व आयुर्वेद स्नोतकोत्तर की एक उपाधि दीक्षांत समारोह में प्रदान की गई।

      दीक्षांत समारोह का शुभारंभ महामहिम राज्यपाल श्री रामेश्वर ठाकुर के आगमन एवं राष्ट्रगान के साथ हुआ। जीवाजी विश्व विद्यालय के कुलपति प्रो. मजाहिर किदवई ने दीक्षांत समारोह शुरू करने की ऑपचारिक घोषणा की। समारोह का समापन राष्ट्रगान के साथ हुआ। दीक्षांत समारोह में विश्वविद्यालय की कार्यपरिषद के सदस्यगणों व अधिकारी कर्मचारियों समेत विधायक श्री मदन सिंह कुशवाह, साडा अध्यक्ष श्री जय सिंह कुशवाह, पुलिस महानिरीक्षक चंबल श्री एस के. झा, कलेक्टर श्री आकाश त्रिपाठी, पुलिस अधीक्षक श्री ए सांई मनोहर, नगर के जनप्रतिनिधि व गणमान्य नागरिक व विश्वविद्यालयीन छात्र-छात्रायें मौजूद थीं।

 

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