गुरुवार, 16 अक्टूबर 2008

डॉ. पवन शर्मा ने किया संस्कृत विध्दानों का सम्मान

डॉ. पवन शर्मा ने किया संस्कृत विध्दानों का सम्मान

ग्वालियर दिनांक 14 अक्टूबर 2008:   संस्कृत एक अच्छी भाषा है किन्तु भारत की जनमानस भाषा नहीं बन पाई। आज यह भाषा अत्यंत अच्छे पढ़े लिखे विद्वान लोगों की ही भाषा है। इसका हल हमें खोजना होगा कि यह भाषा जन-जन तक कैसे पहुचे। उक्त उद्गार डॉ. पवन शर्मा द्वारा आज जीवाजी विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित भवभूति समारोह में देश भर से पधारे संस्कृत के विद्वानों का सम्मान करने के बाद व्यक्त किये गये। उन्होंने कहा कि हम संस्कृत भाषा को लोकप्रिय कर लेंगे तो हमारा बहुत सारा साहित्य जिसमें लोक उपयोगी जानकारी छुपी हुई है, समझा जा सकेगा।

       डॉ. पवन शर्मा ने संस्कृत के विद्वानों के बीच संस्कृत के महाकवि भवभूति को  श्रध्दांजलि देते हुये कहा कि नगर निगम ग्वालियर द्वारा हाल ही में ग्वालियर के महाराज बाड़ा स्थित टाऊन हॉल का नाम महाकवि भवभूति के नाम पर रखे जाने का संकल्प लिया है। इस टाऊन हॉल का नगर निगम द्वारा आधुनिकीकरण किया जा रहा है। आधुनिकीकरण के उपरांत वहां 10 दिन का कला और संस्कृति से संबंधित कार्यक्रम आयोजित किया जायेगा जो महान कवि भवभूति को नगर निगम की श्रध्दांजलि होगी। उन्होंने कहा कि नगर निगम कला संस्कृति को बढ़ावा देने के लिये सदैव प्रयत्नशील रहती है। इस कड़ी में निगम द्वारा प्रतिवर्ष सांस्कृतिक व सामाजिक संस्थानों के सहयोग से नव सवंत्सर पर कृष्णराव शंकर पंडित की स्मृति में प्रतिवर्ष 2 दिवसीय संगीत समारोह आयोजित करता है।

       उन्होंने आगे बताया कि भारतीय कला एवं संस्कृति से जुड़े संगठन निगम से किसी भी आयोजन के लिये सहयोग ले सकते हैं। डॉ. पवन शर्मा द्वारा इससे पूर्व कुलपति जीवाजी विश्वविद्यालय प्रो0 ए.के. कपूर तथा संगीत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. चितरंजन ज्योतिषी का एवं भारत भर से पधारे विभिन्न विद्वानों का सम्मान किया।

 

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