वृध्दजनों की उपेक्षा या परित्याग पर हो सकती है तीन साल की सजा
ग्वालियर एक अक्टूबर 09। माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों के भरण-पोषण तथा कल्याण अधिनियम को मध्यप्रदेश में भी प्रभावशील किया गया है। इस अधिनियम के तहत वरिष्ठ नागरिकों की उपेक्षा अथवा परित्याग एक संज्ञेय अपराध है, जिसके लिए पाँच हजार रूपये का जुर्माना या तीन महीने की सजा अथवा दोनों हो सकते हैं। भारत सरकार द्वारा वृध्दजनों के समग्र कल्याण व पुनर्वास एवं वरिष्ठ नागरिकों और अभिभावकों को समर्थता प्रदान करने के लिए वर्ष 2007 में यह अधिनियम लागू किया गया था। उक्त अधिनियम प्रदेश में सामाजिक न्याय विभाग की अधिसूचना दिनाँक 23 अगस्त 2008 से प्रभावशील है।
प्रत्येक वरिष्ठ नागरिक जो 60 वर्ष या उससे अधिक आयु का है वह अधिनियम के तहत अपने उन संबंधियों से भरण-पोषण की मांग कर सकता है, जिनका उनकी सम्पत्ति पर स्वामित्व है अथवा जो उनकी सम्पत्ति के अत्तराधिकारी हो सकते हैं। अधिनियम के तहत प्रत्येक जिले में वृध्दजनों के प्रकरणों के निराकरण के लिए अधिकरण (ट्रिब्युनल) का गठन व इसके आदेश के विरूध्द अपील हेतु अपील अधिकरण (ट्रिब्युनल ) के गठन का प्रवधान है। यदि अधिकरण इस बात से संतुष्ट है कि बच्चों अथवा उनके संबंधियों ने अपने अभिभावकों अथवा वरिष्ठ नागरिकों की उपेक्षा की है। या फिर उनकी देखभाल से इन्कार किया है तो अधिकरण अधिकतम दस हजार रूपये तक मासिक भरण-पोषण राशि देने का आदेश दे सकता है। अधिनियम में वरिष्ठ नागरिकों की उपेक्षा अथवा परित्याग को संज्ञेय अपराध माना गया है। इसके लिये पांच हजार रूपये तक जुर्माना या तीन माह की सजा अथवा दोनों दण्ड देने का प्रावधान अधिनियम में किया गया है।
राज्य शासन द्वारा उक्त अधिनियम के प्रभावी क्रियान्वयन के लिये हाल ही में महत्वपूर्ण अधिसूचनायें व नियम जारी किये गये हैं। इस कड़ी में जिला कलेक्टर श्री आकाश त्रिपाठी ने जिले में इस अधिनियम के प्रभावी क्रियान्वयन के लिये पंचायत एवं सामाजिक न्याय विभाग के अधिकारियों सहित अन्य संबंधित अधिकारियों को निर्देश जारी कर अधिनियम के व्यापक प्रचार प्रसार के निर्देश जारी किये हैं।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें