मंगलवार, 27 अक्टूबर 2009

एलौपैथ बाबस्ता होंगे 'क्षार सूत्र एवं पंचकर्म' जैसी आयुर्वेदिक उपचार विधि से दो दिवसीय राज्य स्तरीय कार्यशाला आज से

एलौपैथ बाबस्ता होंगे 'क्षार सूत्र एवं पंचकर्म' जैसी आयुर्वेदिक उपचार विधि से दो दिवसीय राज्य स्तरीय कार्यशाला आज से

ग्वालियर 25 अक्टूबर 09। सबको चिकित्सा सुविधा सुलभ कराने के राष्ट्रीय संकल्प की पूर्ति में मार्डन मेडिसिन, आयुर्वेद तथा यूनानी चिकित्सक आपस में एकजुट होकर काम करेंगे। चिकित्सकों के ऐसे ही मिश्रित समूह की राज्य स्तरीय दो दिवसीय कार्यशाला सोमवार 26 एवं 27 अक्टूबर को स्थानीय चैम्बर ऑफ कॉमर्स के सभागार में आरंभ होगी। इस कार्यशाला में एलौपैथी विधा के चिकित्सक प्राचीन भारतीय चिकित्सा आयुर्वेद की समय सिध्द क्षार सूत्र प्रणाली एवं पंचकर्म से बाबस्ता होंगे। उल्लेखनीय है कि बबासीर, भगन्दर, फिस्चुला के लिये क्षार सूत्र प्रणाली बिना आप्रेशन इलाज की उत्तम विधि सिध्द हुई है। इसी प्रकार शरीर की बढ़ती उम्र की व्याधियों, लम्बी बीमारियों और सूर्यासिस जैस असाध्य रोगों के उपचार में पंचकमर्


र् काफी हितकारी सिध्द हुआ है। इस कार्यशाला में मुख्य अतिथि के रूप में श्री प्रभात झा, सांसद राज्यसभा कार्यशाला का उद्धाटन 26 अक्टूबर को प्रात: 9.30 बजे करेंगे तथा संभागायुक्त ग्वालियर डॉ. कोमल सिंह विशिष्ठ अतिथि होंगे।

      स्वास्थ्य सेवा के लाभ को जन जन तक पहुंचाने के लिये आयुष विभाग भारत सरकार एवं मध्य प्रदेश सरकार के सहयोग से क्षारसूत्र, वृध्दावस्था, रक्ताल्पता नियंत्रण, जीर्ण व्याधि, मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य देखभाल के लिये राज्यस्तरीय अभियान और कार्यशाला का आयोजन केन्द्रीय आयुर्वेद अनुसंधान संस्थान, आमखो, ग्वालियर द्वारा 26 एवं 27 अक्टूबर को मध्य प्रदेश चैम्बर्स ऑफ कॉमर्स सनातन धर्म रोड़ ग्वालियर में किया जा रहा है। कार्यशाला में प्रतिभागी के रूप में समस्त मध्यप्रदेश के आयुर्वेदिक, यूनानी एवं एलोपैथी चिकित्सा महाविद्यालय के प्राचार्य, प्रदेश के सभी मुख्य चिकित्सा अधिकारी, जिला आयुर्वेद अधिकारी तथा प्रत्येक महाविद्यालय के शल्य चिकित्सक, मेडीसिन, प्रसूति एवं स्त्री रोग के विभागाध्याक्षों को आमंत्रित किया गया है।

      इस कार्यशाला में क्षारसूत्र विशेषज्ञ डॉ. दिवाकर राव दिल्ली एवं डॉ. जीवरत्नम, हैदराबाद का व्याख्यान होगा, जिसमें क्षारसूत्र पध्दति का विशेष रूप से वर्णन किया जायेगा। जरावस्था की रोकथाम एवं चिकित्सा के लिये डॉ. यू एस. निगम एवं डॉ. वेणी माधव शास्त्री का पंचकर्म विषयपर विशेष व्याख्यान होगा। आधुनिक चिकित्सा पध्दति की ओर से डॉ. शैला शप्रे, डीन, गजराराजा चिकित्सा महाविद्यालय, ग्वालियर एवं डॉ. बीना अग्रवाल, विभागाध्यक्ष, स्त्री एवं प्रसूती रोग विशेषज्ञ का मातृ एवं शिशु रक्षा के लिये व्याख्यान होगा। डॉ. सुनील अग्रवाल द्वारा सर्जरी विभाग के निश्चेतक एवं गुदा रोग की बीमारियों का वर्णन किया जायेगा।

      क्षारसूत्र चिकित्सा को अनेक शोधों एंव निष्कर्ष के उपरांत मुख्य धारा में लाने के लिये भारत सरकार ने राज्य स्तरीय अभियान के तहत प्रत्येक चिकित्सा पध्दतियों में लागू कराने के उद्देश्य से इस कार्यशाला का आयोजन किया है।

      वर्तमान में जरावस्था एक प्रमुख समस्या हो रही है जिसके निराकरण के लिये भारत सरकार ने जरावस्था जन्य व्याधियों को रोकने के लिये प्रत्येक आयुर्वेदिक एवं प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर एक जरा चिकित्सक केन्द्र खोलने का निर्णय लिया है जिससे कि हमारे सभी वरिष्ठ जन इस चिकित्सा का लाभ प्राप्त कर सकें।

      रक्ताल्पता नियंत्रण शुरू से ही भारतवर्ष में एक समस्या रही है जिससे अनेक लोगों की मृत्यु हो जाती है। खासतौर से गर्भावस्था में रक्ताल्पता होने से मृत्युदर अत्यधिक है जबकि आयुर्वेद में रक्ताल्पता जन औषधियों का विस्तृत रूप में वर्णन है जिसमें केन्द्रीय आयुर्वेद अनुसंधान परिषद के अन्तर्गत धात्री लौह में आयरन की कमी से होने वाली रक्ताल्पता की चिकित्सकीय परीक्षण के पश्चात धात्री लौह को रक्ताल्पता के नियंत्रण के लिये प्रत्येक चिकित्सालय में उपलब्ध कराया है।

      जीर्ण व्याधियों की संख्या निरंतर बढ़ती जा रही है जैसे मधुमेह हाईपरटेंशन मोटापा आदि के नियंत्रण के लिये आयुष विभाग रसायन चिकित्सा में दिशा निर्देश प्रदान किये गये हैं।        मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य रक्षा के लिये विशेष अभियान चलाये जा रहे हैं जिसमें प्रसूता एवं नवजात शिशु पालन से लेकर उसके संवर्धन तक अनेक लाभकारी योजनायें निरंतर चल रहीं हैं। इस राज्यस्तरीय अभियान एवं कार्यशाला का उद्देश्य जन सामान्य तक स्वास्थ्य सुविधायें पहुँचाना है।

 

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