मध्यप्रदेश को समृध्द एवं विकसित राज्य बनाया जावेगा: मुख्यमंत्री श्री चौहान
शिवपुरी जिले के पिछोर में महिला, आदिवासी, एवं पंच सरपंच सम्मेलन सम्पन्न
ग्वालियर 13 अक्टूबर 08। मुख्यमंत्री श्री शिवराजसिंह चौहान ने कहा है कि मध्यप्रदेश को समृध्द एवं विकसित राज्य बनाया जावेगा। इसके लिये सरकार ने बडे पैमाने पर विकास कार्य शुरू किये हैं। श्री चौहान आज शिवपुरी जिले के तहसील मुख्यालय पिछोर में महिला , आदिवासी, एवं पंच सरपंच सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर उन्होंने 4500 करोड रूपये लागत की उर नदी पर बांध की स्वीकृति देने की घोषणा की साथ ही उन्होंने दो करोड इकसठ लाख रूपये लागत के चार कार्यों का लोकार्पण किया तथा चार करोड दस लाख रूपये लागत के दो कार्यों का भूमि पूजन किया।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने इस अवसर पर कहा कि लोकतंत्र में मुख्यमंत्री जनता का पहला सेवक होता है। उन्होंने कहा कि जनता का सुख मेरा सुख है और जनता का दु:ख मेरा दु:ख है। दीनों की सेवा करने से ही साक्षात भगवान के दर्शन होते हैं। मुख्यमंत्री ने शासन द्वारा चलाई जा रही विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं की जानकारी विस्तार से दी। लाडली लक्ष्मी योजना के बारे में उन्होंने कहा कि अब बेटी लखपति बनकर ससुराल जावेगी। इसलिए लोग अब बेटी को बोझ नहीं समझकर उसका स्वागत करें। बेटी को शिक्षित करने के लिये सरकार द्वारा नि:शुल्क सुविधाऐं दी जा रही हैं। इनमें पुस्तकें , गणवेश, साइकल, आदि शामिल हैं। गांव की बेटी योजना में बालिका के कालेज में दाखिला लेने पर पांच हजार रूपये की राशि प्रति वर्ष दी जाती है। इसी प्रकार बेटी के शादी योग्य होने पर मुख्यमंत्री कन्यादान योजना में सरकार द्वारा शादी का खर्च उठाया जाता है। इससे ससुराल में बेटियों का मान सम्मान बडेगा। अब वे दहेज के लिये सताई नहीं जावेंगी।
खेती को फायदे का धंधा बनाने के संबंध में मुख्यमंत्री ने कहा कि किसानों को पांच प्रतिशत ब्याज दर पर खादबीज के लिये कर्ज दिया जा रहा है। आगामी समय में इस ब्याज दर को तीन प्रतिशत कर दिया जावेगा। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक आपदाओं की राहत राशि भी बढाई गई है। यदि कोई कृषि मजदूर घायल होता है तो उसे आर्थिक सहायता देने का प्रावधान किया गया है। विजली के करंट से किसी मजदूर की मृत्यु होने पर उसके परिवार को 50 हजार रूपये की सहायता दी जाती है। यदि किसान की अंगुली भी कटती है तो सरकार 7 हजार 500 रूपये की सहायता देगी। उन्होंने बताया कि आकाशीय विजली के गिरने से मृत हुये व्यक्ति के परिवार को एक लाख रूपये की सहायता देने का प्रावधान किया गया है। इसी प्रकार किसी भी पशु की मृत्यु होने पर उसकी कीमत के अनुसार सहायता राशि दी जाती है। श्री चौहान ने कपिल धारा योजना की भी विस्तार से जानकारी दी। सिचाई के संबंध में उन्होंने कहा कि किसानों के खेतों में पानी पहुंचाने के लिये सरकार कृत संकल्पित है। इसके लिये विगत वर्षों में 13 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिचाई क्षमता बढाई गई है तथा आगे भी छोटे बडे बांध बनाकर सिचाई क्षमता को बढाया जावेगा। श्री चौहान ने मुख्यमंत्री मजदूर सुरक्षा योजना, दीनदयाल उपचार योजना, अनुसूचित जनजाति एवं अन्य परम्परागत वन निवासी अधिनियम एवं राज्य बीमारी सहायता निधि की विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने कहा कि प्रदेश के बेरोजगारों को रोजगार उपलब्ध कराने के लिये सरकार ने शासकीय भर्ती से प्रतिबंध हटा लिया है। साथ ही बडे पैमाने पर प्रदेश में उद्योग लगाये जा रहे हैं। जिससे कोई भी व्यक्ति अब बेरोजगार नहीं रहेगा। उन्होंने कहा कि सरकार ने विभिन्न वर्गों की पंचायतें बुलाकर उनकी समस्याओं का मोके पर ही निराकरण किया है एवं उनके लिये कल्याणकारी योजनाऐं बनाई गई हैं। उन्होंने कहा कि अगले पांच साल में मध्यप्रदेश को पूरे देश में पहले नम्बर का राज्य बना दिया जावेगा। कानून व्यवस्था के संबंध में उन्होंने कहा कि सरकार प्रदेश में आतंक का राज नहीं रहने देगी इसके लिये प्रदेश से बडे पैमाने पर डाकुओं का सफाया किया गया है। शिक्षा के क्षेत्र मे उन्होंने कहा कि प्रदेश में प्रत्येक पांच किलोमीटर पर एक हाईस्कूल स्थापित किया जावेगा। मुख्यमंत्री ने खनियाधाना में महाविद्यालय खोलने एवं अगले शैक्षणिक सत्र से स्नातकोत्तार कक्षाऐं शुरू करने की घोषणा की। उन्होंने पिछोर में संस्कृत विषय में स्नातकोत्तार कक्षाऐं प्रारंभ करने की भी घोषणा की।
मुख्यमंत्री ने आज 2 करोड 61 लाख रूपये लागत के चार कार्यों का लोकार्पण किया। इनमें 17 लाख रूपया लागत का पिछोर में कस्तूरवा गांधी कन्या छात्रावास , 17 लाख रूपये लागत का खनियाधाना में कस्तूरवागांधी कन्या छात्रावास, 1 करोड 62 लाख रूपया लागत की दविया गोविन्द सिचाई योजना तथा 65 लाख रूपये लागत का 30 बिस्तरीय सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र भवन एवं एच टाइप आवास शामिल है। इसी प्रकार उन्होंने 4 करोड 4 लाख 95 हजार रूपये लागत की पारोच मध्यम सिचाई परियोजना के नवीनीकरण सुदृडीकरण, तथा हायरसेकेण्डरी स्कूल भवन बामोरकला का भूमिपूजन किया। इस अवसर पर पूर्व मंत्री भैयासाहव लोधी ने स्वागत भाषण दिया एवं अंत में पूर्व राजस्व मंत्री श्री लक्ष्मीनारायण गुप्ता ने आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम में प्रमुख रूप से कोलारस विधायक श्री ओमप्रकाश खटीक, पूर्व मंत्री श्री लक्ष्मीनारायण गुप्ता एवं श्री भैयासाहव लोधी, संभागायुक्त डा.कोमलसिंह, कलेक्टर श्री मनीष श्रीवास्तव, भाजपा जिलाध्यक्ष श्री देवेन्द्र जैन, श्री गणेश गौतम, सर्व शिक्षा अभियान के डायरेक्टर श्री ओमप्रकाश गुप्ता, मण्डी डायरेक्टर श्री जगरामसिंह यादव, भाजपा नेत्री श्रीमती नवप्रभा पडेरिया, श्री रमेश गुप्ता, आदि उपस्थित थे।
लाडली लक्ष्मी योजना के बचत पत्र बांटे
पिछोर में आयोजित कार्यक्रम के दौरान प्रदेश के मुखिया ने लाडली लक्ष्मी योजना के अंतर्गत कुमारी मुस्कान पुत्री मनोज लिटोरिया निवासी पिछोर एवं कुमारी महक पुत्री विमल शर्मा को अपने हाथों से राष्ट्रीय बचत पत्र वितरित किये एवं उन नन्हीं बालिकाओं को दुलारा एवं प्यार किया।
1 टिप्पणी:
दुनिया की क्रांतियों का इतिहास कहता है कि परिवर्तन के लिए दो चीजों की आवश्यकता है । एक अकाट्य तर्क और दूसरा उस तर्क के पीछे खड़ी भीड़ । अकेले अकाट्य तर्क किसी काम का नही और अकेले भीड़ भी कुम्भ के मेले की शोभा हो सकती है परिवर्तन की सहयोगी नही ।
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इस युग के कुछ अकाट्य तर्क इस प्रकार है -
* मशीनों ने मानवीय श्रम का स्थान ले लिया है ।
* कम्प्यूटर ने मनवीय मस्तिष्क का काम सम्भाल लिया है ।
* जीवन यापन के लिए रोजगार अनिवार्य होने की जिद अमानवीय है ।
* 100% रोजगार सम्भव नही है ।
* अकेले भारत की 46 करोड़ जनसंख्या रोजगार के लिए तरस रही है ।
* संगठित क्षेत्र में भारत में रोजगार की संख्या मात्र 2 करोड़ है ।
* दुनिया के 85% से अधिक संसाधनों पर मात्र 15 % से कम जनसंख्या का अधिपत्य है ।
* 85 % आबादी मात्र 15 % संसाधनों के सहारे गुजर बसर कर रही है ।
धरती के प्रत्येक संसाधन पर पैसे की छाप लग चुकी है, प्राचीन काल में आदमी जंगल में किसी तरह जी सकता था पर अब फॉरेस्ट ऑफिसर बैठे हैं ।
* रोजगार की मांग करना राष्ट्र द्रोह है, जो मांगते हैं अथवा देने का वादा करते हैं उन्हें अफवाह फैलाने के आरोप में सजा दी जानी चाहिए ।
* रोजगार देने का अर्थ है मशीनें और कम्प्यूटर हटा कर मानवीय क्षमता से काम लेना, गुणवता और मात्रा के मोर्चे पर हम घरेलू बाजार में ही पिछड़ जाएंगे ।
* पैसा आज गुलामी का हथियार बन गया है । वेतन भोगी को उतना ही मिलता है जिससे वह अगले दिन फिर से काम पर लोट आए ।
* पुराने समय में गुलामों को बेड़ियाँ बान्ध कर अथवा बाड़ों में कैद रखा जाता था ।
अब गुलामों को आजाद कर दिया गया है संसाधनों को पैसे की दीवार के पीछे छिपा दिया गया है ।
* सरकारों और उद्योगपतियों की चिंता केवल अपने गुलामों के वेतन भत्तों तक सीमित है ।
* जो वेतन भत्तों के दायरों में नही है उनको सरकारें नारे सुनाती है, उद्योग पति जिम्मेदारी से पल्ला झाड़े बैठा है ।
* जो श्रम करके उत्पादन कर रही हैं उनकी खुराक तेल और बिजली है ।
* रोटी और कपड़ा जिनकी आवश्यकता है वे उत्पादन में भागीदारी नही कर सकते, जब पैदा ही नही किया तो भोगने का अधिकार कैसे ?
ऐसा कोई जाँच आयोग बैठाने का साहस कर नही सकता कि मशीनों के मालिकों की और मशीनों और कम्प्यूटर के संचालकों की गिनती हो जाये और शेषा जनसंख्या को ठंडा कर दिया जाये ।
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दैनिक भास्कर अखबार के तीन राज्यों का सर्वे कहता है कि रोजगार अगले चुनाव का प्रमुख मुद्दा है , इस दायरे में 40 वर्ष तक की आयु लोग मांग कर रहे हैं।
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देश की संसद में 137 से अधिक सांसदों के द्वारा प्रति हस्ताक्षरित एक याचिका विचाराधीन है जिसके अंतर्गत मांग की गई है कि
* भारत सरकार अब अपने मंत्रालयों के जरिये प्रति व्यक्ति प्रति माह जितनी राशि खर्च करने का दावा करती है वह राशि खर्च करने के बजाय मतदाताओं के खाते में सीधे ए टी एम कार्डों के जरिये जमा करा दे।
* यह राशि यू एन डी पी के अनुसार 10000 रूपये प्रति वोटर प्रति माह बनती है ।
* अगर इस आँकड़े को एक तिहाई भी कर दिया जाये तो 3500 रूपया प्रतिमाह प्रति वोटर बनता है ।
* इस का आधा भी सरकार टैक्स काट कर वोटरों में बाँटती है तो यह राशि 1750 रूपये प्रति माह प्रति वोटर बनती है ।
* इलेक्ट्रोनिक युग में यह कार्य अत्यंत आसान है ।
* श्री राजीव गान्धी ने अपने कार्यकाल में एक बार कहा था कि केन्द्र सरकार जब आपके लिए एक रूपया भेजती है तो आपकी जेब तक मात्र 15 पैसा पहूँचता है ।
* अभी हाल ही में राहुल गान्धी ने इस तथ्य पर पुष्टीकरण करते हुए कहा कि तब और अब के हालात में बहुत अंतर आया है आप तक यह राशि मात्र 3 से 5 पैसे आ रही है ।
राजनैतिक आजादी के कारण आज प्रत्येक नागरिक राष्ट्रपति बनने की समान हैसियत रखता है ।
जो व्यक्ति अपना वोट तो खुद को देता ही हो लाखों अन्य लोगों का वोट भी हासिल कर लेता है वह चुन लिया जाता है ।
* राजनैतिक समानता का केवल ऐसे वर्ग को लाभ हुआ है जिनकी राजनीति में रूचि हो ।
* जिन लोगों की राजनीति में कोई रूचि नही उन लोगों के लिए राज तंत्र और लोक तंत्र में कोई खास अंतर नही है ।
* काम के बदले अनाज देने की प्रथा उस जमाने में भी थी आज भी है ।
* अनाज देने का आश्वासन दे कर बेगार कराना उस समय भी प्रचलित था आज भी कूपन डकार जाना आम बात है ।
* उस समय भी गरीब और कमजोर की राज में कोई सुनवाई नही होती थी आज भी नही होती ।
* जो बदलाव की हवा दिखाई दे रही है थोड़ी बहुत उसका श्रेय राजनीति को नही समाज की अन्य व्यवस्थाओं को दिया जाना युक्ति संगत है ।
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राष्ट्रीय आय में वोटरों की नकद भागीदारी अगले चुनाव का प्रमुख मुद्दा होना चाहिए ।
* अब तक इस विचार का विस्तार लगभग 10 लाख लोगों तक हो चुका है ।
* ये अकाट्य मांग अब अपने पीछे समर्थकों की भीड़ आन्धी की तरह इक्क्ट्ठा कर रही है ।
* संसद में अब राजनीतिज्ञों का नया ध्रूविकरण हो चुका है ।
* अधिकांश साधारण सांसद अब इस विचार के साथ हैं । चाहे वे किसी भी पार्टी के क्यों न हो ।
* समस्त पार्टियों के पदाधिकारिगण इस मुद्दे पर मौन हैं ।
* मीडिया इस मुद्दे पर कितनी भी आँख मूँद ले, इस बार न सही अगले चुनाव का एक मात्र आधार 'राष्ट्रीय आय मं. वोटरों की नकद भागीदारी' होगा, और कुछ नही ।
* जो मिडिया खड्डे में पड़े प्रिंस को रातों रात अमिताभ के बराबर पब्लिसिटी दे सकता है उस मीडिया का इस मुद्दे पर आँख बन्द रखना अक्षम्य है भविष्य इसे कभी माफ नही करेगा|
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