मच्छरजन्य परिस्थितियों को समाप्त करें- डॉ. कोमल सिंह
असहयोगी को होगा 500 रूपये तक जुर्माना
ग्वालियर, 5 जुलाई 09/ नगरीय क्षेत्रों में मलेरिया, डेंगू एवं चिकनगुनिया बिमारी पर प्रभावी नियन्त्रण हेतु मच्छरजन्य परिस्थितियों को समाप्त किया जावे। संभागायुक्त डा.कोमल सिंह ने इस सम्बन्ध में अधिकारियों को प्रमुख सचिव लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण तथा प्रमुख सचिव नगरीय प्रशासन द्वारा दिये गये निर्देशों का सख्ती से पालन करने की हिदायत दी है। उन्होंने कहा कि गत वर्ष मलेरिया से संभाग के कई हिस्सों में लोग प्रभावित हुए थे। इस बार वर्षा पूर्व ही बचाव के सभी बन्दोबस्त किये जायें।
मलेरिया, डेंगू एवं चिकनगुनिया बीमारी पर प्रभावी नियन्त्रण की दृष्टि से पूरे प्रदेश में मच्छरजन्य परिस्थितियां समाप्त करने की दिशा में ठोस प्रयास किये जा रहे हैं । सर्वविदित है कि मलेरिया बीमारी एनाफिलिज नामक मच्छर तथा डेंगू व चिकुनगुनिया बीमारी एडीज नामक मच्छरों की वजह से एक रोगी मनुष्य से स्वस्थ व्यक्ति में फैलती है । ये मच्छर घरों में सीमेन्ट की टंकी, मटके, नांद, कूलर, टायर, कुएॅ, घर के आसपास एकत्रित पानी, पोखर आदि जिसमें पानी एक सप्ताह से अधिक समय तक जमा रहता है, में पैदा होते हैं।
शहरी क्षेत्रों में कीटनाशक दवाई जैसे डी.डी.टी. आदि का छिड़काव लोग दीवारों के खराब होने एवं गंध आने की वजह से नहीं करवाते, इसलिए मच्छरों की उत्पत्ति रोकने के लिए लार्वानाशी दवाई जैसे टेमोफास का छिड़काव रूके हुए पानी पर किया जाता है ऐसा करने से मच्छर लार्वा अवस्था में ही नष्ट हो जाते हैं । साथ ही मच्छरों को नष्ट करने के लिए पेराथ्रम का धुऑं भी किया जाता है ।
नगरीय निकायों को उनके पास उपलब्ध धनराशि से टेमोफास व पेराथ्रम की व्यवस्था करने व तकनीकी मार्गदर्शन हेतु मुख्य चिकित्सा अधिकारी व जिला मलेरिया अधिकारी को ताकीद किया गया । अत्यावश्यक परिस्थितियों में टेमोफास व पेराथ्रम की उपलब्धता न होने पर मुख्य चिकित्सा अधिकारी अथवा जिला मलेरिया अधिकारी से सम्पर्क करने पर स्वास्थ्य विभाग द्वारा भी ये दवाईयाँ उपलब्ध कराई जा सकेंगी । साथ ही नगरीय निकाय पोखरों व अन्य जल स्त्रोतों में लार्वाभक्षी मच्छली गम्बूसिया का संचय करें व समय समय पर कुओं,बाबड़ियों, अनुपयोगी जल स्त्रोतों में ये मछलियॉ डालें । ऐसा करने से मछलियाँ मच्छरों के लार्वा का भक्षण करती हैं, फलस्वरूप मच्छरों की उत्पत्ति प्रभावी रूप से कम हो सकेगी ।
घरों में मच्छरों की उत्पत्ति रोकने हेतु सीमेंट की टंकी, मटके, नांद आदि ढककर रखने व कूलर, टंकी आदि को सप्ताह में एक बार खाली कर फिर भरने का प्रचार प्रसार किया जावे तथा आम लोगों को लार्वा से मच्छर बनने की जानकारी का अभाव दूर करने हेतु स्वास्थ्य विभाग के सहयोग से प्रदर्शनियों का भी आयोजन किया जावे । जिसमें मच्छरों के लार्वा का भी प्रदर्शन किया जावे।
मध्यप्रदेश शासन, नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग मंत्रालय द्वारा मलेरिया और मच्छरों से उत्पन्न अन्य बीमारियों के नियंत्रण के सम्बन्ध में आदर्श उपविधियाँ बनाई गयी हैं, उपविधियों में निम्न बिन्दु प्रमुख हैं :-
· मच्छर पैदा होने के स्थलों का अभिक्रियान्वयन :- किसी परिसर, जिसमें बहते पानी / एकत्रित पानी में मच्छरों के लार्वा होने की संभावना हो, उस भवन स्वामी / दखलकार को मुख्य नगर पालिका अधिकारी लिखित में सूचना देकर नियत समय में उनके द्वारा सुझाये गये उपाय अनुसार कार्यवाही करवायें।
· यदि सूचना दिये गये व्यक्ति द्वारा परिसर में उपाय नहीं किये जाते हैं तो मुख्य नगर पालिका अधिकारी उल्लेखित उपाय कर सम्पत्ति स्वामी / अभिभोगी से वसूलकर सकता है ।
· नगरपालिका अधिकारी द्वारा किसी भूमि/भवन/ परिसर में यदि मच्छर रोधी कार्य किया जाता है तो कोई भी व्यक्ति ऐसे किये गये कार्य में विध्न नहीं डालेगा / हानि नहीं पहुँचायेगा / नष्ट नही करेगा और न ही अनुपयोगी बनायेगा । यदि किसी व्यक्ति द्वारा उल्लंघन किया जाता है तो उसमें होने वाला व्यय सम्बन्धित व्यक्ति से वसूला जावेगा। साथ ही किसी भवन/ परिसर में ऐसे अनावश्यक कोई कार्य नहीं किये जावें, जिससे पानी रूके / एकत्र हो, जिसमें मच्छर उत्पन्न हों । भवन/सड़कों/बाँधों की मरम्मत के दौरान किये गये गङ्ढों को निकासी से जोड़ा जावे ।
· मुख्य नगर पालिका अधिकारी किसी भी भवन में निरीक्षण हेतु प्रवेश कर सकेगा तथा उपविधियों का उल्लंघन करने पर रूपये 500/- तक जुर्माना किया जा सकेगा ।
नगर पालिका परिषद / नगर पंचायत उपविधियों का अपने क्षेत्र में पालन कराये ताकि मच्छरों की उत्पत्ति पर रोक लग सके एवं मलेरिया, चिकनगुनिया व डेंगू पर प्रभावी नियंत्रण पाया जा सकेगा ।
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