रविवार, 5 अक्टूबर 2008

मच्छर जनित बीमारियों की रोकथाम के लिए प्रभावी उपाय करने के निर्देश

मच्छर जनित बीमारियों की रोकथाम के लिए प्रभावी उपाय करने के निर्देश

ग्वालियर 1 अक्टूबर 08। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. अर्चना शिंगवेकर ने केन्द्रीय जेल ग्वालियर के अधीक्षक, उपजेल डवरा के जेलर, ग्वालियर विकास प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालन अधिकारी और जीवाजी विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार को मच्छर जनित मलेरिया, चिकनगुंनिया एवं डेंगू बुखार की रोथाम के लिए सभी प्रतिरोधात्मक उपाय सुनिश्चित करने के निर्देश दिये है। डॉ. शिंगवेकर ने पत्र जारी कर खासतौर पर डेंगू बुखार से बचने के लिए पर्याप्त सावधानियां बरतने का आग्रह किया है। अर्थात मच्छरों को पनपने से रोकने के पुख्ता प्रबंध संस्थान परिसर में किये जायें। जेल अधीक्षक और उपजेल डवरा के जेलर को लिखे पत्र में डॉ. शिंगवेकर ने कहा है कि जेल में    बंदियों एवं कार्यरत कर्मचारियों का अधिकांश समय व्यतीत होता है। वहां मच्छरों को पनपने से रोकना एवं इनका विनिष्टीकरण अत्यंत ही आवश्यक है।

       जेल अधीक्षक, ग्वालियर विकास प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालन अधिकारी और जीवाजी विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार को लिखे पत्र में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी ने कहा है, कि कमरों छात्रावासों में एक ही स्थान पर तीन दिन से अधिक पानी एकत्रित न होने दें।

       मच्छरों का मुख्य उदगम स्थल कूलर एवं खाली पानी के अनुपयोगी कन्टेनर्स है अत: परिसर के सभी कूलर, में शीघ्र पानी निकलवाकर उसकी टंकी के दिवालों को रगडकर साफ कर सुखवाया जाना अत्यंत आवश्यक है जिससे कि मच्छर इनमें न पनप सकें। यदि कूलर चालू रखना आवश्यक हो तो उसकी प्रत्येक तीन दिवस के अन्तराल में अनिर्वायत: सफाई एवं सुखाने के बाद ही पुन: भरा जावे। इसी प्रकार खाली डिब्बे, टूटे बर्तन, गमले, अनुपयोगी टायर इत्यादि में भी पानी एकत्रित हो तो उसे शीध्र साफ कराकर सुखाना अत्यंत आवश्यक है। परिसर के निकट यदि कोई गड्डा हो तो उसमें पानी को खाली कराया जाना आवश्यक है। परिसर में यदि घास इत्यादि हो तो उसे काटकर छोटा किया जाना तथा उसकी नियमित साफ सफाई की व्यवस्था आवश्यक है जिससे कि मच्छर इनमें निवास न करें। परिसर में खिड़कियों में उचित मापदण्ड की मच्छर जाली का लगाया जाना अत्यंत उपयोगी है। मटके, नाद टंकी में पानी को इस प्रकार ढंक कर रखा जावे कि उनमें मच्छर प्रवेश न करें एवं पैदा न हो। रूके एवं अनुपयोगी पानी के लार्वा को नष्ट करने के लिये टेमोफास का उपयोग किया जा सकता है। इसके अन्तर्गत 10 लीटर जल में 2.5 मिली. टेमोफोस मिलाकर घोल बनाया जाता है ऐसे बनाये हुये एक लीटर घोल को 50 लीनियर मीटर क्षेत्र में छिड़काव भी किया जा सकता है। वयस्क मच्छरों को नष्ट करने के लिए कक्षों इत्यादि में पैराथ्रम का छिड़काव भी किया जा सकता है। निकटवर्ती पर्यावरण को स्वच्छ रखा जाना किसी भी स्थिति में कचड़ा इत्यादि एकत्रित न होने दें। नीम की सूखी पत्तियों अथवा नारियल के खोल को जलाकर धुंआ करने से भी मच्छरों को नियंत्रित किया जा सकता है, इसके अतिरिक्त आधुनिक साधन के रूप में छात्रावास के कमरों में उचित कीटनाशकों (दृद्मद्दद्वत्द्यदृङ्ढद्म ड़दृत्थ्द्म) इत्यादि का उपयोग किया जा सकता है। निवासरत एवं कार्यरत व्यक्तियों को ऐसे परिधानो के उपयोग के लिये प्रोत्साहित किया जावे जिसमें कि शरीर का अधिकांश भाग ढक जावें। इससे मच्छर से संक्रमित होने की संभावना अत्यंत ही कम हो जावेगी। मच्छर दानी के उपयोग प्रोत्साहित किया जावे, चूंकि मच्छर दिन में भी संक्रमित कर सकता है। अत: मच्छरदानी का उपयोग दिन में या रातमें दोनों सोते समय किया जाना उचित है। मच्छर नष्ट करने वाली मच्छरदानी भी प्रचलन में है अत: मच्छरदानी क्रय करने में इन मच्छरदानियों का क्रय प्रोत्साहित किया जाना उचित होगा जिससे कि मच्छरों से बचाव एवं उनका परस्पर विनिष्टीकरण भी हो सके। मच्छरों को पनपने से रोकने , उनका विनिष्टीकरण एवं उनसे संक्रमित होने से बचने हेतु अपेक्षित जनजागरूकता एवं जनसहयोग अत्यंत आवश्यक है अत: इन उपयों से सभी को अवगत कराया जाना चाहिए। बुखार इत्यादि से पीडित होने पर तत्काल शासकीय चिकित्सालय में चिकित्सक से संपर्क कर उचित उपचार की व्यवस्था करना चाहिए।

 

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