रविवार, 4 अक्तूबर 2009

किसान ग्रीष्म कालीन धान की बजाय गेहूं, चना की फसल लगायें : पी.एच.ई. मंत्री श्री बिसेन

किसान ग्रीष्म कालीन धान की बजाय गेहूं, चना की फसल लगायें : पी.एच.ई. मंत्री श्री बिसेन

ग्रीष्म कालीन धान की सिंचाई के लिए नहीं मिलेगी बिजली, रबी फसलों के बीज पर किसानों को मिलेगा अनुदान

 

Balaghat:Saturday, October 3, 2009

प्रदेश में इस वर्ष सामान्य से कम वर्षा होने के कारण जल विद्युत परियोजनाओं से बिजली उत्पादन में कमी आने की संभावना है। जिसके कारण ग्रीष्म काल में लगाई जाने वाली धान फसल की सिंचाई के लिए किसानों को पर्याप्त बिजली नहीं मिल पायेगी। कम वर्षा के कारण खरीफ फसलों की कमी की पूर्ति रबी फसलों के सघन उत्पादन से करने का प्रयास किया जायेगा। इसके लिए प्रदेश सरकार ने किसानों को रबी फसलों के बीज अनुदान पर मुहैया कराने का निर्णय लिया है। रबी सीजन में गेहूं की खरीदी पर किसानों को 100 रू. प्रति क्विंटल का बोनस भी दिया जायेगा। यह बातें म.प्र. शासन के लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी एवं सहकारिता मंत्री श्री गौरीशंकर बिसेन ने बालाघाट में पत्रकारों से चर्चा के दौरान कही। इस अवसर पर जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती रेखा बिसेन, कलेक्टर डॉ. नवनीत मोहन कोठारी, पुलिस अधीक्षक श्री हरिनारायणचारी मिश्रा, जिला पंचायत की कृषि समिति के सभापती श्री गन्नूलाल बिसेन तथा कृषि से संबंधित विभागों के अधिकारी मौजूद थे।

मंत्री श्री बिसेन ने इस दौरान बताया कि बालाघाट जिले में किसानों द्वारा ग्रीष्म कालीन धान की फसल लगाई जाती रही है। लेकिन इस वर्ष पूरे म.प्र. में औसत से काफी कम वर्षा होने के कारण बिजली का उत्पादन काफी कम होने की संभावना है। ऐसी स्थिति में गर्मियों के दिनों में धान फसल की सिंचाई के लिए बिजली दे पाना संभव नहीं होगा। बिजली नहीं मिलने पर किसानों की धान फसल सूख सकती है जिसके कारण उन्हें काफी नुकसान उठाना पड़ सकता है। ऐसी स्थिति से बचने के लिए जिले के किसानों से अपील की गई है कि वे रबी सीजन में ग्रीष्म कालीन धान की फसल न लगायें।

प्रदेश में कम वर्षा के कारण ढूटी सिंचाई परियोजना से भी ग्रीष्म कालीन धान फसल की सिंचाई के लिए पानी नहीं दिया जायेगा। पानी केवल गेहूं की सिंचाई के लिए दिया जायेगा। मार्च से लेकर अप्रैल माह तक ढूटी परियोजना की नहरों की मरम्मत व सुधार का कार्य प्रारंभ कर दिया जायेगा।

मंत्री श्री बिसेन ने जिले के किसानों से कहा है कि वे ग्रीष्म कालीन धान की बजाय गेहूं, चना तथा अन्य दलहन व तिलहन की फसलें लगायें। प्रदेश सरकार ने रबी फसलों के लिए किसानों को गेहूं , चना व अन्य फसलों के बीज बाजार से कम दाम पर दिलाने के लिए बीज अनुदान देने का निर्णय लिया है। गेहूं की 2165 रू. मूल्य की उंची किस्म का बीज किसानो को मात्र 1465 रू. में तथा 2 हजार रू. मूल्य का बौनी प्रजाति का गेहूं बीज किसानों को मात्र 1300 रू प्रति क्विंटल की दर से दिया जायेगा। इसी प्रकार किसानों को 2725 रू. मूल्य का काबूली चना बीज 1400 रू. प्रति क्विंटल,, 2010 रू. मूल्य का मटर बीज 1030 रू. प्रति क्विंटल, 4150 रू. मूल्य का मसूर बीज 2150 रू. प्रति क्विंटल, 3015 रू. मूल्य का तोरिया बीज 1540 रू. प्रति क्विंटल, 3150 रू. मूल्य का सरसों बीज 1615 रू. प्रति क्विंटल, 3575 रू. मूल्य का अलसी बीज 1825 रू. प्रति क्विंटल, 1400 रू. मूल्य का कुसूम बीज 720 रू प्रति क्विंटल तथा 1500 रू मूल्य का जौ बीज 800 रू. प्रति क्विंटल की दर से प्रदाय किया जायेगा।

मंत्री श्री बिसेन ने बताया कि दलहनी एवं तिलहनी फसलों पर किसानों को एक हजार रू. प्रति क्विंटल बीज अनुदान दिया जायेगा। जिसमें 750 रू. बीज उत्पादक किसान एवं 250 रू संस्था को प्राप्त होगा। 10 वर्ष अवधि की गेहूं की अधिसूचित किस्मों पर 300 रू. प्रति क्विंटल की दर से बीज उत्पादन अनुदान संसथा को दिया जायेगा। आईसोपाम योजना के अंतर्गत रबी सीजन में दलहनी एवं तिलहनी फसलों पर 2 हजार रू अथवा लागत का 50 प्रतिशत प्रति क्विंटल की दर से जो भी कम हो किसान को बीज वितरण पर अनुदान दिया जायेगा। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन के अंतर्गत गेहूं की समस्त अधिसूचित किस्मों पर 700 रू. प्रति क्विंटल की दर से बीज वितरण अनुदान दिया जायेगा।

मंत्री श्री बिसेन ने बताया कि संस्थाओं के पास उपलब्ध प्रमाणित बीज का न्यूनतम 90 प्रतिशत बीज प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियों के माध्यम से वितरण करना अनिवार्य है। संस्थायें अधिकतम 10 प्रतिशत बीज का वितरण स्वयं नगद विक्रय कर सकती है। उन्होंने बताया कि एक किसान को दलहनी/तिलहनी फसलों के लिए अधिकतम 2 हेक्टेयर एवं गेहूं के लिए अधिकतम 5 हेक्टेयर तक के लिए उपयोग में लाये जाने वाले बीज पर ही वितरण अनुदान की पात्रता होगी। कृषि साख समितियों एवं बीज उत्पादक संस्थाओं व समितियों द्वारा वितरित बीज के लिए वितरण अनुदान सीधे उप संचालक कृषि द्वारा प्रदाय किया जायेगा। सहकारी समितियों को पूर्व में स्वीकृत कमीशन 110 रू. यथावत रहेगा।

 

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