125 डेसीबल से अधिक ध्वनिकारक पटाखों पर प्रतिबंध
ग्वालियर 27 अक्टूबर 08 । दीपावली प्रकाश का पर्व है, दीपावली के समय ज्वलनशील एवं ध्वनिकारक विभिन्न प्रकार के पटाखों का उपयोग प्रदेश के प्राय: समस्त क्षेत्रों में किया जाता है। ज्वलनशील एवं अति ध्वनिकारक पटाखों के उपयोग के कारण परिवेशीय वायु की गुणवत्ता एवं ध्वनि स्तर में प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है तथा मानव अंगों पर भी दुष्प्रभाव पड़ता है। कुछ पटाखों से उत्पन्न ध्वनि की तीव्रता 100 डेसीबल से भी अधिक होती है । अत: ध्वनि प्रदूषण पर नियंत्रण किया जाना अतिआवश्यक है । इस दिशा मं पर्यावरण एवं वन मंत्रालय ,भारत सरकार द्वारा अधिसूचना जीएसआर 682(ई) 5 अक्टूबर 99 में पटाखों के लिये ध्वनिस्तर मानक निर्धारित किये हैं । इसके अनुसार प्रस्फोटन बिन्दु से 4 मीटर की दूरी पर 125ड्डडप्ॠथ्फ् या 145 ड्डएप्क्फ्द्रत्त् अर्थात 125 डेसीबल से अधिक ध्वनि स्तर जनक पटाखों का विनिर्माण, विक्रय या उपयोग प्रतिषिध्द किया गया है । इसी प्रकार लड़ी (जुड़े हुए पटाखे) गठित करने वाले अलग-अलग पटाखों के लिये ऊपर वर्णित सीमा 5 थ्दृढ़त्दृप्फ्ड्डए तक कम किया जा सकेगा जहां उ एक साथ जुड़े हुये पटाखों की संख्या ।
माननीय उच्च न्यायालय द्वारा रिट-पिटीशन(सिविल) क्रमांक 72/1998 ''ध्वनि प्रदूषण पर नियंत्रण'' के परिप्रेक्ष्य में 18 जुलाई 2005 को जारी जजमेंट में दिये गये निर्देशानुसार रात्रि 10 बजे से प्रात: 6 बजे तक ध्वनि कारक पटाखों का चलाया जाना पूर्णत: प्रतिबंधित रहेगा ।
मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के स्थानीय अधिकारियों ने नागरिकों से अपील की है कि पटाखों को जलाने के उपरांत उनसे उत्पन्न कचरे को ऐसे स्थानों पर न फेंका जाये जहां पर प्राकृतिक जल स्त्रोत अथवा पेयजल स्रोत हैं, क्यों कि विस्फोटक सामग्री खतरनाक रसायनों से निर्मित होती है ।
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