विधानसभा निर्वाचन 2008 ग्वालियर जिले में भी आदर्श आचरण संहिता लागू
ग्वालियर 21 अक्टूबर 08। भारत निर्वाचन आयोग द्वारा मंगलवार को मध्यप्रदेश विधानसभा के निर्वाचन कार्यक्रम की घोषणा कर दी गई । इसके साथ ही सम्पूर्ण प्रदेश की भाँति ग्वालियर जिले में भी आदर्श आचरण संहिता लागू हो गई है। कलेक्टर एवं जिला निर्वाचन अधिकारी श्री आकाश त्रिपाठी ने सभी सें इस आचरण संहिता पालन करने की अपेक्षा की है ।
आदर्श आचरण संहिता का पालन करते हुये किसी दल या अभ्यर्थी को ऐसा कोई कार्य नहीं करना चाहिए, जो विभिन्न जातियों और धार्मिक या भाषायी समुदायों के बीच विद्यमान मतभेदों को बढ़ाये या घृणा की भावना उत्पन्न करे या तनाव पैदा करें । जब अन्य राजनैतिक दलों की आलोचना की जाय, तब वह उनकी नीतियों और कार्यक्रम, पुराने आचरण और कार्य तक ही सीमित होनी चाहिए । यह भी आवश्यक है कि व्यक्तिगत जीवन के ऐसे सभी पहलुओं की आलोचना नहीं की जाना चाहिए जिनका संबंध अन्य दलों के नेताओं या कार्यकर्ताओं के सार्वजनिक क्रियाकलाप से न हो । अन्य दलों या उनके कार्यकर्ताओं के बारे में कोई ऐसी आलोचना नहीं की जानी चाहिए जो ऐसे आरोपों पर जिनकी सत्यता प्रमाणित न हुई हो या तोड़ मरोड़ कर कही गई बातों पर आधारित हो ।
मत प्राप्त करने के लिए जातीय या साम्प्रदायिक भावनाओं की दुहाई नहीं दी जानी चाहिए । मस्जिदों , बिरजाघरों , मंदिरों या पूजा के अन्य स्थानों का निर्वाचन प्रचार के लिए मंच के रूप में उपयोग नहीं किया जाना चाहिए । सभी दलों और अभ्यर्थियों को ऐसे सभी कार्यों से ईमानदारी के साथ बचना चाहिए । जो निर्वाचन विधि के अधीन '' भ्रष्ट आचरण '' और अपराध हैं जैसे कि मतदाताओं को रिश्वत देना, मतदाताओं को अभित्रस्त करना मतदाताओं का प्रतिरूपण, मतदान केन्द्र के समीप प्रतिबंधित क्षेत्र व मतदान केन्द्र के भीतर मत संयाचना (चुनाव प्रचार) करना, मतदान की समाप्ति के लिए नियत समय को खत्म होने वाली अवधि के दौरान सार्वजनिक संभाएं करना और मतदाताओं को सवारी से मतदान केन्द्रों तक ले जाना और वहां से वापस लाना । सभी राजनैतिक दलों या अभ्यर्थियों को इस बात का प्रयास करना चाहिए कि वे प्रत्येक व्यक्ति के शांतिपूर्ण और विघ्नरति घरेलू जिंन्दगी के अधिकार का आदर करें चाहे वे उसके राजनैतिक विचारों या कार्यों के कितने ही विरूध्द क्यों न हो, व्यक्तियों के विचारों या कार्यों का विरोध करने के लिए उनके घरों के सामने प्रदर्शन आयोजित करने या धरना देने के तरीकों का सहारा किसी भी परिस्थिति में नहीं लेना चाहिए ।
किसी भी राजनैतिक दल या अभ्यर्थी को झंडा खड़ा करनें, बैनर टांगने, सूचना चिपकाने, नारे लिखने आदि के लिए किसी व्यक्ति की भूमि, भवन, अहाते, दीवार आदि का उसकी सहमति के बिना उपयोग करने की अनुमति, अपने अनुयायियों को नहीं देनी चाहिए । राजनैतिक दलों और अभ्यर्थियों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनके समर्थक अन्य दलों द्वारा आयोजित सभाओं, जुलूसों आदि में बाधाएं उत्पन्न न करें या उन्हें भंग न करें । एक राजनैतिक दल के कार्यकर्ताओं या शुभचिंतकों को दूसरे राजनैतिक दल द्वारा आयोजित सार्वजनिक सभाओं में मौखिक रूप से या लिखित रूप से प्रश्न पूछ कर या अपने दल के परचे वितरित करके गड़बड़ी पैदा नहीं करना चाहिए । किसी दल द्वारा जुलूस उन स्थानों से होकर नहीं ले जाने चाहिए जिन स्थानों पर दूसरे दल द्वारा सभाएं की जा रही हों, एक दल द्वारा निकाले गये पोस्टर दूसरे दल के कार्यकर्ता द्वारा हटाये नहीं जाने चाहिए । राजनैतिक दल या अभ्यर्थी को किसी प्रस्तावित सभा के स्थान और समय के बारे में स्थानीय पुलिस प्राधिकारियों को उपयुक्त समय पर सूचना दे देनी चाहिए ताकि उनके द्वारा यातायात को नियंत्रित करने और शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए आवश्यक व्यवस्था की जा सके । राजनैतिक दल या अभ्यर्थी को उस दशा में पहले ही यह सुनिश्चित कर लेना चाहिए कि उस स्थान पर जहां सभा करने का प्रस्ताव है, कोई निर्बांधात्मक या प्रतिबंधात्मक आदेश (निषेधाज्ञा) लागू तो नहीं है, यदि ऐसे आदेश लागू हों तो , उनका कड़ाई के साथ पालन किया जाना चाहिए । यदि ऐसे आदेशों से कोई छूट अपेक्षित हो तो उनके लिए समय से आवेदन करना चाहिए और छूट प्राप्त कर लेना चाहिए ।
यदि किसी प्रस्तावित सभा के संबंध में लाऊडस्पीकरों के उपयोग या किसी अन्य सुविधा के लिए अनुमति या अनुज्ञप्ति (लाईसेन्स) प्राप्त करनी हो तो दल या अभ्यर्थी को संबंधित अधिकारी के पास काफी पहले ही आवेदन करना चाहिए और इसकी अनुमति या अनुज्ञप्ति प्राप्त कर लेनी चाहिए । किसी सभा के आयोजकों के लिए यह अनिवार्य है कि वे सभा में विध्न डालने वाले या अन्यथा अव्यस्था फैलाने का प्रयत्न करने वाले व्यक्त्यिों से निपटने के लिए डयूटी पर तैनात पुलिस की सहायता प्राप्त करें, आयोजकों को चाहिए कि वे स्वयं ऐसे व्यक्त्यिों के विरूध्द कोई कार्यवाही न करें । जुलूस का आयोजन करने वाले दल या अभ्यर्थी को पहले ही यह बात तय कर लेनी चाहिए कि जुलूस किस समय और किस स्थान से शुरू होगा, किस मार्ग से होकर जायेगा और किस समय और किस स्थान पर समाप्त होगा । सामान्यत: कार्यक्रम में कोई फेरबदल नहीं होनी चाहिए ।
आयोजकों को चाहिए कि वे कार्यक्रम के बारे में स्थानीय पुलिस अधिकारियों को अग्रिम सूचना दे दें, ताकि वे आवश्यक व्यवस्था कर सकें । आयोजकों को यह सुनिश्चित कर लेना चाहिए कि जिन इलाकों से होकर जुलूस गुजरना है उनमें कोई निर्बांधात्मक आदेश (निषेधाज्ञा)तो लागू नहीं है, जब तक सक्षम प्राधिकारी द्वारा विशेष रूप से छूट न दी जाए , उन निर्बांधनों का पालन करना चाहिए । यातायात के नियमों का भी ध्यानपूर्वक पालन करना चाहिए ।
आयोजकों को चाहिए कि जुलूस का इंतजाम ऐसे ढंग से किया जाये जिससे कि यातायात में कोई रूकावट या बाधा उत्पन्न किये बिना जुलूस का निकलना संभव हो सके । यदि जुलूस बहुत लम्बा है तो उसे उपयुक्त लम्बाई वाले टुकड़ो में संगठित किया जाना चाहिए, ताकि सुविधाजनक अंतरालों पर विशेषकर उन स्थानों पर जहां जुलूस को चौराहों से होकर गुजरना है, रूके हुए यातायात के लिए समय- समय पर रास्ता दिया जा सके और इस प्रकार भारी यातायात के जमाव से बचा जा सके । जुलूसों की व्यवस्था ऐसी होनी चाहिए कि जहां तक हो सके उन्हें सड़क की दायीं ओर रखा जाए और डयूटी पर तैनात पुलिस के निर्देशों और सलाह का कड़ाई के साथ पालन किया जाना चाहिए । यदि दो या अधिक राजनैतिक दलों या अभ्यर्थियों ने लगभग उसी समय पर उसी रास्ते या उसके भाग से जुलूस निकाले का प्रस्ताव किया है , तो आयोजकों को चाहिए कि वे समय से काफी पहले आपस में सम्पर्क स्थापित कर लें और ऐसी योजना बनायें जिससे कि जुलूसों में टकराव न हो या यातायात को बाधा न पहुंचे । स्थानीय पुलिस की सहायता संतोषजनक इंतजाम करने के लिए सदा उपलब्ध होगी । इस प्रयोजन के लिए दलों को यथाशीघ्र पुलिस से संपर्क स्थापित करना चाहिए ।
जुलूस में शामिल लोगों द्वारा ऐसी चीजें लेकर चलने के विषय में, जिनका अवांछनीय तत्वों द्वारा , विशेष रूप से उत्तेजना के क्षणों में दुरूपयोग किया जा सकता हो, राजनैतिक दलों या अभ्यर्थियों को अधिक से अधिक नियंत्रण करना चाहिए । किसी भी राजनैतिक दल या अभ्यर्थी को अन्य राजनैतिक दलों के सदस्यों या उनके नेताओं के पुतले लेकर चलने , उनको सार्वजनिक स्थान में जलाने और इसी प्रकार के अन्य प्रदर्शनों का समर्थन नहीं करना चाहिए । सभी राजनैतिक दलों व अभ्यर्थियों को चाहिए कि वे
यह सुनिश्चत करने के लिए कि मतदान शांतिपूर्ण और सुव्यवस्थित ढंग से हो और मतदाताओं को इस बात की पूरी स्वतंत्रता हो कि वे बिना किसी परेशानी या बाधा के अपने मताधिकार का प्रयोग कर सकें , निर्वाचन कर्तव्य पर लगे हुये अधिकारियों के साथ सहयोग करें । अपने प्राधिकृत कार्यकर्ताओं को उपयुक्त बिल्ले या पहचान पत्र दें । इस बात से सहमत हो कि मतदाताओं की उनके द्वारा दी गई पहचान पर्चियां सादे कागज पर होगी और उन पर कोई प्रतीक, अभ्यर्थी का नाम या दल का नाम नहीं होगा । मतदान के दिन और उसके पूर्व के 24 घंटे के दौरान किसी को शराब पेश या वितरित न करें । राजनैतिक दलों और अभ्यर्थियों द्वारा मतदान केन्द्रों के निकट लगाए गए कैम्पों के नजदीक अनावश्यक भीड़ इकठ्ठी न होने दें जिससे दलों और अभ्यर्थियों के कार्यकर्ताओं और शुभचिंतकों में आपस में मुकाबला और तनाव न होने पावे । यह सुनिश्चित करें कि अभ्यर्थयों के कैम्प साधारण हों, उन पर कोई पोस्टर, झण्डे, प्रतीक या कोई अन्य प्रचार सामग्री प्रदर्शित न की जाय, कैम्पों में खाद्य पदार्थ पेश न किये जाएं और भीड़ न लगाई जाए ।
मतदान के दिन वाहन चलाने पर लगाये जाने वाले निर्बन्धनों का पालन करने में प्राधिकारियों के साथ सहयोग करें और वाहनों के लिए परिमिट प्रापत कर लें और उन उन्हें वाहनों पर ऐसे लगा दें जिससे वे साफ- साफ दिखाई देते रहें । मतदाताओं के सिवाय कोई भी व्यक्त्ति निर्वाचन आयोग द्वारा दिए गए विधिमान्य पास के बिना मतदातन केन्द्रों में प्रवेश नहीं करेगा । निर्वाचन आयोग प्रेक्षक नियुक्त कर रहा है । यदि निर्वाचनों के संचालन के संबंध में अभ्यर्थियों या उनके अभिकर्ताओं को कोई विशिष्ट शिकायत या समस्या हो तो वे उसकी सूचना प्रेक्षक को दे सकते है । सत्ताधारी दल को, चाहे वह केन्द्र में हो या संबंधित राज्य हो, यह सुनिश्चित करना चाहिए कि यह शिकायत करने का मौका न दिया जाय कि उस दल ने अपने निर्वाचन अभियान के प्रयोजनों के लिए अपने सरकारी पद का प्रयोग किया है, और विशेष रूप से मंत्रियों को अपने शासकीय दौरों को निर्वाचन में निर्वाचन से संबंधित प्रचार कार्य के साथ नहीं जोड़ना चाहिए और निर्वाचन के दौरान प्रचार करते हुये शासकीय मशीनरी अथवा कर्मियों का प्रयोग नहीं करना चाहिए । सरकारी विमानों, गाड़ियों सहित सरकारी वाहनों, मशीनरी और कर्मियों का सत्ताधारी दल के हित को बढ़ावा देने के लिए प्रयोग नहीं किया जाएगा । सत्तााधारी दल को चाहिए कि वह सार्वजनिक स्थान जैसे मैदान इत्यादि पर निर्वाचन सभाएं आयोजित करने और निर्वाचन के संबंध में हवाई उड़ानों के लिए हैलीपैडों के इस्तेमाल करने के लिए अपना एकाधिकार न जमाएं, ऐसे स्थानों का प्रयोग दूसरे दलों और अभ्यर्थियों को भी उन्ही शर्तों पर करने दिया जाए जिन शर्तों पर सत्ताधारी दल उनका प्रयोग करता है ।
सत्ताधारी दल या उसके अभ्यर्थियों का विश्राम गृहों, डाक बंगलों या अन्य सरकारी आवासों पर एकाधिकार नहीं होगा और ऐसे आवासों का प्रयोग निष्पक्ष तरीके से करने के लिए अन्य दलों और अभ्यर्थियों को भी अनुमति दी जाएगी । किन्तु कोई भी दल या अभ्यर्थी ऐसे आवासों का (इनके साथ परिसरों सहित) प्रचार कार्यालय के रूप में या निर्वाचन प्रोपेगण्डा के लिए कोई सार्वजनिक सभा करने की दृष्टि से प्रयोग नहीं करेगा या उसे प्रयोग करने की अनुमति नहीं दी जाएगी । निर्वाचन अवधि के दौरान, राजनैतिक समाचारों तथा प्रचार की पक्षपातपूर्ण व्याप्ति के लिए सरकारी खर्चे से समाचार पत्रों में या अन्य माध्यमों से ऐसे विज्ञापनों का जारी किया जाना तथा सरकारी जन माध्यमों का दुरूपयोग कर्तव्यनिष्ठ हो कर बिल्कुल बंद रहना चाहिए जिनमें सत्ताधारी दल के हितों को अग्रसर करने की दृष्टि से उनकी उपलब्धियां दिखाई गई हों ।
मंत्रियों और अन्य प्राधिकारियों को उस समय से जब से निर्वाचन आयोग द्वारा निर्वाचन घोषित किए जाते है, विवेकाधीन निधि में से अनुदानों / भुगतानों की स्वीकृति नहीं देनी चाहिए । मंत्री और अन्य प्राधिकारी, उस समय से जब से निर्वाचन आयोग द्वारा निर्वाचन घोषित किए जाते है । किसी भी रूप से कोई भी वित्तीय मंजूरी या बचन देने की घोषणा नहीं करेंगे और (सिवाय लोक सेवकों) किसी प्रकार की परियोजनाओं अथवा स्कीमों के लिए आधार पर शिलाएं आदि नहीं रखेंगे और सड़कों के निर्माण का कोई वचन नहीं देंगे, पीने के पानी की सुविधायें नहीं देगे आदि और शासन सार्वजनिक उपक्रमों आदि में कोई भी तदर्थ नियुक्ति नहीं करेंगे , यदि जिससे सत्ताधारी दल के हित में मतदाता प्रभावित हों । केन्द्रीय या राज्य सरकार के मंत्री, अभ्यर्थी या मतदाता या प्राधिकृत अभिकर्ता की अपनी हैसियत को छोड़कर किसी भी मतदान केन्द्र या गणना स्थल में प्रवेश नहीं करेंगे ।
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