बुधवार, 14 अक्तूबर 2009

केन्द्रीय सूचना आयोग के चतुर्थ वार्षिक सम्मेलन में उप-राष्ट्रपति का समापन संबोधन

केन्द्रीय सूचना आयोग के चतुर्थ वार्षिक सम्मेलन में उप-राष्ट्रपति का समापन संबोधन

नई दिल्‍ली 13 अक्‍टूबर 09, भारत के उपराष्ट्रपति मो.हामिद अंसारी ने कहा है कि किसी भी लोकतांत्रिक समाज के नागरिकों के बीच अपनी सरकार के प्रति असंतोष के स्तर पर ध्यान दिया जाना चाहिए। केन्द्रीय सूचना आयोग के चौथे वार्षिक सम्मेलन में अपने संबोधन में आज उपराष्ट्रपति ने कहा कि इस तरह के असंतोष ही प्रशासनिक प्रक्रिया की लापरवाही को दूर करते हुए सरकार पर अपनी कार्यप्रणाली में सुधार करने का दबाब बनाते हैं। उन्होंने कहा कि नागरिकों की समस्याओं के प्रति संवेदनशील और समानुभूति का व्यवहार रखते हुए यथार्थ आबंटन और उनका सर्वोत्तम उपयोग सुनिश्चित करना चाहिए।

             

उन्होंने कहा कि इसमें आश्चर्य की कोई बात नहीं है कि इस प्रवृत्ति में सूचना का अधिकार अधिनियम कोई अपवाद नहीं है। जब 2005 में यह पारित हुआ था, तब  इसका यह कहकर स्वागत किया गया था कि यह सरकार और नागरिकों के बीच सत्ता के संतुलन में बुनियादी बदलाव के उदेश्य से उठाया गया एक क्रांतिकारी कदम है। लेकिन तब चार वर्षो में, इस कानून से भी असंतोष देखने में आया है।

      

उपराष्ट्रपति महोदय ने कहा कि पर्याप्त कार्यान्वयन को देखते हुए, सूचना आयुक्तों के सम्मेलन में गंभीर और सक्रिय विचार-विमर्श होना चाहिए।

      

उपराष्ट्रपति मौ.हामिद अंसारी ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि आरटीआई अधिनियम पर सूचना के साथ अधिनियम का अनुवाद हमारे संविधान की 8वीं सूची में परिगणित 22 भाषाओं में उपलब्ध नहीं है। कार्मिक, जन शिकायत और पेंशन मंत्रालय की वेबसाईट पर सिर्फ 11 भाषाओं में ही आरटीआई उपलब्ध है। उन्होंने कहा कि केन्द्रीय सूचना आयोग की सूचना के प्रसार के लिए हिन्दी वेबसाईट नहीं है। उन्होंने कहा कि राज्यों के सूचना आयोगों की वेबसाईटों पर ना तो आरटीआई अधिनियम और ना ही ऑंकड़ें उपलब्ध हैं। इस मुददे को शीघ्रातिशीघ्र हल किये जाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि सशक्तीकरण अर्थहीन होगा यदि इसे उस भाषा में उपलब्ध कराया जाए जो नागरिक की समझ से परे हो।

 

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